नई दिल्ली। माणिक साहा ने त्रिपुरा के नए सीएम के तौर पर शपथ ली है। वह राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बने हैं। उन्हें बिप्लव देव के इस्तीफे का बाद भाजपा ने यह जिम्मेदारी सौंपी है। राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने चमचमाते दरबार हॉल में एक सादे समारोह में साहा को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। साहा ने अकेले ही शपथ ली क्योंकि मुख्यमंत्री के अचानक बदलने के बाद विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के बीच बड़े पैमाने पर कथित असंतोष के कारण पार्टी ने अभी तक उनके कैबिनेट सदस्यों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
बिप्लव कुमार देव के मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा और राम प्रसाद पॉल सहित तीन पूर्व मंत्री तथा कई विधायक शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहे। विप्लव देव हालांकि रतन लाल नाथ और आईपीएफटी नेता एवं पूर्व आदिवासी कल्याण मंत्री मेवार कुमार जमातिया तथा कुछ अन्य विधायकों और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे।
सीएम बनने के बाद साहा ने कहा, ''हम पीएम मोदी और बीजेपी के विकास के मुद्दे को लेकर आगे बढ़ेंगे। हम त्रिपुरा के लोगों के मुद्दों को हल करने के साथ-साथ राज्य में कानून-व्यवस्था को भी बढ़ाएंगे। हमारे लिए कोई राजनीतिक चुनौती नहीं है।''
आपको बता दें कि साहा कांग्रेस छोड़कर 2016 में भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा में आने के बाद माणिक को चार साल बाद 2020 में प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बनाया गया। वह त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी बने। साहा को हाल ही में राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था और अब उन्हें नए सीएम के रूप में घोषित किया गया है। माणिक साहा पेशे से डेंटिस्ट हैं और उनकी छवि बेहद साफ-सुथरी मानी जाती है। माणिक को भाजपा में किसी खेमे का नहीं माना जाता है।
2016 में कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल हुए साहा
माणिक साहा त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। मुख्यधारा की राजनीति में आने से पहले वह हापनिया स्थित त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में पढ़ाया करते थे। साहा 2016 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्हें 2020 में पार्टी प्रमुख बनाया गया और इस साल मार्च में राज्यसभा के लिए चुने गए। साहा ने खुद को मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद कहा कि मैं पार्टी का एक आम कार्यकर्ता हूं और आगे भी रहूंगा।
इस्तीफे के बाद देब बोले- पार्टी सबसे ऊपर
देब ने राज्य में तेजी से बढ़ते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच अपने पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने राज्य के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को अपना इस्तीफा सौंपा। देब ने कहा, "पार्टी सबसे ऊपर है। मैं भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं। मुझे लगता है कि जो जिम्मेदारी दी गई, उसके साथ मैंने न्याय किया फिर चाहे राज्य भाजपा इकाई के अध्यक्ष का पद हो या त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी। मैंने त्रिपुरा के संपूर्ण विकास के लिए कार्य किया और सुनिश्चित किया कि राज्य के लोगों के लिए शांति हो।"
नई दिल्ली। माणिक साहा ने त्रिपुरा के नए सीएम के तौर पर शपथ ली है। वह राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बने हैं। उन्हें बिप्लव देव के इस्तीफे का बाद भाजपा ने यह जिम्मेदारी सौंपी है। राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने चमचमाते दरबार हॉल में एक सादे समारोह में साहा को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। साहा ने अकेले ही शपथ ली क्योंकि मुख्यमंत्री के अचानक बदलने के बाद विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के बीच बड़े पैमाने पर कथित असंतोष के कारण पार्टी ने अभी तक उनके कैबिनेट सदस्यों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
बिप्लव कुमार देव के मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा और राम प्रसाद पॉल सहित तीन पूर्व मंत्री तथा कई विधायक शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहे। विप्लव देव हालांकि रतन लाल नाथ और आईपीएफटी नेता एवं पूर्व आदिवासी कल्याण मंत्री मेवार कुमार जमातिया तथा कुछ अन्य विधायकों और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे।
सीएम बनने के बाद साहा ने कहा, ''हम पीएम मोदी और बीजेपी के विकास के मुद्दे को लेकर आगे बढ़ेंगे। हम त्रिपुरा के लोगों के मुद्दों को हल करने के साथ-साथ राज्य में कानून-व्यवस्था को भी बढ़ाएंगे। हमारे लिए कोई राजनीतिक चुनौती नहीं है।''
आपको बता दें कि साहा कांग्रेस छोड़कर 2016 में भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा में आने के बाद माणिक को चार साल बाद 2020 में प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बनाया गया। वह त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी बने। साहा को हाल ही में राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था और अब उन्हें नए सीएम के रूप में घोषित किया गया है। माणिक साहा पेशे से डेंटिस्ट हैं और उनकी छवि बेहद साफ-सुथरी मानी जाती है। माणिक को भाजपा में किसी खेमे का नहीं माना जाता है।
2016 में कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल हुए साहा
माणिक साहा त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। मुख्यधारा की राजनीति में आने से पहले वह हापनिया स्थित त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में पढ़ाया करते थे। साहा 2016 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्हें 2020 में पार्टी प्रमुख बनाया गया और इस साल मार्च में राज्यसभा के लिए चुने गए। साहा ने खुद को मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद कहा कि मैं पार्टी का एक आम कार्यकर्ता हूं और आगे भी रहूंगा।
इस्तीफे के बाद देब बोले- पार्टी सबसे ऊपर
देब ने राज्य में तेजी से बढ़ते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच अपने पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने राज्य के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को अपना इस्तीफा सौंपा। देब ने कहा, "पार्टी सबसे ऊपर है। मैं भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं। मुझे लगता है कि जो जिम्मेदारी दी गई, उसके साथ मैंने न्याय किया फिर चाहे राज्य भाजपा इकाई के अध्यक्ष का पद हो या त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी। मैंने त्रिपुरा के संपूर्ण विकास के लिए कार्य किया और सुनिश्चित किया कि राज्य के लोगों के लिए शांति हो।"