- फैमिली के साथ धार्मिक स्थलों पर जाने का अपना ही एक अलग अनुभव होता है। ऐसी जगहों पर जाकर मन पवित्र और शांत हो जाता है, इसलिए आपको परिवार के साथ चित्रकूट धाम की यात्रा का प्लान बनाना चाहिए। यह पवित्र स्थल मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित हैं, जिसे भगवान राम के वनवास स्थान के रूप में भी जाना जाता है। यही वजह है कि हिंदू धर्म में इस स्थान का अपना ही एक अलग महत्व है। मान्यता है कि प्रभु श्री राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण ने वनवास का लंबा समय इसी स्थान पर गुजारा था, ऐसे में यहां पर कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जहां आप अपने परिवार सहित घूमने जा सकते हैं।
आज के आर्टिकल में हम आपको चित्रकूट के उन पवित्र स्थानों के बारे में, जहां आप घूमने के लिए जा सकते हैं। तो देर किस बात की, आइए जानते हैं इन स्थानों के बारे में-
रामघाट चित्रकूट-
रामघाट वह पवित्र स्थान है, जहां प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और सीता तुलसीदास से मिले थे। बता दें कि यह घाट मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है, जहां प्रभु श्री राम ने रुककर स्नान किया था, इस कारण यह नदी और भी पवित्र मानी जाती है। यह चित्रकूट के मुख्य दार्शनिक स्थलों में से एक है।
हनुमान धारा-
हनुमान धारा चित्रकूट में स्थित प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है पहाडियों पर बना है, जिसे भगवान हनुमान को समर्पित किया गया है। भक्तों को दर्शन के लिए 350 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है, तब जाकर प्रभु हनूमान के दर्शन होते हैं। माना जाता है कि प्रभु हनुमान ने लंका जलाने के बाद इस पहाड़ी से ही छलांग लगाई थी, जिसके बाद गुस्सा शांत करने के लिए वो ठंडे पानी में खड़े हुए थे। यही वजह है कि इस जगह को हनुमान धारा के नाम से जाना जाता है।
गुप्त गोदावरी-
चित्रकूट शहर से 18 किलोमीटर की दूरी पर गुप्तगोदावरी स्थित है। बताया जाता है कि गोदावरी गुफा के अंदर की चट्टानों से एक बारहमासी धारा निकलती है। यहां एक अंधेरी गुफा में 15- 16 गज भीतर सीताकुंड है। कहा जाता है कि यह चट्टान विशाल दानव मयंक का अवशेष हैं। माना जाता है कि वनवास के दौरान प्रभु श्री राम यहां रुके थे।
सती अनुसुइया आश्रम-
सती अनुसुइया आश्रम शहर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ है। जिसके चारों तरफ खूब हरियाली देखने को मिलती है, पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि अत्रि मुनि अपनी पत्नी अनुसुइया और तीन बेटों के साथ इस जगह पर रहते थे। भगवान राम, माता सीता के साथ इस जगह पर आए थे, जहैं देवी अनुसुइया ने माता सीता को सतित्व का महत्व बताया था।
भरात मिलाप मंदिर-
यह मंदिर कामदगिरि पर्वत पर स्थित है। रामायण के अनुसार माना जाता है कि यह मंदिर उस हिस्से को दिखाता है, जब भगवान श्री राम को वनवास छोड़कर अयोध्या वापस लौटने के लिए मनाने आए थे।
कालिंजर किला-
यह किला चित्रकूट के पास स्थित बांदा जिले में है। वैसे तो यह चित्रकूट से थोड़ा दूर है, मगर आप यहां जाने का मन बना सकती हैं। बता दें कि इस किले का अपना की एक अलग इतिहास है, यहां पहले कभी चंदेल शासक शासन किया करते थे। समय-समय पर इसक किले को कई बार जितने की कोशिश की गई, मगर इसे कोई जीत नहीं पाया। अगर आप इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं तो यह किला जरूर घूमने जाएं।
