पाकिस्तान के मशहूर अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' के मुताबिक,
पाकिस्तान में दवा निर्माताओं के संघ ने गुरुवार को इस संकट की चेतावनी दी
है और ऐसी गंभीर स्थिति के लिए केंद्रीय बैंक के गवर्नर और वित्त मंत्री की
आलोचना की है।
अखबार के मुताबिक, वित्त पर सीनेट की स्थायी समिति की बैठक में
पाकिस्तान फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (PPMA) का प्रतिनिधित्व
करने वाले अरशद मलिक ने कहा कि फार्मा उद्योग के पास दो महीने का
इन्वेंट्री स्टॉक था जो अब लगभग समाप्त हो चुका है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में ऐसे हालात तब आए, जब
कच्चे माल के आयात के लिए केंद्रीय बैंक ने दवा उद्योग को नए साख पत्र
(लेटर ऑफ कंसेंट) जारी करने से इनकार कर दिया। ऐसे में वित्त मंत्रालय और
वाणिज्यिक बैंकों से समर्थन मांगने पर भी कोई मदद नहीं मिली। अब फार्मा
कंपनियों ने दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला को टूटने से रोकने के लिए
पाकिस्तानी सांसदों से तत्काल मदद की गुहार लगाई है।
पाकिस्तान में दवा उद्योग 6 अरब डॉलर का है और आयात पर इसकी
निर्भरता लगभग 93% है। नकदी संकट के बीच कई राष्ट्रीय बैंकों ने दवा उद्योग
को एलसी जारी करने से इनकार कर दिया है।
फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों ने बताया है कि उनकी कंपनी के
पास भारत से कच्चे माल के आयात के लिए 1 अरब रुपये की क्रेडिट सीमा है और
उसने 45 दिन पहले ही 100 मिलियन रुपये का भुगतान किया है। बावजूद इसके
पाकिस्तानी बैंक भारत को भुगतान करने में असमर्थ रहा है।
बता दें कि नकदी संकट से जूझ रहा पाकिस्तान लगातार विश्व बैंक,
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और कई देशों के आगे आर्थिक मदद के लिए हाथ पसारता
रहा है लेकिन विश्व बैंक ने उसे झटका दिया है। विश्व बैंक ने पाकिस्तान को
1.1 बिलियन डॉलर के लोन को एक साल के लिए टाल दिया है।