रायपुर । दान में मिले करीब तीन करोड़
के 20 वेंटिलेटर अब तक धूल खाते पड़े हैं। जीवन रक्षक मशीनों का कहीं उपयोग
हो, इसलिए अब जिला विभाग ने स्वास्थ्य संचालक को पत्र लिखा गया है। इसमें
उन्होंने उपयोग के अनुसार जरूरतमंद सरकारी अस्पतालों को इसे निश्शुल्क
देने की बात कही है। जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कोरोनाकाल में स्वास्थ्य
व्यवस्था बेहतर करने के लिए विभिन्ना सामाजिक संगठन सामने आए। उनके द्वारा
विभाग को छह करोड़ रुपये से अधिक स्वास्थ्य सामाग्रियां दान में दी गईं।
इसमें से बिस्तर, दवाएं, मास्क, ग्लब्स, पीपीई किट, आक्सीजन सिलेंडर,
कंसनट्रेटर जैसे अन्य तमाम सामान चिकित्सकीय कार्यों में उपयोग कर लिए गए।
लेकिन 20 वेंटिलेटर अब तक किसी भी शासकीय अस्पताल में उपयोग नहीं किया गया
है। इसकी लागत करीब तीन करोड़ बताई गई है। उपयोग ना होने की वजह से इसे माना
अस्पताल में रखा गया है। अधिकारियों ने कहा है कि जिस सरकारी अस्पताल को
इसकी आवश्यकता हो वह निश्शुल्क ले जा सकते हैं।
रायपुर । दान में मिले करीब तीन करोड़
के 20 वेंटिलेटर अब तक धूल खाते पड़े हैं। जीवन रक्षक मशीनों का कहीं उपयोग
हो, इसलिए अब जिला विभाग ने स्वास्थ्य संचालक को पत्र लिखा गया है। इसमें
उन्होंने उपयोग के अनुसार जरूरतमंद सरकारी अस्पतालों को इसे निश्शुल्क
देने की बात कही है। जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कोरोनाकाल में स्वास्थ्य
व्यवस्था बेहतर करने के लिए विभिन्ना सामाजिक संगठन सामने आए। उनके द्वारा
विभाग को छह करोड़ रुपये से अधिक स्वास्थ्य सामाग्रियां दान में दी गईं।
इसमें से बिस्तर, दवाएं, मास्क, ग्लब्स, पीपीई किट, आक्सीजन सिलेंडर,
कंसनट्रेटर जैसे अन्य तमाम सामान चिकित्सकीय कार्यों में उपयोग कर लिए गए।
लेकिन 20 वेंटिलेटर अब तक किसी भी शासकीय अस्पताल में उपयोग नहीं किया गया
है। इसकी लागत करीब तीन करोड़ बताई गई है। उपयोग ना होने की वजह से इसे माना
अस्पताल में रखा गया है। अधिकारियों ने कहा है कि जिस सरकारी अस्पताल को
इसकी आवश्यकता हो वह निश्शुल्क ले जा सकते हैं।