लंदन. दक्षिणी यूक्रेन में जापोरिझझिया परमाणु ऊर्जा
संयंत्र पर रूसी गोलाबारी की हालिया खबरों के बाद चेर्नोबिल की तरह
रेडियोधर्मी सामग्री के रिसाव की आशंका बड़ी ंिचता का विषय है. जापोरिझझिया
यूरोप में सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है. रूसी हमले से संयंत्र में कई
सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं. इस संयंत्र मे छह बड़े परमाणु ऊर्जा रिएक्टर हैं
और ऐसे में वहां बड़ी मात्रा में परमाणु सामग्री है. ये रिएक्टर चेर्नोबिल
संयंत्र की तरह नहीं हैं और इनका डिजाइन अपेक्षाकृत कहीं अधिक सुरक्षित है,
लेकिन इससे युद्ध के दौरान इसकी सुरक्षा की आशंका कम नहीं हो जाती. जिस
इमारत पर हमला हुआ है, वह छह रिएक्टर के ब्लॉक से करीब 500 मीटर की दूरी पर
स्थित है. इसमें कोई परमाणु सामग्री नहीं है, क्योंकि इसका इस्तेमाल केवल
प्रशिक्षण और प्रशासनिक कार्यों के लिए होता था. इस हमले के बाद विकिरण
स्तर बढ़ने का कोई संकेत नहीं मिला है. सभी रिएक्टर पर यूक्रेनी र्किमयों का
कब्जा है, लेकिन रूसी बलों ने परमाणु संयंत्र के बड़े हिस्से पर कब्जा कर
लिया है. सीसीटीवी फुटेज देखने पर यह नहीं लगता कि यह बिना सोचे-समझे किया
गया हमला है. रूसी बल संकेत दे रहे हैं कि वे संयंत्र पर किसी भी समय हमला
कर सकते हैं, लेकिन फिलहाल वे ऐेसा नहीं करने का विकल्प चुन रहे हैं. आग को
जल्द ही बुझाया जा सकता है, लेकिन इसके बाद क्या होगा, इसका खतरा पहले से
कहीं अधिक है.
हालात अप्रत्याशित हैं. कुछ दिन पहले मुझे लगता था कि परमाणु संयंत्र
पर हमले की आशंका बहुत कम है. खासकर अपने क्षेत्र के निकट स्थित किसी
परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हमला करना अत्यधिक जोखिम भरी रणनीति है. इसके
नकारात्मक परिणाम किसी संभावित लाभ से कहीं अधिक हैं. बहरहाल, रूस के
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, इसे लेकर मेरे
जैसे विशेषज्ञ लगातार गलत साबित हुए हैं. स्थल को सुरक्षित रखना
दुर्भाग्यवश, यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर खतरा बना हुआ है. किसी
परमाणु रिएक्टर को बंद करने से भी वह तत्काल सुरक्षित नहीं हो जाता. किसी
रिएक्टर में ईंधन डालने के बाद वह बंद होने के बाद भी गर्मी पैदा करना जारी
रखेगा. पुराने संयंत्रों में सुरक्षित स्तर पर ईंधन बनाए रखने के लिए
सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है. भंडारण जलाशयों में पानी प्रवाहित किया
जाना चाहिए और रिएक्टर के बंद होने के बाद भी इसकी निगरानी और प्रबंधन के
लिए कर्मी होने चाहिए. शीतलन कार्य के लिए रिएक्टर में इकाई चार से विद्युत
मुहैया कराई जा सकती है. यदि इकाई चार बंद की जाती है, तो स्थल से बाहर से
विद्युत आपूर्ति का प्रबंध करना होगा, लेकिन मौजूदा हालात में यह संभवत:
विश्वसनीय नहीं होगा या उपलब्ध नहीं होगा.
किसी परमाणु संयंत्र पर हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों का बड़ा उल्लंघन है.
इस प्रकार का हमला बहुत भीषण परिणाम पैदा कर सकता है. इससे हवा में खतरनाक
परमाणु सामग्री का बड़ी मात्रा में रिसाव हो सकता है. यदि एक प्रशासनिक
इमारत पर हमला करने का रूस का फैसला वास्तव में सोच-समझकर लिया गया था, तो
हम उम्मीद सकते हैं कि वह रिएक्टर पर संभवत: हमला नहीं करेगा. कम से कम
मौजूदा हालात में यह संभावना है कि रूसी ‘‘विशेष सैन्य अभियान’’ की योजना
बनाने वाले अधिकारी केवल एक अहम राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे पर कब्जा करने के
तौर पर संयंत्र पर कब्जा करना चाहेंगे. बहरहाल यदि हमला रूस के अनुमान से
तीन से चार दिन अधिक ंिखचता है, तो अधिक कड़े कदम उठाए जा सकते हैं.
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख राफेल मारियानो
ग्रोसी ने हमले के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एजेंसी वियना से
हालात पर केवल नजर नहीं रखेगी. ग्रोसी ने यूक्रेन और रूस से वार्ता के लिए
यात्रा करने की इच्छा जताई. हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि वह ऐसे समझौते पर
पहुंच पाएं, जिससे परमाणु संयंत्र को न्यूनतम नुकसान हो और संकट सुलझने तक
यूक्रेन के परमाणु संयंत्र सुरक्षित तरीके से संचालित किए जा सकें.
