रायपुर, राज्य सरकार द्वारा मछली पालन को कृषि का दर्जा प्रदान किये जाने से मत्स्य
कृषकों को बिजली दर में छूट एवं निःशुल्क पानी और बिना ब्याज ऋण प्राप्त
मिलने से उत्पादन लागत में बहुत कमी आई है। मत्स्य कृषकों की आमदनी में
वृद्धि हो रही है। प्रदेश में मछली पालन के लिए 1.999 लाख हेक्टेयर
जलक्षेत्र उपलब्ध है, जिसमें से अब तक 1,961 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र विकसित
किया जा चुका है, जो कुल उपलब्ध जलक्षेत्र का 98 प्रतिशत है। नदीय
जलक्षेत्र लम्बाई 3573 किलोमीटर प्राकृतिक रूप से उपलब्ध है। ग्रामीण तालाब
1.173 लाख एवं सिंचाई जलाशय 0.825 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र मछली पालन के
लिए उपलब्ध है। राज्य में उन्नत प्रजाति के मत्स्य बीज का उत्पादन किया जा
रहा है और राज्य मछली बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है।
कोरिया जिले में भी राज्य सरकार के इस प्रोत्साहन और कलेक्टर के
मार्गदर्शन में जिले के गौठानो में स्थित तालाबों में मत्स्य पालन को
प्रोत्साहन दिया जा रहा है। स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर
मत्स्य पालन कार्य से जोड़ा गया है। घरेलू काम-काज में व्यस्त रहने वाली
महिलाओं के लिए गौठान आर्थिक उन्नति का नवीन माध्यम बनकर उभरे हैं,
आजीविकामूलक गतिविधियों से महिलाओं के जीवन में बदलाव आया है।
इसी कड़ी में विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के ग्राम चेरवापारा की मातेश्वरी
महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं के जीवन में तब बदलाव आया जब उन्होंने
मत्स्य पालन का कार्य शुरू किया। समूह की अध्यक्ष प्रमिना बताती हैं कि
हमारे समूह में 10 महिलाएं हैं। हम आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कुछ
काम करना चाहते थे, पर मार्गदर्शन के अभाव में बात नहीं बन पा रही थी। जब
जिला प्रशासन के अंतर्गत मत्स्य विभाग के अधिकारियों द्वारा हमें मत्स्य
पालन के विषय में जानकारी दी गई, तो महिलाओं में यह काम करने की जिज्ञासा
जागी। समूह ने मत्स्य पालन का कार्य शुरू करने के लिए विधिवत इसकी
कार्ययोजना को समझा और पूरी जानकारी मिलने के बाद मत्स्य पालन का कार्य
शुरू किया।
प्रमिना ने बताया कि मत्स्य पालन से समूह को विगत वर्ष 50 हजार रुपए से
ज्यादा तक का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ और इस वर्ष उन्हें इससे अधिक लाभ की
उम्मीद है।
मत्स्य विभाग के सहायक संचालक श्री सूर्यमणि द्विवेदी ने बताया कि इस समूह
द्वारा विगत 3 वर्षों से गौठान स्थित तालाब के 0.50 हेक्टेयर जलक्षेत्र में
मत्स्य पालन किया जा रहा है। मत्स्य विभाग द्वारा मत्स्य पालन प्रसार
योजना के तहत समूह को 25 लाख मत्स्य स्पॉन तथा एक मत्स्य जाल प्रदाय किया
गया है। जिस पर शत प्रतिशत अनुदान शामिल है। समूह को मत्स्य पालन कार्य
हेतु विधिवत पूरी जानकारी भी दी गयी। जिससे वे बेहतर तरीके से कार्य कर
सकें और लाभ अर्जित कर सकें।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ मछली बीज उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यो में
शामिल है। अब यहॉ मछली अनुसंधान के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की इकाईया भी
आगे आ रही है और छत्तीसगढ़ राज्य को मत्स्य पालन के क्षेत्र बेस्ट इनलैंड
स्टेट का पुरस्कार भी मिल चुका है ।
