भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल 11 अक्टूबर को
उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना के पहले चरण का
उद्घाटन करेंगे। पीएम मोदी मंगलवार शाम 6 बजे इस भव्य परिसर को देश को
अर्पित करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार शाम को इसके लिए
चल रही तैयारियों का जायजा लिया। पूरे मध्यप्रदेश में हर्ष-उल्लास का माहौल
है।
यहां दो भव्य प्रवेश द्वार, नक्काशीदार बलुआ पत्थरों से बने 108 अलंकृत
स्तंभ, फव्वारों और शिव पुराण की कहानियों को दर्शाने वाले 50 से ज्यादा
भित्ति चित्रों का एक पैनल जल्द ही उज्जैन में ‘महाकाल लोक’ की शोभा बढ़ाने
वाले हैं। 900 मीटर से अधिक लंबा कॉरिडोर ‘महाकाल लोक’ भारत में सबसे बड़े
ऐसे कॉरिडोर में से एक है, जो पुरानी रुद्रसागर झील के चारों ओर है, जिसे
प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर के आसपास पुनर्जीवित किया गया है। राजसी द्वार –
नंदी द्वार और पिनाकी द्वार, गलियारे के शुरुआती बिंदु के पास बनाए गए
हैं, जो प्राचीन मंदिर का प्रवेश द्वार और रास्ते में सौंदर्य के दृश्य
प्रस्तुत करता है। धार्मिक महत्व वाली लगभग 40-45 ऐसी प्रजातियों का
इस्तेमाल किया गया है, जिनमें रुद्राक्ष, बकुल, कदम, बेलपत्र, सप्तपर्णी
शामिल हैं।
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल 11 अक्टूबर को
उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना के पहले चरण का
उद्घाटन करेंगे। पीएम मोदी मंगलवार शाम 6 बजे इस भव्य परिसर को देश को
अर्पित करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार शाम को इसके लिए
चल रही तैयारियों का जायजा लिया। पूरे मध्यप्रदेश में हर्ष-उल्लास का माहौल
है।
यहां दो भव्य प्रवेश द्वार, नक्काशीदार बलुआ पत्थरों से बने 108 अलंकृत
स्तंभ, फव्वारों और शिव पुराण की कहानियों को दर्शाने वाले 50 से ज्यादा
भित्ति चित्रों का एक पैनल जल्द ही उज्जैन में ‘महाकाल लोक’ की शोभा बढ़ाने
वाले हैं। 900 मीटर से अधिक लंबा कॉरिडोर ‘महाकाल लोक’ भारत में सबसे बड़े
ऐसे कॉरिडोर में से एक है, जो पुरानी रुद्रसागर झील के चारों ओर है, जिसे
प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर के आसपास पुनर्जीवित किया गया है। राजसी द्वार –
नंदी द्वार और पिनाकी द्वार, गलियारे के शुरुआती बिंदु के पास बनाए गए
हैं, जो प्राचीन मंदिर का प्रवेश द्वार और रास्ते में सौंदर्य के दृश्य
प्रस्तुत करता है। धार्मिक महत्व वाली लगभग 40-45 ऐसी प्रजातियों का
इस्तेमाल किया गया है, जिनमें रुद्राक्ष, बकुल, कदम, बेलपत्र, सप्तपर्णी
शामिल हैं।