नई दिल्ली | भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार दिल्ली की आर-वैल्यू (R-Value) जो कोविड-19 के प्रसार का संकेत देती है, इस सप्ताह 2.1 दर्ज की गई। इसका अर्थ है कि राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमित प्रत्येक व्यक्ति दो अन्य लोगों को संक्रमित कर रहा है। 'आर' यानि प्रजनन दर यह इंगित करती है कि एक संक्रमित व्यक्ति कितने अन्य लोगों में बीमारी फैला सकता है। यदि यह एक से नीचे चला जाता है तो इसे महामारी की समाप्ति मान लिया जाता है।
कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग द्वारा प्रारंभिक विश्लेषण आईआईटी-मद्रास के गणित विभाग और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर कम्प्यूटेशनल मैथमेटिक्स एंड डेटा साइंस द्वारा किया गया था, जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर नीलेश एस उपाध्याय और प्रोफेसर एस सुंदर ने की थी। जानकारी के अनुसार, इस सप्ताह दिल्ली की 'आर-वैल्यू' 2.1 दर्ज की गई थी। विश्लेषण में पाया गया कि वर्तमान में भारत की 'आर-वैल्यू' 1.3 है।
यह पूछे जाने पर कि क्या यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह दिल्ली में कोविड-19 की संभावित चौथी लहर की शुरुआत है। इस पर आईआईटी-मद्रास के गणित विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जयंत झा ने कहा कि एक और लहर की शुरुआत की घोषणा करना जल्दबाजी होगी।
उन्होंने बताया कि हम अभी केवल यह कह सकते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति दो अन्य लोगों को प्रभावित कर रहा है, लेकिन हमें लहर की शुरुआत की घोषणा करने के लिए थोड़ा इंतजार करने की आवश्यकता है। हम अभी लोगों की रोग प्रतिरक्षा की स्थिति के बारे में नहीं जानते हैं और ये भी नहीं जानते हैं कि जो लोग जनवरी में तीसरी लहर के दौरान प्रभावित हुए हैं, वे फिर से प्रभावित हो रहे हैं या नहीं।
गौरतलब है कि दिल्ली में कोविड-19 के मामलों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। राजधानी में शुक्रवार को 4.64 प्रतिशत संक्रमण दर के साथ 1,042 नए कोविड मामले दर्ज किए गए। सूत्रों ने गुरुवार को बताया था कि अप्रैल के पहले पखवाड़े में दिल्ली से लिए गए अधिकांश नमूनों में ओमिक्रॉन के उप-प्रकार बीए.2.12 (Omicron Sub-Lineage BA.2.12) का पता चला है और यह शहर में कोविड-19 के मामलों में हालिया उछाल के पीछे का कारण हो सकता है।एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि नए उप-प्रकार बीए.2.12 (52 प्रतिशत नमूने) और बीए.2.10 (11 प्रतिशत नमूने) उच्च संचरण दिखा रहे हैं और हाल ही में दिल्ली से अनुक्रमित कुल नमूनों में से 60 प्रतिशत से अधिक में पाए गए हैं।
नई दिल्ली | भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार दिल्ली की आर-वैल्यू (R-Value) जो कोविड-19 के प्रसार का संकेत देती है, इस सप्ताह 2.1 दर्ज की गई। इसका अर्थ है कि राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमित प्रत्येक व्यक्ति दो अन्य लोगों को संक्रमित कर रहा है। 'आर' यानि प्रजनन दर यह इंगित करती है कि एक संक्रमित व्यक्ति कितने अन्य लोगों में बीमारी फैला सकता है। यदि यह एक से नीचे चला जाता है तो इसे महामारी की समाप्ति मान लिया जाता है।
कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग द्वारा प्रारंभिक विश्लेषण आईआईटी-मद्रास के गणित विभाग और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर कम्प्यूटेशनल मैथमेटिक्स एंड डेटा साइंस द्वारा किया गया था, जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर नीलेश एस उपाध्याय और प्रोफेसर एस सुंदर ने की थी। जानकारी के अनुसार, इस सप्ताह दिल्ली की 'आर-वैल्यू' 2.1 दर्ज की गई थी। विश्लेषण में पाया गया कि वर्तमान में भारत की 'आर-वैल्यू' 1.3 है।
यह पूछे जाने पर कि क्या यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह दिल्ली में कोविड-19 की संभावित चौथी लहर की शुरुआत है। इस पर आईआईटी-मद्रास के गणित विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जयंत झा ने कहा कि एक और लहर की शुरुआत की घोषणा करना जल्दबाजी होगी।
उन्होंने बताया कि हम अभी केवल यह कह सकते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति दो अन्य लोगों को प्रभावित कर रहा है, लेकिन हमें लहर की शुरुआत की घोषणा करने के लिए थोड़ा इंतजार करने की आवश्यकता है। हम अभी लोगों की रोग प्रतिरक्षा की स्थिति के बारे में नहीं जानते हैं और ये भी नहीं जानते हैं कि जो लोग जनवरी में तीसरी लहर के दौरान प्रभावित हुए हैं, वे फिर से प्रभावित हो रहे हैं या नहीं।
गौरतलब है कि दिल्ली में कोविड-19 के मामलों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। राजधानी में शुक्रवार को 4.64 प्रतिशत संक्रमण दर के साथ 1,042 नए कोविड मामले दर्ज किए गए। सूत्रों ने गुरुवार को बताया था कि अप्रैल के पहले पखवाड़े में दिल्ली से लिए गए अधिकांश नमूनों में ओमिक्रॉन के उप-प्रकार बीए.2.12 (Omicron Sub-Lineage BA.2.12) का पता चला है और यह शहर में कोविड-19 के मामलों में हालिया उछाल के पीछे का कारण हो सकता है।एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि नए उप-प्रकार बीए.2.12 (52 प्रतिशत नमूने) और बीए.2.10 (11 प्रतिशत नमूने) उच्च संचरण दिखा रहे हैं और हाल ही में दिल्ली से अनुक्रमित कुल नमूनों में से 60 प्रतिशत से अधिक में पाए गए हैं।