रायपुर। छत्तीसगढ़ की साइबर पुलिस ने एक हाई-प्रोफाइल ठगी मामले में 24 घंटे के भीतर बड़ी सफलता हासिल की है। साइबर पुलिस ने पंडरी निवासी 58 वर्षीय महिला से 58 लाख रुपए की ठगी करने वाले आरोपियों में से एक को हिरासत में ले लिया है। आरोपी जसविंदर सिंह साहनी के पास से नकद 9.50 लाख रुपए के साथ बैंक खाता, चेक बुक और मोबाइल फोन जब्त किया गया है। साइबर ठगी की शिकार महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि कुछ अज्ञात मोबाइल नंबर धारकों ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए उनके आधार कार्ड के दुरुपयोग से 311 बैंक अकाउंट खुलवाने की झूठी कहानी बनाई। इसके बाद उन्हें 24 घंटे व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर बने रहने की धमकी देकर "डिजिटल अरेस्ट" किया गया और 58 लाख रुपए की ठगी कर ली।
मामले की गंभीरता को देखते हुए रायपुर साइबर पुलिस ने जांच शुरू कर दी। जांच टीम ने तकनीकी साक्ष्य जुटाकर आरोपी की पहचान करने और ठगी की रकम बरामद करने में जुट गई। साइबर पुलिस की त्वरित कार्रवाई से आरोपी जसविंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। साइबर ठगों ने एक नया पैटर्न अपनाया है, जिसे "डिजिटल अरेस्ट" कहा जा रहा है। ठग खुद को पुलिस अधिकारी, कस्टम अफसर या अन्य उच्च पदाधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। वीडियो कॉल पर जुड़ने का दबाव बनाते हुए कहते हैं कि वे गिरफ्तारी के तहत हैं और उनसे बचने के लिए पैसे मांगते हैं।
ठग अभिभावकों को फोन कर उनके बच्चों को हिरासत में लेने की धमकी देते हैं। वे खुद को पुलिस अधिकारी या कस्टम अफसर बताकर झूठे मामलों में बच्चों को फंसाने की धमकी देते हैं और पैसे की मांग करते हैं। खासतौर पर निशाना उन परिवारों को बनाया जाता है जिनके बच्चे दूसरे शहरों में पढ़ाई या नौकरी कर रहे होते हैं।
किसी अनजान व्यक्ति की वीडियो कॉल न उठाएं।
हिरासत की धमकी मिलने पर तुरंत पुलिस को सूचना दें।
किसी भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से पहले सोच-समझकर कदम उठाएं।
बच्चों से संपर्क कर उनकी स्थिति की पुष्टि करें, बिना जांच के पैसे न भेजें।
रात में मोबाइल पर इंटरनेट बंद रखें और अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
ओटीपी या बैंक संबंधित जानकारी किसी को न दें।
साइबर ठग पुलिस अधिकारियों की फर्जी आईडी बनाकर भी लोगों से पैसे वसूलने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए किसी भी संदिग्ध अकाउंट से संदेश मिलने पर सावधान रहें और तुरंत इसकी सूचना संबंधित विभाग को दें।
रायपुर। छत्तीसगढ़ की साइबर पुलिस ने एक हाई-प्रोफाइल ठगी मामले में 24 घंटे के भीतर बड़ी सफलता हासिल की है। साइबर पुलिस ने पंडरी निवासी 58 वर्षीय महिला से 58 लाख रुपए की ठगी करने वाले आरोपियों में से एक को हिरासत में ले लिया है। आरोपी जसविंदर सिंह साहनी के पास से नकद 9.50 लाख रुपए के साथ बैंक खाता, चेक बुक और मोबाइल फोन जब्त किया गया है। साइबर ठगी की शिकार महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि कुछ अज्ञात मोबाइल नंबर धारकों ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए उनके आधार कार्ड के दुरुपयोग से 311 बैंक अकाउंट खुलवाने की झूठी कहानी बनाई। इसके बाद उन्हें 24 घंटे व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर बने रहने की धमकी देकर "डिजिटल अरेस्ट" किया गया और 58 लाख रुपए की ठगी कर ली।
मामले की गंभीरता को देखते हुए रायपुर साइबर पुलिस ने जांच शुरू कर दी। जांच टीम ने तकनीकी साक्ष्य जुटाकर आरोपी की पहचान करने और ठगी की रकम बरामद करने में जुट गई। साइबर पुलिस की त्वरित कार्रवाई से आरोपी जसविंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। साइबर ठगों ने एक नया पैटर्न अपनाया है, जिसे "डिजिटल अरेस्ट" कहा जा रहा है। ठग खुद को पुलिस अधिकारी, कस्टम अफसर या अन्य उच्च पदाधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। वीडियो कॉल पर जुड़ने का दबाव बनाते हुए कहते हैं कि वे गिरफ्तारी के तहत हैं और उनसे बचने के लिए पैसे मांगते हैं।
ठग अभिभावकों को फोन कर उनके बच्चों को हिरासत में लेने की धमकी देते हैं। वे खुद को पुलिस अधिकारी या कस्टम अफसर बताकर झूठे मामलों में बच्चों को फंसाने की धमकी देते हैं और पैसे की मांग करते हैं। खासतौर पर निशाना उन परिवारों को बनाया जाता है जिनके बच्चे दूसरे शहरों में पढ़ाई या नौकरी कर रहे होते हैं।
किसी अनजान व्यक्ति की वीडियो कॉल न उठाएं।
हिरासत की धमकी मिलने पर तुरंत पुलिस को सूचना दें।
किसी भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से पहले सोच-समझकर कदम उठाएं।
बच्चों से संपर्क कर उनकी स्थिति की पुष्टि करें, बिना जांच के पैसे न भेजें।
रात में मोबाइल पर इंटरनेट बंद रखें और अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
ओटीपी या बैंक संबंधित जानकारी किसी को न दें।
साइबर ठग पुलिस अधिकारियों की फर्जी आईडी बनाकर भी लोगों से पैसे वसूलने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए किसी भी संदिग्ध अकाउंट से संदेश मिलने पर सावधान रहें और तुरंत इसकी सूचना संबंधित विभाग को दें।