बहुत ही शुभ योग में होगा माता का आगमन, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और महत्व जानें :

post

हिंदू धर्म में नवरात्रि तिथि का विशेष महत्व है। पूरे साल में 4
नवरात्रि तिथियां होती हैं, जिनमें से 2 मुख्य हैं। पहली चैत्र की नवरात्रि
और दूसरी अश्विन महीने की शारदीय नवरात्रि।


इनमें से शारदीय नवरात्रि का सबसे ज्यादा महत्व है। इसे कई स्थानों पर
दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। 10 दिनों तक पूरे देश में नवरात्रि
की धूम होती है और दुर्गा पंडाल लगाए जाते हैं। इस नवरात्रि के बाद दसवें
दिन दशहरा मनाया जाता है। 


नवरात्रि तिथि मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है और नौ दिनों तक
भक्त व्रत और उपवास करते हैं और श्रद्धा भाव से माता का पूजन करते हैं। आइए
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल कब
से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है और
इसका महत्व क्या है। 


शारदीय नवरात्रि की तिथि 


shardiya navratri date


इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर, सोमवार से आरंभ हो रही है और इसका
समापन 5 अक्टूबर, बुधवार दशहरा के दिन होगा। इस बार नवरात्रि पर बहुत ही
खास योग बन रहा है। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल और ब्रह्म दो शुभ योग
में हो रही है। 



नवरात्रि तिथि शुभ योग 


    • पहला योग शुक्ल योग है जिसकी शुरुआत 25 सितंबर रात्रि 9 बजकर 6 मिनट
      से होगी और अगले दिन 26 सितंबर 2022 को 8 बजकर 6 मिनट पर तक रहेगी। 
    • दूसरा योग ब्रह्म योग है जो 26 सितंबर, प्रातः  8 बजकर 6 मिनट से शुरू होगा जिसका समापन 27 सितंबर, मंगलवार, 6 बजकर 44 मिनट पर होगा


शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 


shardiya navratri  kalash sthapna


  • घट या कलश स्थापनाका मुहूर्त - 26 सितंबर 2022, सोमवार, प्रातः 6 बजकर 20 मिनट से  प्रातः 10 बजकर 19 मिनट तक
  • अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा प्रारंभ - 26 सितंबर  2022,प्रातः 3 बजकर 24 मिनट से
  • अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि समापन- 27 सितंबर 2022, सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक

शारदीय नवरात्रि की तिथियां


  • नवरात्रि प्रतिपदा- 26 सितंबर 2022, सोमवार 
  • नवरात्रि  द्वितीया - 27 सितंबर 2022, मंगलवार  
  • नवरात्रि  तृतीया - 28 सितंबर 2022, बुधवार 
  • नवरात्रि  चतुर्थी- 29 सितंबर 2022, गुरुवार 
  • नवरात्रि  पंचमी - 30 सितंबर, शुक्रवार 
  • नवरात्रि  षष्ठी- 1 अक्टूबर 2022, शनिवार 
  • नवरात्रि सप्तमी- 2 अक्टूबर 2022, रविवार 
  • नवरात्रि अष्टमी- 3 अक्टूबर 2022, सोमवार 
  • नवरात्रि नवमी - 4 अक्टूबर, मंगलवार 


घट स्थापना की विधि


kalsh sthapna shardiya navratri


  • शारदीय नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। 
  • घर के पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और पूजा स्थल पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
  • कलश स्थापना के लिए मिट्टी के एक पात्र में जौ बोएं और उसे जल से भरे कलश के ऊपर रहें। 
  • कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं और कलश के भीतर अक्षत, साबुत सुपारी और सिक्का डालें। 
  • कलश के मुंह के चारों तरफ आम के पत्ते लगाएं और फिर एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से इसे बांध दें। 
  • अब इस नारियल को मिट्टी के कलश के ऊपर रखें और माता दुर्गा को आमंत्रित करें। 
  • कलश के समीप अखंड ज्योति जलाएं और माता का पूजन करें। 

शारदीय नवरात्रि का महत्व 


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता दुर्गा ने आश्विन महीने में महिषासुर
पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया था और दसवें दिन उसका वध कर दिया
था। तभी से नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित माना जाता है।
आश्विन मास में शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि
भी कहा जाता है। जो भक्त इस नवरात्रि में पूरी श्रद्धा भाव से मां का पूजन
और उपवास करते हैं, उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


