नयी दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुश्किल एवं
चुनौतीपूर्ण हालात में युद्धग्रस्त यूक्रेन से छात्रों सहित 22,500 भारतीय
नागरिकों को सुरक्षित निकालने का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी अन्य देश
वहां से इतनी संख्या में अपने नागरिकों को नहीं निकाल सका जितना भारत ने
किया और इसके लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद रूस, यूक्रेन के
राष्ट्रपतियों एवं अन्य पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों से बात कर रास्ता
निकाला.
‘यूक्रेन की स्थिति और उसका भारत पर प्रभाव’ पर मंगलवार को पहले
राज्यसभा और बाद में लोकसभा में अपने बयान में जयशंकर ने कहा कि
युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीयों को सुरक्षित निकाले जाने के लिए चलाया गया
‘‘आॅपरेशन गंगा’’ अब तक चलाए गए चुनौतीपूर्ण निकासी अभियानों में से एक
था.
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर, हमने आॅपरेशन गंगा की
शुरुआत की, जिसमें संघर्ष की स्थिति के दौरान सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यों
में से एक को किया गया.’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘ मुश्किल एवं चुनौतीपूर्ण माहौल
के बावजूद, हमने सुनिश्चित किया है कि लगभग 22,500 नागरिक सुरक्षित घर लौट
आएं.’’ उन्होंने कहा कि यूक्रेन से भारतीयों को निकालने के अभियान में
खारकीव, सूमी में चुनौती ज्यादा बड़ी थी क्योंकि वहां निरंतर गोलाबारी, हवाई
हमले हो रहे थे.
जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन के सूमी शहर से भारतीय छात्रों की निकासी बगैर
किसी ‘‘विश्वसनीय युद्धविराम’’ के संभव नहीं थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने खुद इसके लिए रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से बात कर रास्ता
निकाला. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के पड़ोसी देशों
रोमानिया, पोलैंड, हंगरी और स्लोवाकिया के राष्ट्राध्यक्षों से भी बातचीत
की.
उन्होंने कहा कि ‘‘सूमी में विश्वसनीय युद्धविराम की जरूरत थी और
प्रधानमंत्री ने खुद हस्तक्षेप करते हुए दोनों देशों के राष्ट्रपतियों से
बात की.’’ ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री ने युद्धग्रस्त देश में फंसे भारतीयों
को सुरक्षित निकालने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन
के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कई मौकों पर बातचीत की थी.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, ‘‘आॅपरेशन गंगा इस बात को प्रर्दिशत करता
है कि संकट में कहीं भी फंसा भारतीय अपनी सरकार पर भरोसा कर सकता है.’’
उन्होंने कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से कोई भी दूसरा देश इतनी संख्या में
अपने नागरिकों को नहीं निकाल सका, जितने लोगों को भारत ने निकाला. उन्होंने
कहा कि अभी भी कई देशों के सैकड़ों नागरिक वहां फंसे हुए हैं.
यूक्रेन संकट के प्रभावों का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि इसके
महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव हैं और इसके कारण ऊर्जा एवं उत्पादों की कीमतों
पर असर दिख रहा है तथा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे समय में आत्मनिर्भर भारत की अधिक जरूरत है.’’ यूक्रेन
संकट को लेकर भारत के रूख के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि इस विषय पर
भारत का रूख सतत एवं दृढ़ रहा है और हमने सभी पक्षों से ंिहसा समाप्त करने
और तत्काल संघर्षविराम करने को कहा ताकि वहां फंसे लोग सुरक्षित निकल सकें.
उन्होंने कहा कि हमने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों और क्षेत्रीय
अखंडता का सम्मान जरूरी है तथा विषयों के समधान के लिये बातचीत और कूटनीति
ही रास्ता है. यूक्रेन की स्थिति और वहां से भारतीयों को निकालने के सरकार
के प्रयासों का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह ध्यान देने योग्य है कि
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष की स्थिति ने 20,000 से अधिक भारतीय समुदाय
के लोगों को खतरे की स्थिति में डाल दिया था और जब भारत संयुक्त राष्ट्र
सुरक्षा परिषद में इस उभरती स्थिति के वैश्विक विचार-विमर्श में भाग ले रहा
था, तब भी ध्यान अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर ही था.
विदेश मंत्री ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ने पर, यूक्रेन
में भारतीय दूतावास ने जनवरी 2022 में भारतीयों के लिए पंजीकरण अभियान शुरू
किया था और इसके परिणामस्वरूप, लगभग 20,000 भारतीयों ने पंजीकरण कराया.
उन्होंने कहा कि वहां अधिकांश भारतीय नागरिक पूरे देश में फैले यूक्रेनी
विश्वविद्यालयों में चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे छात्र थे. विदेश मंत्री ने
बताया कि इनमें आधे से अधिक छात्र पूर्वी यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में
थे जो रूस की सीमा से लगे हैं और जो अब तक संघर्ष का केंद्र रहे हैं.
