बेंगलुरु और गुजरात के बाद अब HMPV वायरस की महाराष्ट्र में भी एंट्री, देश में अब कुल 7 मामले:

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चीन में कोहराम मचा रहा HMPV यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के मामले भारत में भी लगातार बढ़ रहे हैं। बेंगलुरु और गुजरात के बाद अब HMPV वायरस की महाराष्ट्र  में भी एंट्री हो गई है। नागपुर में दो बच्चों की HMPV टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। निजी अस्पताल में 7 साल के बच्चे और 14 साल की बच्ची की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इन दोनों बच्चों को खांसी और बुखार था। इन दो नये केस के साथ ही देश में अब तक इस वायरस के 7 लोग मरीज मिल चुके हैं।

एचएमपीवी वायरस के डर के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रतिक्रिया आई है। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि एचएमपीवी के मामलों पर स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र नजर रख रहे हैं। चीन के साथ-साथ पड़ोसी देशों की स्थिति पर भी कड़ी नजर है। डब्ल्यूएचओ ने स्थिति का संज्ञान लिया है और जल्द ही अपनी रिपोर्ट को साझा करेगा।

नड्डा ने बताया कि ‘स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि HMPV कोई नया वायरस नहीं है। पहली बार साल 2001 में इसकी पहचान की गई थी। यह कई वर्षों से पूरी दुनिया में फैल रहा है। HMPV श्वसन के माध्यम से हवा के माध्यम से फैलता है। नड्डा ने बताया कि यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, हालांकि इसका विशेष प्रभाव बच्चों और बूढ़ों में होता है। उन्होंने कहा कि वायरस सर्दियों और शुरुआती वसंत महीनों के दौरान अधिक फैलता है।

स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, “ICMR और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के पास उपलब्ध श्वसन विषाणुओं  के लिए देश के आंकड़ों की भी समीक्षा की गई है और भारत में किसी भी सामान्य श्वसन वायरल रोगजनकों  में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है। स्थिति की समीक्षा करने के लिए 4 जनवरी को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में संयुक्त निगरानी समूह की बैठक आयोजित की गई थी। देश की स्वास्थ्य प्रणाली और निगरानी नेटवर्क सतर्क रहते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि देश किसी भी उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों का तुरंत जवाब देने के लिए तैयार है। चिंता की कोई बात नहीं है. हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

किन लोगों को ज्यादा खतरा

मैक्स हेल्थकेयर के मुताबिक, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, शिशु, वृद्ध और विशेषकर 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, अस्थमा या सीओपीडी जैसी श्वसन समस्याओं वाले व्यक्तियों को इसका अधिक जोखिम है। प्रेग्नेंसी के दौरान एचएमपीवी के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जो मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती है।
एचएमपीवी वायरस के लक्षण

    इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चों-बुजुर्गों हो सकते हैं।
    इसमें  सांस और फेफड़ों की नली में इन्फेक्शन हो जाता है, जिस वजह से  खांसी होती है और सांस लेने में दिक्कत होती है।
    इसके अलावा गले में खराश, सिरदर्द,  खांसी, बुखार, ठंड लगना और थकान भी रहती है।

इन बातों का रखा जाए ध्यान

    अच्छा हो किसी भी संक्रमित शख्स से दूर रहा जाए या मास्क का उपयोग किया जाए।
    अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से धोएं. छींकते या खांसते समय अपना मुंह ढकें।
     दूसरों से दूर कोहनी की आड़ लेकर खांसें और सबसे अहम बात छींकने या खांसने के बाद अपने हाथों को सैनिटाइज जरूर करें।


चीन में कोहराम मचा रहा HMPV यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के मामले भारत में भी लगातार बढ़ रहे हैं। बेंगलुरु और गुजरात के बाद अब HMPV वायरस की महाराष्ट्र  में भी एंट्री हो गई है। नागपुर में दो बच्चों की HMPV टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। निजी अस्पताल में 7 साल के बच्चे और 14 साल की बच्ची की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इन दोनों बच्चों को खांसी और बुखार था। इन दो नये केस के साथ ही देश में अब तक इस वायरस के 7 लोग मरीज मिल चुके हैं।

एचएमपीवी वायरस के डर के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रतिक्रिया आई है। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि एचएमपीवी के मामलों पर स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र नजर रख रहे हैं। चीन के साथ-साथ पड़ोसी देशों की स्थिति पर भी कड़ी नजर है। डब्ल्यूएचओ ने स्थिति का संज्ञान लिया है और जल्द ही अपनी रिपोर्ट को साझा करेगा।

नड्डा ने बताया कि ‘स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि HMPV कोई नया वायरस नहीं है। पहली बार साल 2001 में इसकी पहचान की गई थी। यह कई वर्षों से पूरी दुनिया में फैल रहा है। HMPV श्वसन के माध्यम से हवा के माध्यम से फैलता है। नड्डा ने बताया कि यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, हालांकि इसका विशेष प्रभाव बच्चों और बूढ़ों में होता है। उन्होंने कहा कि वायरस सर्दियों और शुरुआती वसंत महीनों के दौरान अधिक फैलता है।

स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, “ICMR और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के पास उपलब्ध श्वसन विषाणुओं  के लिए देश के आंकड़ों की भी समीक्षा की गई है और भारत में किसी भी सामान्य श्वसन वायरल रोगजनकों  में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है। स्थिति की समीक्षा करने के लिए 4 जनवरी को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में संयुक्त निगरानी समूह की बैठक आयोजित की गई थी। देश की स्वास्थ्य प्रणाली और निगरानी नेटवर्क सतर्क रहते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि देश किसी भी उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों का तुरंत जवाब देने के लिए तैयार है। चिंता की कोई बात नहीं है. हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

किन लोगों को ज्यादा खतरा

मैक्स हेल्थकेयर के मुताबिक, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, शिशु, वृद्ध और विशेषकर 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, अस्थमा या सीओपीडी जैसी श्वसन समस्याओं वाले व्यक्तियों को इसका अधिक जोखिम है। प्रेग्नेंसी के दौरान एचएमपीवी के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जो मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती है।
एचएमपीवी वायरस के लक्षण

    इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चों-बुजुर्गों हो सकते हैं।
    इसमें  सांस और फेफड़ों की नली में इन्फेक्शन हो जाता है, जिस वजह से  खांसी होती है और सांस लेने में दिक्कत होती है।
    इसके अलावा गले में खराश, सिरदर्द,  खांसी, बुखार, ठंड लगना और थकान भी रहती है।

इन बातों का रखा जाए ध्यान

    अच्छा हो किसी भी संक्रमित शख्स से दूर रहा जाए या मास्क का उपयोग किया जाए।
    अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन से धोएं. छींकते या खांसते समय अपना मुंह ढकें।
     दूसरों से दूर कोहनी की आड़ लेकर खांसें और सबसे अहम बात छींकने या खांसने के बाद अपने हाथों को सैनिटाइज जरूर करें।


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