रायपुर, राज्य सरकार द्वारा मछली पालन को कृषि का दर्जा प्रदान किये जाने से मत्स्य
कृषकों को बिजली दर में छूट एवं निःशुल्क पानी और बिना ब्याज ऋण प्राप्त
मिलने से उत्पादन लागत में बहुत कमी आई है। मत्स्य कृषकों की आमदनी में
वृद्धि हो रही है। प्रदेश में मछली पालन के लिए 1.999 लाख हेक्टेयर
जलक्षेत्र उपलब्ध है, जिसमें से अब तक 1,961 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र विकसित
किया जा चुका है, जो कुल उपलब्ध जलक्षेत्र का 98 प्रतिशत है। नदीय
जलक्षेत्र लम्बाई 3573 किलोमीटर प्राकृतिक रूप से उपलब्ध है। ग्रामीण तालाब
1.173 लाख एवं सिंचाई जलाशय 0.825 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र मछली पालन के
लिए उपलब्ध है। राज्य में उन्नत प्रजाति के मत्स्य बीज का उत्पादन किया जा
रहा है और राज्य मछली बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है।
कोरिया जिले में भी राज्य सरकार के इस प्रोत्साहन और कलेक्टर के
मार्गदर्शन में जिले के गौठानो में स्थित तालाबों में मत्स्य पालन को
प्रोत्साहन दिया जा रहा है। स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर
मत्स्य पालन कार्य से जोड़ा गया है। घरेलू काम-काज में व्यस्त रहने वाली
महिलाओं के लिए गौठान आर्थिक उन्नति का नवीन माध्यम बनकर उभरे हैं,
आजीविकामूलक गतिविधियों से महिलाओं के जीवन में बदलाव आया है।
इसी कड़ी में विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के ग्राम चेरवापारा की मातेश्वरी
महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं के जीवन में तब बदलाव आया जब उन्होंने
मत्स्य पालन का कार्य शुरू किया। समूह की अध्यक्ष प्रमिना बताती हैं कि
हमारे समूह में 10 महिलाएं हैं। हम आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कुछ
काम करना चाहते थे, पर मार्गदर्शन के अभाव में बात नहीं बन पा रही थी। जब
जिला प्रशासन के अंतर्गत मत्स्य विभाग के अधिकारियों द्वारा हमें मत्स्य
पालन के विषय में जानकारी दी गई, तो महिलाओं में यह काम करने की जिज्ञासा
जागी। समूह ने मत्स्य पालन का कार्य शुरू करने के लिए विधिवत इसकी
कार्ययोजना को समझा और पूरी जानकारी मिलने के बाद मत्स्य पालन का कार्य
शुरू किया।
प्रमिना ने बताया कि मत्स्य पालन से समूह को विगत वर्ष 50 हजार रुपए से
ज्यादा तक का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ और इस वर्ष उन्हें इससे अधिक लाभ की
उम्मीद है।
मत्स्य विभाग के सहायक संचालक श्री सूर्यमणि द्विवेदी ने बताया कि इस समूह
द्वारा विगत 3 वर्षों से गौठान स्थित तालाब के 0.50 हेक्टेयर जलक्षेत्र में
मत्स्य पालन किया जा रहा है। मत्स्य विभाग द्वारा मत्स्य पालन प्रसार
योजना के तहत समूह को 25 लाख मत्स्य स्पॉन तथा एक मत्स्य जाल प्रदाय किया
गया है। जिस पर शत प्रतिशत अनुदान शामिल है। समूह को मत्स्य पालन कार्य
हेतु विधिवत पूरी जानकारी भी दी गयी। जिससे वे बेहतर तरीके से कार्य कर
सकें और लाभ अर्जित कर सकें।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ मछली बीज उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यो में
शामिल है। अब यहॉ मछली अनुसंधान के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की इकाईया भी
आगे आ रही है और छत्तीसगढ़ राज्य को मत्स्य पालन के क्षेत्र बेस्ट इनलैंड
स्टेट का पुरस्कार भी मिल चुका है ।