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‘मार डारे मया म’ मुझे अलग पहचान दिलाएगी- लिप्सा मिश्रा :

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‘मार डारे मया म’ से छत्तीसगढ़ी सिनेमा को एक और नई एक्ट्रेस मिल गई हैं
लिप्सा मिश्रा। इसमें वे स्टार कलाकार अनुज शर्मा के अपोजिट नज़र आएंगी।
लिप्सा ओड़िशा से हैं और ओड़िया सिनेमा की सफल हीरोइनों में उनकी गिनती
होती है। लिप्सा कहती हैं- “ओड़िशा के बाद अब छत्तीसगढ़ी सिनेमा में भी
मुझे अपना एक अलग मुकाम बनाना है। ‘मार डारे मया म’ मुझे छत्तीसगढ़ के सिने
प्रेमियों के बीच एक अलग पहचान दिलाएगी।“


‘मिसाल न्यूज़’ व्दारा पूछे जाने पर कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा में आपको ऐसा
शानदार ब्रेक कैसे मिला, लिप्सा ने बताया- “अनुज शर्मा जी अपनी फ़िल्म ‘मोर
यार सुपर स्टार’ का शूट करने ओड़िशा आए हुए थे। यहां उन्होंने कहीं पर
मेरी तस्वीर देखी। उस समय ‘मार डारे मया म’ की प्लानिंग चल रही थी। अनुज जी
ने डायरेक्टर मनीष मानिकपुरी जी से कहा कि एक बार लिप्सा को देख लो। मनीष
जी ने मुझसे सपंर्क किया और पहली मुलाक़ात में ही ‘मार डारे मया म’ के लिए
मुझे ओके कर दिया।“



ग्लैमर की दुनिया में कैसे खींची चली आईं इस सवाल पर लिप्सा बताती हैं-
“मेरा बर्थ ओड़िशा का है। भुवनेश्वर में मेरी स्कूल एवं कॉलेज की पढ़ाई
हुई। कॉलेज के दिनों में ही ग्लैमर की दुनिया में जाने के रास्ते खुलने लगे
थे। पिछले दस साल से मैं ओड़िया फ़िल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हूं। वहां मैं
12 से 15 रीज़नल भाषा के रियलिटी शो में जज की हैसियत से जुड़ी थी। कुछ
में एंकरिंग भी की। 12 से अधिक ओड़िया भाषा की फ़िल्में कर चुकी हूं। बीच
में जाने-माने कॉस्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा जी के थियेटर से जुड़ी रही।
मुम्बई में प्रकाश भारव्दाज जी एवं नरेश पांचाल जी के ट्रेनिंग
इंस्टीट्यूट में फ़िल्मों से जुड़ी बारीकियां सीखीं। क्षेत्रिय भाषा के साथ
मेरा हिन्दी फ़िल्में करने का भी सपना था जो कि पूरा हुआ। मैंने पद्मश्री
नीला माधव पांडा जी की हिन्दी फ़िल्म ‘विश्वा’ की है।“


‘मारे डारे मया म’ शूट के दौरान कैसा एक्सपीरियेंस रहा, क्या ओड़िशावासी
होने के कारण भाषा से संबंधित कोई दिक्कत आई, इस प्रश्न पर उन्होंने कहा
कि ‘मारे डारे मया म’ की पूरी टीम को बड़ी लगन के साथ काम करते मैंने देखा।
मैंने पाया कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा में कोई भी बड़ा शॉट लेने से पहले यहां
के लोग उसकी रिहर्सल करते हैं। इस फ़िल्म में मेरी भूमिका दूसरी जगह से
छत्तीसगढ़ आई लड़की की है, इसलिए मेरे ज़्यादातर डायलॉग हिन्दी में थे। ऐसे
में मुझे अपने रोल को लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। यह ज़रूर कहना
चाहूंगी कि आगे भी मुझे छत्तीसगढ़ी फ़िल्में करना है और हो सकता है बाद
वाला सफ़र मेरे लिए थोड़ा चैलेंज वाला हो।“