- फैमिली के साथ धार्मिक स्थलों पर जाने का अपना ही एक अलग अनुभव होता है। ऐसी जगहों पर जाकर मन पवित्र और शांत हो जाता है, इसलिए आपको परिवार के साथ चित्रकूट धाम की यात्रा का प्लान बनाना चाहिए। यह पवित्र स्थल मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित हैं, जिसे भगवान राम के वनवास स्थान के रूप में भी जाना जाता है। यही वजह है कि हिंदू धर्म में इस स्थान का अपना ही एक अलग महत्व है। मान्यता है कि प्रभु श्री राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण ने वनवास का लंबा समय इसी स्थान पर गुजारा था, ऐसे में यहां पर कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जहां आप अपने परिवार सहित घूमने जा सकते हैं।
आज के आर्टिकल में हम आपको चित्रकूट के उन पवित्र स्थानों के बारे में, जहां आप घूमने के लिए जा सकते हैं। तो देर किस बात की, आइए जानते हैं इन स्थानों के बारे में-
रामघाट चित्रकूट-
रामघाट वह पवित्र स्थान है, जहां प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और सीता तुलसीदास से मिले थे। बता दें कि यह घाट मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है, जहां प्रभु श्री राम ने रुककर स्नान किया था, इस कारण यह नदी और भी पवित्र मानी जाती है। यह चित्रकूट के मुख्य दार्शनिक स्थलों में से एक है।
हनुमान धारा-
हनुमान धारा चित्रकूट में स्थित प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है पहाडियों पर बना है, जिसे भगवान हनुमान को समर्पित किया गया है। भक्तों को दर्शन के लिए 350 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है, तब जाकर प्रभु हनूमान के दर्शन होते हैं। माना जाता है कि प्रभु हनुमान ने लंका जलाने के बाद इस पहाड़ी से ही छलांग लगाई थी, जिसके बाद गुस्सा शांत करने के लिए वो ठंडे पानी में खड़े हुए थे। यही वजह है कि इस जगह को हनुमान धारा के नाम से जाना जाता है।
गुप्त गोदावरी-
चित्रकूट शहर से 18 किलोमीटर की दूरी पर गुप्तगोदावरी स्थित है। बताया जाता है कि गोदावरी गुफा के अंदर की चट्टानों से एक बारहमासी धारा निकलती है। यहां एक अंधेरी गुफा में 15- 16 गज भीतर सीताकुंड है। कहा जाता है कि यह चट्टान विशाल दानव मयंक का अवशेष हैं। माना जाता है कि वनवास के दौरान प्रभु श्री राम यहां रुके थे।
सती अनुसुइया आश्रम-
सती अनुसुइया आश्रम शहर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ है। जिसके चारों तरफ खूब हरियाली देखने को मिलती है, पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि अत्रि मुनि अपनी पत्नी अनुसुइया और तीन बेटों के साथ इस जगह पर रहते थे। भगवान राम, माता सीता के साथ इस जगह पर आए थे, जहैं देवी अनुसुइया ने माता सीता को सतित्व का महत्व बताया था।
भरात मिलाप मंदिर-
यह मंदिर कामदगिरि पर्वत पर स्थित है। रामायण के अनुसार माना जाता है कि यह मंदिर उस हिस्से को दिखाता है, जब भगवान श्री राम को वनवास छोड़कर अयोध्या वापस लौटने के लिए मनाने आए थे।
कालिंजर किला-
यह किला चित्रकूट के पास स्थित बांदा जिले में है। वैसे तो यह चित्रकूट से थोड़ा दूर है, मगर आप यहां जाने का मन बना सकती हैं। बता दें कि इस किले का अपना की एक अलग इतिहास है, यहां पहले कभी चंदेल शासक शासन किया करते थे। समय-समय पर इसक किले को कई बार जितने की कोशिश की गई, मगर इसे कोई जीत नहीं पाया। अगर आप इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं तो यह किला जरूर घूमने जाएं।