रायपुर। राजधानी की लाइफ लाइन
कही जाने वाली सिटी बसों का संचालन पिछले तीन सालों से बंद है। खड़ी-खड़ी ये
बसें कबाड़ हो गई हैं। आपरेटरों को संचालन शुरू करने से पहले बसों की
मरम्मत करानी पड़ेगी। मरम्मत के लिए बस आपरेटर द्वारा शासन से तीन करोड़
रुपये की मांग की जा रही है। बसों का संचालन शुरू करने के लिए निगम प्रशासन
ने आपरेटर को कई बार नोटिस जारी किया, लेकिन अब तक बसें नहीं चल पाई हैं।
सिटी बसों के बंद होने का सीधा असर लोगों की जेबों पर पड़ रहा है। लोग आटो
में अधिक किराया देकर सफर करने को मजबूर हैं। निगम के अधिकारी का कहना है
कि बसों के संचालन पर निर्णय लेने के लिए 25 अप्रैल को बैठक होनी थी, जिसे
मंगलवार के लिए टाल दिया गया है। ज्ञात
हो कि राजधानी में वर्ष 2013 में रायपुर नगर निगम द्वारा 100 सिटी बसें
खरीदकर उनके संचालन का जिम्मा, रायपुर बस सर्विस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को
दिया गया था। कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान 22 मार्च 2020 को सिटी
बसों का संचालन बंद कर दिया गया। अप्रैल-2020 से बसों का टैक्स नहीं पटा
है। बीमा खत्म हो गया है और परमिट की अवधि भी समाप्त हो गई है। बस आपरेटर
का कहना है कि शासन, मरम्मत का खर्च देगा तभी बसों का संचालन संभव है।
रायपुर। राजधानी की लाइफ लाइन
कही जाने वाली सिटी बसों का संचालन पिछले तीन सालों से बंद है। खड़ी-खड़ी ये
बसें कबाड़ हो गई हैं। आपरेटरों को संचालन शुरू करने से पहले बसों की
मरम्मत करानी पड़ेगी। मरम्मत के लिए बस आपरेटर द्वारा शासन से तीन करोड़
रुपये की मांग की जा रही है। बसों का संचालन शुरू करने के लिए निगम प्रशासन
ने आपरेटर को कई बार नोटिस जारी किया, लेकिन अब तक बसें नहीं चल पाई हैं।
सिटी बसों के बंद होने का सीधा असर लोगों की जेबों पर पड़ रहा है। लोग आटो
में अधिक किराया देकर सफर करने को मजबूर हैं। निगम के अधिकारी का कहना है
कि बसों के संचालन पर निर्णय लेने के लिए 25 अप्रैल को बैठक होनी थी, जिसे
मंगलवार के लिए टाल दिया गया है। ज्ञात
हो कि राजधानी में वर्ष 2013 में रायपुर नगर निगम द्वारा 100 सिटी बसें
खरीदकर उनके संचालन का जिम्मा, रायपुर बस सर्विस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को
दिया गया था। कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान 22 मार्च 2020 को सिटी
बसों का संचालन बंद कर दिया गया। अप्रैल-2020 से बसों का टैक्स नहीं पटा
है। बीमा खत्म हो गया है और परमिट की अवधि भी समाप्त हो गई है। बस आपरेटर
का कहना है कि शासन, मरम्मत का खर्च देगा तभी बसों का संचालन संभव है।