हीरो, डायरेक्टर एवं प्रोड्यूसर किसी भी फ़िल्म के मजबूत स्तंभ होते
हैं, ‘मार डारे मया म’ में इन सब के साथ कैसा अनुभव रहा, इस सवाल पर लिप्सा
कहती हैं- “अनुज शर्मा जी पदमश्री होने के बाद भी डाउन टू अर्थ हैं। वह
अपने सहयोगी कलाकारों को सम्मान देने में कभी कोई कमी नहीं करते। मैं उनके
घर भी गई हूं। वहां मैंने उनकी मां के हाथों का बनाया हुआ फरहा-चीला खाया।
वाकई छत्तीसगढ़ी खाने की बात ही कुछ और है। मनीष मानिकपुरी जी अच्छे
डायरेक्टर होने के साथ बेहतरीन एडीटर भी हैं। उन्हें मालूम रहता है कि कहां
पर कैसा शॉट लेना है। वह एक भी अतिरिक्त शॉट नहीं लेते। गजेन्द्र
श्रीवास्तव जी हमारे गार्जियन की तरह हैं। वह ‘मार डारे मया म’ की टीम से
जुड़े लोगों को परिवार के सदस्यों की तरह ट्रीट करते रहे हैं।“


बातचीत की समाप्ति से पहले यह पूछने पर कि कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ कैसा
लगा? लिप्सा कहती हैं- “छत्तीसगढ़ में काफी धार्मिक स्थल हैं। यहां ऐसी कई
लोकेशन हैं जहां गानों का फ़िल्मांकन काफी अच्छी तरह किया जा सकता है।“
आख़री में इस चुलबुली हीरोइन ने हॅसते हुए कहा कहा- “हम मिश्रा हैं और
मिश्रा हर जगह मिक्स हो जाते हैं। ओड़िशा के साथ अब आपके छत्तीसगढ़ के भी
हो गए हैं।“



‘मार डारे मया म’ से छत्तीसगढ़ी सिनेमा को एक और नई एक्ट्रेस मिल गई हैं
लिप्सा मिश्रा। इसमें वे स्टार कलाकार अनुज शर्मा के अपोजिट नज़र आएंगी।
लिप्सा ओड़िशा से हैं और ओड़िया सिनेमा की सफल हीरोइनों में उनकी गिनती
होती है। लिप्सा कहती हैं- “ओड़िशा के बाद अब छत्तीसगढ़ी सिनेमा में भी
मुझे अपना एक अलग मुकाम बनाना है। ‘मार डारे मया म’ मुझे छत्तीसगढ़ के सिने
प्रेमियों के बीच एक अलग पहचान दिलाएगी।“


‘मिसाल न्यूज़’ व्दारा पूछे जाने पर कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा में आपको ऐसा
शानदार ब्रेक कैसे मिला, लिप्सा ने बताया- “अनुज शर्मा जी अपनी फ़िल्म ‘मोर
यार सुपर स्टार’ का शूट करने ओड़िशा आए हुए थे। यहां उन्होंने कहीं पर
मेरी तस्वीर देखी। उस समय ‘मार डारे मया म’ की प्लानिंग चल रही थी। अनुज जी
ने डायरेक्टर मनीष मानिकपुरी जी से कहा कि एक बार लिप्सा को देख लो। मनीष
जी ने मुझसे सपंर्क किया और पहली मुलाक़ात में ही ‘मार डारे मया म’ के लिए
मुझे ओके कर दिया।“



