40 के बाद महिलाएं डाइट में शामिल करें ये 3 चीजें, चेहरे पर नहीं दिखेगा बढ़ती उम्र का असर:

post

वाराणसी जिले के कुशीयारी गांव की आशा देवी कहती हैं, ‘घूंघट छाती से सर तक आ गया इतने सालों में, सच में यह बहुत बड़ी बात है।’ आशा देवी और उन जैसी कई महिलाएं ग्रीन आर्मी की सदस्य हैं। दस साल पहले बीएचयू के छात्र रवि मिश्रा ने अन्याय का मुकाबला करने और गांव के पुरुषों को सही राह पर लाने के लिए महिलाओं को एकत्रित कर एक समूह बनाया। इस समूह की सभी महिलाएं हरी साड़ी पहनती हैं और आसपास के गांव में स्त्रियों के विरुद्ध होने वाले अत्याचारों को रोकती हैं। जिन घरों में बच्ची पैदा होती है, वहां जाकर खुशियां मनाती हैं और परिवार वालों को समझाती हैं कि बेटा-बेटी में फर्क ना करें। जिन घरों में दहेज और घरेलू हिंसाा और यौन हिंसा के लिए लड़कियों को प्रताड़ित किया जाता है, वहां भी वे समूह बना कर मदद को पहुंचती हैं। ग्रीन आर्मी के सदस्यों का मानना है कि जहां तक हो, वो पहले शांति से बात कर समस्या सुलझाने की कोशिश करती हैं। पर, जब कोई शांति से उनकी बात नहीं सुनता तो वे डंडे का भी इस्तेमाल करती हैं। उत्तर प्रदेश के कई गांवों में पुरुष नशीले पदार्थ और शराब के आदी होने की वजह से घर में कलह करते हैं। ग्रीन आर्मी की सदस्य ऐसे पुरुषों की काउंर्संलग करती हैं। वे कॉलोनी के आसपास बिक रही शराब की दुकानें बंद करवाती हैं और महिलाओं से कहती हैं कि अगर उनका पति शराब पीकर घर आए तो उसे खाना देना बंद कर दें। ग्रीन आर्मी की वजह से कुशीयारी और आसपास के गांवों में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार आया है, वो पहले से ज्यादा मजबूत महसूस करने लगी हैं और लड़कियों को लेकर समाज की सोच में भी बदलाव आने लगा है। ग्रीन आर्मी और उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के गुलाबी गैंग में काफी साम्यताएं हैं। दोनों समूह अन्याय के विरुद्ध लड़ती हैं। ग्रीन आर्मी के सदस्यों का कहना है कि वे पुरुषों का अपना दुश्मन नहीं मानतीं। उनका मकसद सिर्फ औरतों को समान अधिकार दिलवाना और उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है।
महिलाओं की सेहत के साथ खिलवाड़

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के ताजातरीन आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इस अध्ययन के अनुसार हमारे देश के गांवों में रहने वाली, कम पढ़ी-लिखी या अनपढ़ 29 से 45 साल की महिलाओं ने शहरों में रहने वाली उसी उम्र की महिलाओं से 32 प्रतिशत अधिक गर्भाशय की सर्जरी करवाई है। इस अध्ययन में शामिल इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज की डॉक्टर सुदेशना रॉय के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में रहने वाली और मेडिकल इंश्योरेंस करवा चुकी महिलाएं जब अपनी दिक्कत के लिए निजी या सरकारी अस्पताल जाती हैं, तो अकसर डॉक्टर उनका गर्भाशय निकाल देते हैं, जबकि उनका इलाज दवाइयों से भी हो सकता है। बिहार और आंध्रप्रदेश में ऐसे सर्वाधिक मामले हैं। गर्भाशय को निकालने की कई वजहें होती हैं, इनमें पीरियड के दिनों में अत्यधिक रक्तस्राव, रसौली आदि शामिल हैं, जिनका इलाज दवाइयों से हो सकता है। ग्रामीण महिलाओं की तुलना में शहरों में रहने वाली महिलाएं अपनी समस्या का समाधान पहले दवाइयों से करना चाहती हैं, ठीक ना होने पर ही सर्जरी का विकल्प स्वीकारती हैं।
नाश्ता खाइए मांसपेशियां बढ़ाइए

डेली मेल में प्रकाशित इस सेहत की खबर के अनुसार चीन के साउथवेस्ट यूनिवर्सिटी में हाल में हुए एक अध्ययन के मुताबिक चालीस पार की महिलाएं अगर नियमित तौर पर सेहतमंद नाश्ता करें तो उनकी मांसपेशियों की सेहत दुरुस्त रहेगी। मांसपेशियों का ह्रास कम होगा और वे खुद अपनी मरम्मत कर पाएंगे। अध्ययन में शामिल डॉक्टर यह भी सलाह देते हैं कि नाश्ते में किसी ना किसी रूप में विटामिन-डी, कैल्शियम और मैग्नीशियम जरूर शामिल करें। 80 से ज्यादा उम्र की पच्चीस हजार महिलाओं पर किए गए इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि नियमित सेहतमंद नाश्ते से बढ़ती उम्र की कई दुश्वारियों को धीमा किया जा सकता है।


