भारतीय
प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ
के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इससे सरकार को चालू वित्त वर्ष के अपने
विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए 63,000 करोड़ रुपये जुटाने में मदद
मिलेगी.
एक महीने से भी कम समय में डीआरएचपी को मिली मंजूरी
सूत्रों
के हवाले से पीटीआई न्यूज एजेंसी ने यह जानकारी दी है कि सेबी ने एलआईसी
द्वारा 13 फरवरी, 2022 को दाखिल दस्तावेजों के मसौदे (डीआरएचपी) को मंजूरी
दे दी है. यह मंजूरी एक महीने से भी कम समय में मिल गई है.
कंपनी अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी
डीआरएचपी
के अनुसार, आईपीओ के तहत सरकार एलआईसी के 31.6 करोड़ इक्विटी शेयर या
कंपनी में अपनी पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी. कंपनी के पॉलिसीधारकों और
कर्मचारियों को आईपीओ में न्यूनतम शेयर मूल्य पर छूट मिलेगी.
कंपनी का फंडामेंटल वैल्यू 5.4 लाख करोड़
अंतरराष्ट्रीय
मूल्यांकक कंपनी मिलीमैन एडवाइजर्स द्वारा एलआईसी का अंतर्निहित मूल्य
निकाला गया है. 30 सितंबर, 2021 तक कंपनी का अंतर्निहित मूल्य 5.4 लाख
करोड़ रुपये था. अंतर्निहित मूल्य बीमा कंपनी में शेयरधारकों के एकीकृत
मूल्य के आधार पर निकाला गया है.
बाजार मूल्यांकन का खुलासा अभी नहीं
हालांकि,
डीआरएचपी में एलआईसी के बाजार मूल्यांकन का खुलासा नहीं किया गया है
हालांकि, उद्योग के मानकों के अनुसार यह अंतनिर्हित मूल्य का करीब तीन गुना
या 16 लाख करोड़ रुपये होगा. एलआईसी में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी
या 632.49 करोड़ से अधिक शेयर हैं.
प्रति शेयर का मूल्य 10 रुपये
इन
शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये प्रति शेयर है. एलआईसी का सार्वजनिक
निर्गम भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ होगा. एक बार
सूचीबद्ध होने के बाद एलआईसी का बाजार मूल्यांकन रिलायंस इंडस्ट्रीज और
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) जैसी शीर्ष कंपनियों के आसपास होगा.
आईपीओ को टाले जाने की भी खबर सामने आयी
कुछ
समय पहले एक्सपर्ट्स ने यह राय थी कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच बाजार में
अस्थिरता है, जिसकी वजह से बाजारों में नकारात्मक प्रतिक्रिया सामने आ
रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है किें बाजार की मौजूदा अस्थिरता एलआईसी के
आईपीओ के लिए अनुकूल नहीं है और सरकार इस निर्गम को अगले वित्त वर्ष के लिए
टाल सकती है.
भारतीय
प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ
के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इससे सरकार को चालू वित्त वर्ष के अपने
विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए 63,000 करोड़ रुपये जुटाने में मदद
मिलेगी.
एक महीने से भी कम समय में डीआरएचपी को मिली मंजूरी
सूत्रों
के हवाले से पीटीआई न्यूज एजेंसी ने यह जानकारी दी है कि सेबी ने एलआईसी
द्वारा 13 फरवरी, 2022 को दाखिल दस्तावेजों के मसौदे (डीआरएचपी) को मंजूरी
दे दी है. यह मंजूरी एक महीने से भी कम समय में मिल गई है.
कंपनी अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी
डीआरएचपी
के अनुसार, आईपीओ के तहत सरकार एलआईसी के 31.6 करोड़ इक्विटी शेयर या
कंपनी में अपनी पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी. कंपनी के पॉलिसीधारकों और
कर्मचारियों को आईपीओ में न्यूनतम शेयर मूल्य पर छूट मिलेगी.
कंपनी का फंडामेंटल वैल्यू 5.4 लाख करोड़
अंतरराष्ट्रीय
मूल्यांकक कंपनी मिलीमैन एडवाइजर्स द्वारा एलआईसी का अंतर्निहित मूल्य
निकाला गया है. 30 सितंबर, 2021 तक कंपनी का अंतर्निहित मूल्य 5.4 लाख
करोड़ रुपये था. अंतर्निहित मूल्य बीमा कंपनी में शेयरधारकों के एकीकृत
मूल्य के आधार पर निकाला गया है.
बाजार मूल्यांकन का खुलासा अभी नहीं
हालांकि,
डीआरएचपी में एलआईसी के बाजार मूल्यांकन का खुलासा नहीं किया गया है
हालांकि, उद्योग के मानकों के अनुसार यह अंतनिर्हित मूल्य का करीब तीन गुना
या 16 लाख करोड़ रुपये होगा. एलआईसी में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी
या 632.49 करोड़ से अधिक शेयर हैं.
प्रति शेयर का मूल्य 10 रुपये
इन
शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये प्रति शेयर है. एलआईसी का सार्वजनिक
निर्गम भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ होगा. एक बार
सूचीबद्ध होने के बाद एलआईसी का बाजार मूल्यांकन रिलायंस इंडस्ट्रीज और
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) जैसी शीर्ष कंपनियों के आसपास होगा.
आईपीओ को टाले जाने की भी खबर सामने आयी
कुछ
समय पहले एक्सपर्ट्स ने यह राय थी कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच बाजार में
अस्थिरता है, जिसकी वजह से बाजारों में नकारात्मक प्रतिक्रिया सामने आ
रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है किें बाजार की मौजूदा अस्थिरता एलआईसी के
आईपीओ के लिए अनुकूल नहीं है और सरकार इस निर्गम को अगले वित्त वर्ष के लिए
टाल सकती है.