ग्लैमर की दुनिया में कैसे खींची चली आईं इस सवाल पर लिप्सा बताती हैं-
“मेरा बर्थ ओड़िशा का है। भुवनेश्वर में मेरी स्कूल एवं कॉलेज की पढ़ाई
हुई। कॉलेज के दिनों में ही ग्लैमर की दुनिया में जाने के रास्ते खुलने लगे
थे। पिछले दस साल से मैं ओड़िया फ़िल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हूं। वहां मैं
12 से 15 रीज़नल भाषा के रियलिटी शो में जज की हैसियत से जुड़ी थी। कुछ
में एंकरिंग भी की। 12 से अधिक ओड़िया भाषा की फ़िल्में कर चुकी हूं। बीच
में जाने-माने कॉस्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा जी के थियेटर से जुड़ी रही।
मुम्बई में प्रकाश भारव्दाज जी एवं नरेश पांचाल जी के ट्रेनिंग
इंस्टीट्यूट में फ़िल्मों से जुड़ी बारीकियां सीखीं। क्षेत्रिय भाषा के साथ
मेरा हिन्दी फ़िल्में करने का भी सपना था जो कि पूरा हुआ। मैंने पद्मश्री
नीला माधव पांडा जी की हिन्दी फ़िल्म ‘विश्वा’ की है।“


‘मारे डारे मया म’ शूट के दौरान कैसा एक्सपीरियेंस रहा, क्या ओड़िशावासी
होने के कारण भाषा से संबंधित कोई दिक्कत आई, इस प्रश्न पर उन्होंने कहा
कि ‘मारे डारे मया म’ की पूरी टीम को बड़ी लगन के साथ काम करते मैंने देखा।
मैंने पाया कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा में कोई भी बड़ा शॉट लेने से पहले यहां
के लोग उसकी रिहर्सल करते हैं। इस फ़िल्म में मेरी भूमिका दूसरी जगह से
छत्तीसगढ़ आई लड़की की है, इसलिए मेरे ज़्यादातर डायलॉग हिन्दी में थे। ऐसे
में मुझे अपने रोल को लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। यह ज़रूर कहना
चाहूंगी कि आगे भी मुझे छत्तीसगढ़ी फ़िल्में करना है और हो सकता है बाद
वाला सफ़र मेरे लिए थोड़ा चैलेंज वाला हो।“


हीरो, डायरेक्टर एवं प्रोड्यूसर किसी भी फ़िल्म के मजबूत स्तंभ होते
हैं, ‘मार डारे मया म’ में इन सब के साथ कैसा अनुभव रहा, इस सवाल पर लिप्सा
कहती हैं- “अनुज शर्मा जी पदमश्री होने के बाद भी डाउन टू अर्थ हैं। वह
अपने सहयोगी कलाकारों को सम्मान देने में कभी कोई कमी नहीं करते। मैं उनके
घर भी गई हूं। वहां मैंने उनकी मां के हाथों का बनाया हुआ फरहा-चीला खाया।
वाकई छत्तीसगढ़ी खाने की बात ही कुछ और है। मनीष मानिकपुरी जी अच्छे
डायरेक्टर होने के साथ बेहतरीन एडीटर भी हैं। उन्हें मालूम रहता है कि कहां
पर कैसा शॉट लेना है। वह एक भी अतिरिक्त शॉट नहीं लेते। गजेन्द्र
श्रीवास्तव जी हमारे गार्जियन की तरह हैं। वह ‘मार डारे मया म’ की टीम से
जुड़े लोगों को परिवार के सदस्यों की तरह ट्रीट करते रहे हैं।“


बातचीत की समाप्ति से पहले यह पूछने पर कि कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ कैसा
लगा? लिप्सा कहती हैं- “छत्तीसगढ़ में काफी धार्मिक स्थल हैं। यहां ऐसी कई
लोकेशन हैं जहां गानों का फ़िल्मांकन काफी अच्छी तरह किया जा सकता है।“
आख़री में इस चुलबुली हीरोइन ने हॅसते हुए कहा कहा- “हम मिश्रा हैं और
मिश्रा हर जगह मिक्स हो जाते हैं। ओड़िशा के साथ अब आपके छत्तीसगढ़ के भी
हो गए हैं।“



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