वाराणसी जिले के कुशीयारी गांव की आशा देवी कहती हैं, ‘घूंघट छाती से सर तक आ गया इतने सालों में, सच में यह बहुत बड़ी बात है।’ आशा देवी और उन जैसी कई महिलाएं ग्रीन आर्मी की सदस्य हैं। दस साल पहले बीएचयू के छात्र रवि मिश्रा ने अन्याय का मुकाबला करने और गांव के पुरुषों को सही राह पर लाने के लिए महिलाओं को एकत्रित कर एक समूह बनाया। इस समूह की सभी महिलाएं हरी साड़ी पहनती हैं और आसपास के गांव में स्त्रियों के विरुद्ध होने वाले अत्याचारों को रोकती हैं। जिन घरों में बच्ची पैदा होती है, वहां जाकर खुशियां मनाती हैं और परिवार वालों को समझाती हैं कि बेटा-बेटी में फर्क ना करें। जिन घरों में दहेज और घरेलू हिंसाा और यौन हिंसा के लिए लड़कियों को प्रताड़ित किया जाता है, वहां भी वे समूह बना कर मदद को पहुंचती हैं। ग्रीन आर्मी के सदस्यों का मानना है कि जहां तक हो, वो पहले शांति से बात कर समस्या सुलझाने की कोशिश करती हैं। पर, जब कोई शांति से उनकी बात नहीं सुनता तो वे डंडे का भी इस्तेमाल करती हैं। उत्तर प्रदेश के कई गांवों में पुरुष नशीले पदार्थ और शराब के आदी होने की वजह से घर में कलह करते हैं। ग्रीन आर्मी की सदस्य ऐसे पुरुषों की काउंर्संलग करती हैं। वे कॉलोनी के आसपास बिक रही शराब की दुकानें बंद करवाती हैं और महिलाओं से कहती हैं कि अगर उनका पति शराब पीकर घर आए तो उसे खाना देना बंद कर दें। ग्रीन आर्मी की वजह से कुशीयारी और आसपास के गांवों में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार आया है, वो पहले से ज्यादा मजबूत महसूस करने लगी हैं और लड़कियों को लेकर समाज की सोच में भी बदलाव आने लगा है। ग्रीन आर्मी और उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के गुलाबी गैंग में काफी साम्यताएं हैं। दोनों समूह अन्याय के विरुद्ध लड़ती हैं। ग्रीन आर्मी के सदस्यों का कहना है कि वे पुरुषों का अपना दुश्मन नहीं मानतीं। उनका मकसद सिर्फ औरतों को समान अधिकार दिलवाना और उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है।
महिलाओं की सेहत के साथ खिलवाड़

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के ताजातरीन आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इस अध्ययन के अनुसार हमारे देश के गांवों में रहने वाली, कम पढ़ी-लिखी या अनपढ़ 29 से 45 साल की महिलाओं ने शहरों में रहने वाली उसी उम्र की महिलाओं से 32 प्रतिशत अधिक गर्भाशय की सर्जरी करवाई है। इस अध्ययन में शामिल इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज की डॉक्टर सुदेशना रॉय के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में रहने वाली और मेडिकल इंश्योरेंस करवा चुकी महिलाएं जब अपनी दिक्कत के लिए निजी या सरकारी अस्पताल जाती हैं, तो अकसर डॉक्टर उनका गर्भाशय निकाल देते हैं, जबकि उनका इलाज दवाइयों से भी हो सकता है। बिहार और आंध्रप्रदेश में ऐसे सर्वाधिक मामले हैं। गर्भाशय को निकालने की कई वजहें होती हैं, इनमें पीरियड के दिनों में अत्यधिक रक्तस्राव, रसौली आदि शामिल हैं, जिनका इलाज दवाइयों से हो सकता है। ग्रामीण महिलाओं की तुलना में शहरों में रहने वाली महिलाएं अपनी समस्या का समाधान पहले दवाइयों से करना चाहती हैं, ठीक ना होने पर ही सर्जरी का विकल्प स्वीकारती हैं।
नाश्ता खाइए मांसपेशियां बढ़ाइए

डेली मेल में प्रकाशित इस सेहत की खबर के अनुसार चीन के साउथवेस्ट यूनिवर्सिटी में हाल में हुए एक अध्ययन के मुताबिक चालीस पार की महिलाएं अगर नियमित तौर पर सेहतमंद नाश्ता करें तो उनकी मांसपेशियों की सेहत दुरुस्त रहेगी। मांसपेशियों का ह्रास कम होगा और वे खुद अपनी मरम्मत कर पाएंगे। अध्ययन में शामिल डॉक्टर यह भी सलाह देते हैं कि नाश्ते में किसी ना किसी रूप में विटामिन-डी, कैल्शियम और मैग्नीशियम जरूर शामिल करें। 80 से ज्यादा उम्र की पच्चीस हजार महिलाओं पर किए गए इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि नियमित सेहतमंद नाश्ते से बढ़ती उम्र की कई दुश्वारियों को धीमा किया जा सकता है।


...
...
...
...
...
...
...
...