बिलासपुर। छत्तीसगढ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने एक अहम फैसले में कहा
है कि अविवाहित बेटी अपनी खुद की शादी के लिए होने वाले खर्च की राशि
पालकों से मांग सकती है। यह उनका अधिकार है। डिवीजन बेंच ने हिंदू दत्तक
एवं भरण पोषण अधिनियम में दी गई व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए कहा कि
अधिनियम 1956 की धारा 20 में बच्चों एवं बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी
तय की गई है। इसमें विस्तृत व्याख्या की गई है। व्यवस्थाओं का पालन करना
हम सबका कर्तव्य बनता है। डिवीजन बेंच ने परिवार न्यायालय द्वारा दिए गए
फैसले को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता युवती के पक्ष में अपना फैसला सुनाया
है।
भिलाई निवासी राजेश्वरी ने वर्ष 2016 में अपने वकील के जरिए
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर परिवार न्यायालय के फैसले को चुनौती
दी थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि उनके पिता भानूराम भिलाई
स्टील प्लांट में कार्यरत हैं। जल्द ही उनकी सेवानिवृत्ति होने वाली है।
सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें करीब 55 लाख रुपये मिलेंगे। पिता के रिटायरमेंट
के बाद मिलने वाली राशि में से अपनी खुद की शादी के लिए 20 लाख रुपये
दिलाने की गुहार कोर्ट से लगाई थी।
बिलासपुर। छत्तीसगढ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने एक अहम फैसले में कहा
है कि अविवाहित बेटी अपनी खुद की शादी के लिए होने वाले खर्च की राशि
पालकों से मांग सकती है। यह उनका अधिकार है। डिवीजन बेंच ने हिंदू दत्तक
एवं भरण पोषण अधिनियम में दी गई व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए कहा कि
अधिनियम 1956 की धारा 20 में बच्चों एवं बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी
तय की गई है। इसमें विस्तृत व्याख्या की गई है। व्यवस्थाओं का पालन करना
हम सबका कर्तव्य बनता है। डिवीजन बेंच ने परिवार न्यायालय द्वारा दिए गए
फैसले को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता युवती के पक्ष में अपना फैसला सुनाया
है।
भिलाई निवासी राजेश्वरी ने वर्ष 2016 में अपने वकील के जरिए
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर परिवार न्यायालय के फैसले को चुनौती
दी थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि उनके पिता भानूराम भिलाई
स्टील प्लांट में कार्यरत हैं। जल्द ही उनकी सेवानिवृत्ति होने वाली है।
सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें करीब 55 लाख रुपये मिलेंगे। पिता के रिटायरमेंट
के बाद मिलने वाली राशि में से अपनी खुद की शादी के लिए 20 लाख रुपये
दिलाने की गुहार कोर्ट से लगाई थी।