लंदन. दक्षिणी यूक्रेन में जापोरिझझिया परमाणु ऊर्जा
संयंत्र पर रूसी गोलाबारी की हालिया खबरों के बाद चेर्नोबिल की तरह
रेडियोधर्मी सामग्री के रिसाव की आशंका बड़ी ंिचता का विषय है. जापोरिझझिया
यूरोप में सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है. रूसी हमले से संयंत्र में कई
सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं. इस संयंत्र मे छह बड़े परमाणु ऊर्जा रिएक्टर हैं
और ऐसे में वहां बड़ी मात्रा में परमाणु सामग्री है. ये रिएक्टर चेर्नोबिल
संयंत्र की तरह नहीं हैं और इनका डिजाइन अपेक्षाकृत कहीं अधिक सुरक्षित है,
लेकिन इससे युद्ध के दौरान इसकी सुरक्षा की आशंका कम नहीं हो जाती. जिस
इमारत पर हमला हुआ है, वह छह रिएक्टर के ब्लॉक से करीब 500 मीटर की दूरी पर
स्थित है. इसमें कोई परमाणु सामग्री नहीं है, क्योंकि इसका इस्तेमाल केवल
प्रशिक्षण और प्रशासनिक कार्यों के लिए होता था. इस हमले के बाद विकिरण
स्तर बढ़ने का कोई संकेत नहीं मिला है. सभी रिएक्टर पर यूक्रेनी र्किमयों का
कब्जा है, लेकिन रूसी बलों ने परमाणु संयंत्र के बड़े हिस्से पर कब्जा कर
लिया है. सीसीटीवी फुटेज देखने पर यह नहीं लगता कि यह बिना सोचे-समझे किया
गया हमला है. रूसी बल संकेत दे रहे हैं कि वे संयंत्र पर किसी भी समय हमला
कर सकते हैं, लेकिन फिलहाल वे ऐेसा नहीं करने का विकल्प चुन रहे हैं. आग को
जल्द ही बुझाया जा सकता है, लेकिन इसके बाद क्या होगा, इसका खतरा पहले से
कहीं अधिक है.
हालात अप्रत्याशित हैं. कुछ दिन पहले मुझे लगता था कि परमाणु संयंत्र
पर हमले की आशंका बहुत कम है. खासकर अपने क्षेत्र के निकट स्थित किसी
परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हमला करना अत्यधिक जोखिम भरी रणनीति है. इसके
नकारात्मक परिणाम किसी संभावित लाभ से कहीं अधिक हैं. बहरहाल, रूस के
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, इसे लेकर मेरे
जैसे विशेषज्ञ लगातार गलत साबित हुए हैं. स्थल को सुरक्षित रखना
दुर्भाग्यवश, यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर खतरा बना हुआ है. किसी
परमाणु रिएक्टर को बंद करने से भी वह तत्काल सुरक्षित नहीं हो जाता. किसी
रिएक्टर में ईंधन डालने के बाद वह बंद होने के बाद भी गर्मी पैदा करना जारी
रखेगा. पुराने संयंत्रों में सुरक्षित स्तर पर ईंधन बनाए रखने के लिए
सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है. भंडारण जलाशयों में पानी प्रवाहित किया
जाना चाहिए और रिएक्टर के बंद होने के बाद भी इसकी निगरानी और प्रबंधन के
लिए कर्मी होने चाहिए. शीतलन कार्य के लिए रिएक्टर में इकाई चार से विद्युत
मुहैया कराई जा सकती है. यदि इकाई चार बंद की जाती है, तो स्थल से बाहर से
विद्युत आपूर्ति का प्रबंध करना होगा, लेकिन मौजूदा हालात में यह संभवत:
विश्वसनीय नहीं होगा या उपलब्ध नहीं होगा.
किसी परमाणु संयंत्र पर हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों का बड़ा उल्लंघन है.
इस प्रकार का हमला बहुत भीषण परिणाम पैदा कर सकता है. इससे हवा में खतरनाक
परमाणु सामग्री का बड़ी मात्रा में रिसाव हो सकता है. यदि एक प्रशासनिक
इमारत पर हमला करने का रूस का फैसला वास्तव में सोच-समझकर लिया गया था, तो
हम उम्मीद सकते हैं कि वह रिएक्टर पर संभवत: हमला नहीं करेगा. कम से कम
मौजूदा हालात में यह संभावना है कि रूसी ‘‘विशेष सैन्य अभियान’’ की योजना
बनाने वाले अधिकारी केवल एक अहम राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे पर कब्जा करने के
तौर पर संयंत्र पर कब्जा करना चाहेंगे. बहरहाल यदि हमला रूस के अनुमान से
तीन से चार दिन अधिक ंिखचता है, तो अधिक कड़े कदम उठाए जा सकते हैं.
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख राफेल मारियानो
ग्रोसी ने हमले के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एजेंसी वियना से
हालात पर केवल नजर नहीं रखेगी. ग्रोसी ने यूक्रेन और रूस से वार्ता के लिए
यात्रा करने की इच्छा जताई. हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि वह ऐसे समझौते पर
पहुंच पाएं, जिससे परमाणु संयंत्र को न्यूनतम नुकसान हो और संकट सुलझने तक
यूक्रेन के परमाणु संयंत्र सुरक्षित तरीके से संचालित किए जा सकें.