उन्होंने कहा कि वहां मौजूद छात्रों में केरल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा,
तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और राजस्थान राज्यों सहित भारत के 35
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के छात्र थे. जयशंकर ने कहा कि फरवरी में
तनाव को निरंतर आगे बढ़ता देख, भारतीय दूतावास ने 15 फरवरी 2022 को एक
परामर्श जारी किया, जिसमें यूक्रेन में भारतीयों को सलाह दी गई कि जिनका
वहां रुकना जरूरी नहीं है, वहां से निकल जाएं.
उन्होंने यह भी बताया कि यूक्रेन में कुछ विश्वविद्यालयों ने छात्रों को
वहां से निकलने को लेकर हतोत्साहित किया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा
भारतीयों को यूक्रेन की यात्रा न करने या यूक्रेन के भीतर गैर-जरूरी
आवाजाही न करने की भी सलाह दूतावास की ओर से दी गई. इसके अलावा 20 एवं 22
फरवरी को भी परामर्श जारी किये गए.
विदेश मंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास ऐसे समय में किया गया था जब
यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई, हवाई हमले और गोलाबारी चल रही थी. उन्होंने
कहा कि सम्पूर्ण अभ्यास में पूरा तंत्र जुड़ा था जिसमें प्रधानमंत्री मोदी
स्वयं लगभग हर रोज समीक्षा बैठकों की अध्यक्षता कर रहे थे तथा विदेश
मंत्रालय में 24 घंटे के आधार पर निकासी कार्यों की निगरानी की गयी.
जयशंकर ने कहा कि इसमें हमें सभी मंत्रालयों, निजी एयरलाइंस सहित
विभिन्न संगठनों से उत्कृष्ट समर्थन मिला है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन एवं
पड़ोसी देशों में हमारे दूतावास ने बेहतर समन्वय से काम किया. जयशंकर ने कहा
कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ंिसधिया, किरेन रीजीजू, हरदीप ंिसह पुरी
तथा वी के ंिसह को पर्यवेक्षक के तौर पर भेजने का काफी लाभ हुआ. उन्होंने
कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की परंपरा पर चलते हुए ‘आॅपरेशन गंगा’ के तहत 147
विदेश नागरिकों को भी निकाल कर लाया गया.
नयी दिल्ली. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुश्किल एवं
चुनौतीपूर्ण हालात में युद्धग्रस्त यूक्रेन से छात्रों सहित 22,500 भारतीय
नागरिकों को सुरक्षित निकालने का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी अन्य देश
वहां से इतनी संख्या में अपने नागरिकों को नहीं निकाल सका जितना भारत ने
किया और इसके लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद रूस, यूक्रेन के
राष्ट्रपतियों एवं अन्य पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों से बात कर रास्ता
निकाला.
‘यूक्रेन की स्थिति और उसका भारत पर प्रभाव’ पर मंगलवार को पहले
राज्यसभा और बाद में लोकसभा में अपने बयान में जयशंकर ने कहा कि
युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीयों को सुरक्षित निकाले जाने के लिए चलाया गया
‘‘आॅपरेशन गंगा’’ अब तक चलाए गए चुनौतीपूर्ण निकासी अभियानों में से एक
था.
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर, हमने आॅपरेशन गंगा की
शुरुआत की, जिसमें संघर्ष की स्थिति के दौरान सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यों
में से एक को किया गया.’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘ मुश्किल एवं चुनौतीपूर्ण माहौल
के बावजूद, हमने सुनिश्चित किया है कि लगभग 22,500 नागरिक सुरक्षित घर लौट
आएं.’’ उन्होंने कहा कि यूक्रेन से भारतीयों को निकालने के अभियान में
खारकीव, सूमी में चुनौती ज्यादा बड़ी थी क्योंकि वहां निरंतर गोलाबारी, हवाई
हमले हो रहे थे.
जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन के सूमी शहर से भारतीय छात्रों की निकासी बगैर
किसी ‘‘विश्वसनीय युद्धविराम’’ के संभव नहीं थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने खुद इसके लिए रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से बात कर रास्ता
निकाला. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के पड़ोसी देशों
रोमानिया, पोलैंड, हंगरी और स्लोवाकिया के राष्ट्राध्यक्षों से भी बातचीत
की.
उन्होंने कहा कि ‘‘सूमी में विश्वसनीय युद्धविराम की जरूरत थी और
प्रधानमंत्री ने खुद हस्तक्षेप करते हुए दोनों देशों के राष्ट्रपतियों से
बात की.’’ ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री ने युद्धग्रस्त देश में फंसे भारतीयों
को सुरक्षित निकालने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन
के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कई मौकों पर बातचीत की थी.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, ‘‘आॅपरेशन गंगा इस बात को प्रर्दिशत करता
है कि संकट में कहीं भी फंसा भारतीय अपनी सरकार पर भरोसा कर सकता है.’’