हिंदू धर्म में नवरात्रि तिथि का विशेष महत्व है। पूरे साल में 4
नवरात्रि तिथियां होती हैं, जिनमें से 2 मुख्य हैं। पहली चैत्र की नवरात्रि
और दूसरी अश्विन महीने की शारदीय नवरात्रि।


इनमें से शारदीय नवरात्रि का सबसे ज्यादा महत्व है। इसे कई स्थानों पर
दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। 10 दिनों तक पूरे देश में नवरात्रि
की धूम होती है और दुर्गा पंडाल लगाए जाते हैं। इस नवरात्रि के बाद दसवें
दिन दशहरा मनाया जाता है। 


नवरात्रि तिथि मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है और नौ दिनों तक
भक्त व्रत और उपवास करते हैं और श्रद्धा भाव से माता का पूजन करते हैं। आइए
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल कब
से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है और
इसका महत्व क्या है। 


शारदीय नवरात्रि की तिथि 


shardiya navratri date


इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर, सोमवार से आरंभ हो रही है और इसका
समापन 5 अक्टूबर, बुधवार दशहरा के दिन होगा। इस बार नवरात्रि पर बहुत ही
खास योग बन रहा है। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल और ब्रह्म दो शुभ योग
में हो रही है। 



नवरात्रि तिथि शुभ योग 


    • पहला योग शुक्ल योग है जिसकी शुरुआत 25 सितंबर रात्रि 9 बजकर 6 मिनट
      से होगी और अगले दिन 26 सितंबर 2022 को 8 बजकर 6 मिनट पर तक रहेगी। 
    • दूसरा योग ब्रह्म योग है जो 26 सितंबर, प्रातः  8 बजकर 6 मिनट से शुरू होगा जिसका समापन 27 सितंबर, मंगलवार, 6 बजकर 44 मिनट पर होगा


शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 


shardiya navratri  kalash sthapna


  • घट या कलश स्थापनाका मुहूर्त - 26 सितंबर 2022, सोमवार, प्रातः 6 बजकर 20 मिनट से  प्रातः 10 बजकर 19 मिनट तक
  • अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा प्रारंभ - 26 सितंबर  2022,प्रातः 3 बजकर 24 मिनट से
  • अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि समापन- 27 सितंबर 2022, सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक

शारदीय नवरात्रि की तिथियां


  • नवरात्रि प्रतिपदा- 26 सितंबर 2022, सोमवार 
  • नवरात्रि  द्वितीया - 27 सितंबर 2022, मंगलवार  
  • नवरात्रि  तृतीया - 28 सितंबर 2022, बुधवार 
  • नवरात्रि  चतुर्थी- 29 सितंबर 2022, गुरुवार 
  • नवरात्रि  पंचमी - 30 सितंबर, शुक्रवार 
  • नवरात्रि  षष्ठी- 1 अक्टूबर 2022, शनिवार 
  • नवरात्रि सप्तमी- 2 अक्टूबर 2022, रविवार 
  • नवरात्रि अष्टमी- 3 अक्टूबर 2022, सोमवार 
  • नवरात्रि नवमी - 4 अक्टूबर, मंगलवार 


घट स्थापना की विधि


kalsh sthapna shardiya navratri


  • शारदीय नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। 
  • घर के पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और पूजा स्थल पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
  • कलश स्थापना के लिए मिट्टी के एक पात्र में जौ बोएं और उसे जल से भरे कलश के ऊपर रहें। 
  • कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं और कलश के भीतर अक्षत, साबुत सुपारी और सिक्का डालें। 
  • कलश के मुंह के चारों तरफ आम के पत्ते लगाएं और फिर एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से इसे बांध दें। 
  • अब इस नारियल को मिट्टी के कलश के ऊपर रखें और माता दुर्गा को आमंत्रित करें। 
  • कलश के समीप अखंड ज्योति जलाएं और माता का पूजन करें। 

शारदीय नवरात्रि का महत्व 


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता दुर्गा ने आश्विन महीने में महिषासुर
पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया था और दसवें दिन उसका वध कर दिया
था। तभी से नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित माना जाता है।
आश्विन मास में शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि
भी कहा जाता है। जो भक्त इस नवरात्रि में पूरी श्रद्धा भाव से मां का पूजन
और उपवास करते हैं, उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...