बिलासपुर। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद
(नैक) मुख्यालय बेंगलुरु ने मंगलवार को शासकीय माता शबरी नवीन कन्या
स्नातकोत्तर महाविद्यालय को 2.45 सीजीपीए अंक के साथ बी ग्रेड से नवाजा है।
रैंकिंग पायदान में भले ही पिछले रिकार्ड के मुकाबले 0.9 अंकों की गिरावट
आई है, लेकिन कोविड-19 महामारी के बीच नई रैंकिंग मिलने से महाविद्यालय
परिवार में खुशी देखी गई। शासकीय माता शबरी नवीन कन्या कालेज में नौ व
10 मई को नैक पीयर टीम ने निरीक्षण किया था। इसमें चेयरमैन के रूप में
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतीहारी के कुलाधिपति डा.जी गोपाल
रेड्डी, सदस्यों के रूप में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई
दिल्ली की प्राध्यापक डा.हालिमा सादिया रिजवी, गुरु गोविंद सिंह कालेज
चंडीगढ़ के डा. जतिंदर कौर सिद्धू पहुंचे थे। निरीक्षण के दौरान कई खामियां
भी मिली थी। यही कारण है कि महाविद्यालय को बी प्लस से ऊपर की
ग्रेडिंग नसीब नहीं हुई। जबकि ग्रेडिंग के अनेक फायदे हैं। संस्था को
राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलती है। गुणवत्ता युक्त शिक्षा का पता चलता
है। विद्यार्थियों की अंकसूची में ग्रेडिंग अंकित होती है। रूसा से अनुदान
मिलने में आसानी होती है।
बिलासपुर। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद
(नैक) मुख्यालय बेंगलुरु ने मंगलवार को शासकीय माता शबरी नवीन कन्या
स्नातकोत्तर महाविद्यालय को 2.45 सीजीपीए अंक के साथ बी ग्रेड से नवाजा है।
रैंकिंग पायदान में भले ही पिछले रिकार्ड के मुकाबले 0.9 अंकों की गिरावट
आई है, लेकिन कोविड-19 महामारी के बीच नई रैंकिंग मिलने से महाविद्यालय
परिवार में खुशी देखी गई। शासकीय माता शबरी नवीन कन्या कालेज में नौ व
10 मई को नैक पीयर टीम ने निरीक्षण किया था। इसमें चेयरमैन के रूप में
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतीहारी के कुलाधिपति डा.जी गोपाल
रेड्डी, सदस्यों के रूप में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई
दिल्ली की प्राध्यापक डा.हालिमा सादिया रिजवी, गुरु गोविंद सिंह कालेज
चंडीगढ़ के डा. जतिंदर कौर सिद्धू पहुंचे थे। निरीक्षण के दौरान कई खामियां
भी मिली थी। यही कारण है कि महाविद्यालय को बी प्लस से ऊपर की
ग्रेडिंग नसीब नहीं हुई। जबकि ग्रेडिंग के अनेक फायदे हैं। संस्था को
राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलती है। गुणवत्ता युक्त शिक्षा का पता चलता
है। विद्यार्थियों की अंकसूची में ग्रेडिंग अंकित होती है। रूसा से अनुदान
मिलने में आसानी होती है।