उन्होंने कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से कोई भी दूसरा देश इतनी संख्या में
अपने नागरिकों को नहीं निकाल सका, जितने लोगों को भारत ने निकाला. उन्होंने
कहा कि अभी भी कई देशों के सैकड़ों नागरिक वहां फंसे हुए हैं.
यूक्रेन संकट के प्रभावों का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि इसके
महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव हैं और इसके कारण ऊर्जा एवं उत्पादों की कीमतों
पर असर दिख रहा है तथा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे समय में आत्मनिर्भर भारत की अधिक जरूरत है.’’ यूक्रेन
संकट को लेकर भारत के रूख के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि इस विषय पर
भारत का रूख सतत एवं दृढ़ रहा है और हमने सभी पक्षों से ंिहसा समाप्त करने
और तत्काल संघर्षविराम करने को कहा ताकि वहां फंसे लोग सुरक्षित निकल सकें.
उन्होंने कहा कि हमने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों और क्षेत्रीय
अखंडता का सम्मान जरूरी है तथा विषयों के समधान के लिये बातचीत और कूटनीति
ही रास्ता है. यूक्रेन की स्थिति और वहां से भारतीयों को निकालने के सरकार
के प्रयासों का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह ध्यान देने योग्य है कि
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष की स्थिति ने 20,000 से अधिक भारतीय समुदाय
के लोगों को खतरे की स्थिति में डाल दिया था और जब भारत संयुक्त राष्ट्र
सुरक्षा परिषद में इस उभरती स्थिति के वैश्विक विचार-विमर्श में भाग ले रहा
था, तब भी ध्यान अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर ही था.
विदेश मंत्री ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ने पर, यूक्रेन
में भारतीय दूतावास ने जनवरी 2022 में भारतीयों के लिए पंजीकरण अभियान शुरू
किया था और इसके परिणामस्वरूप, लगभग 20,000 भारतीयों ने पंजीकरण कराया.
उन्होंने कहा कि वहां अधिकांश भारतीय नागरिक पूरे देश में फैले यूक्रेनी
विश्वविद्यालयों में चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे छात्र थे. विदेश मंत्री ने
बताया कि इनमें आधे से अधिक छात्र पूर्वी यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में
थे जो रूस की सीमा से लगे हैं और जो अब तक संघर्ष का केंद्र रहे हैं.
उन्होंने कहा कि वहां मौजूद छात्रों में केरल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा,
तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और राजस्थान राज्यों सहित भारत के 35
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के छात्र थे. जयशंकर ने कहा कि फरवरी में
तनाव को निरंतर आगे बढ़ता देख, भारतीय दूतावास ने 15 फरवरी 2022 को एक
परामर्श जारी किया, जिसमें यूक्रेन में भारतीयों को सलाह दी गई कि जिनका
वहां रुकना जरूरी नहीं है, वहां से निकल जाएं.
उन्होंने यह भी बताया कि यूक्रेन में कुछ विश्वविद्यालयों ने छात्रों को
वहां से निकलने को लेकर हतोत्साहित किया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा
भारतीयों को यूक्रेन की यात्रा न करने या यूक्रेन के भीतर गैर-जरूरी
आवाजाही न करने की भी सलाह दूतावास की ओर से दी गई. इसके अलावा 20 एवं 22
फरवरी को भी परामर्श जारी किये गए.
विदेश मंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास ऐसे समय में किया गया था जब
यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई, हवाई हमले और गोलाबारी चल रही थी. उन्होंने
कहा कि सम्पूर्ण अभ्यास में पूरा तंत्र जुड़ा था जिसमें प्रधानमंत्री मोदी
स्वयं लगभग हर रोज समीक्षा बैठकों की अध्यक्षता कर रहे थे तथा विदेश
मंत्रालय में 24 घंटे के आधार पर निकासी कार्यों की निगरानी की गयी.
जयशंकर ने कहा कि इसमें हमें सभी मंत्रालयों, निजी एयरलाइंस सहित
विभिन्न संगठनों से उत्कृष्ट समर्थन मिला है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन एवं
पड़ोसी देशों में हमारे दूतावास ने बेहतर समन्वय से काम किया. जयशंकर ने कहा
कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ंिसधिया, किरेन रीजीजू, हरदीप ंिसह पुरी
तथा वी के ंिसह को पर्यवेक्षक के तौर पर भेजने का काफी लाभ हुआ. उन्होंने
कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की परंपरा पर चलते हुए ‘आॅपरेशन गंगा’ के तहत 147
विदेश नागरिकों को भी निकाल कर लाया गया.