Bihar :: डोसा के साथ साम्भर न देना होटल वाले को पड़ा महंगा:

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एक आदमी गया रेस्टोरेंट. डोसा आर्डर किया. डोसा आया मगर साथ में सांभर नहीं था. गुस्साए आदमी ने रेस्टोरेंट को ऐसा सबक सिखाया कि आगे ऐसी गलती ना होगी. दरअसल शख्स ने कानून का सहारा लिया. 11 महीने तक लड़ाई लड़ी. सजा के तौर पर रेस्टोरेंट को डोसे की कीमत का 25 गुना पैसा भरना पड़ा.

मामला बिहार के बक्सर का है. पिछले साल 15 अगस्त को मनीष गुप्ता का जन्मदिन था. घर पर मेहमान भी आए हुए थे तो मनीष ‘नमक’ रेस्टोरेंट से स्पेशल मसाला डोसा लेकर आए. घर आकर पैकेट खोला तो देखा उसमें सांभर नहीं है.अगले दिन वो मामले की शिकायत करने रेस्टोरेंट के मालिक के पास पहुंचे. इस पर मैनेजर ने कथित तौर पर मनीष से बदतमीजी से बात की और बोला कि 140 रुपये में पूरा रेस्टोरेंट खरीदोगे क्या? मैनेजर को ये नहीं पता था कि मनीष पेशे से एक वकील हैं. नाराज मनीष ने रेस्टोरेंट को कानूनी नोटिस थमा दिया.

मनीष ने मामले की शिकायत जिला उपभोक्ता आयोग में दायर की. मामले की सुनवाई 11 महीने तक चली. आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश सिंह और सदस्य वरुण कुमार की खंडपीठ ने रेस्टोरेंट को दोषी पाया और जुर्माना भरने को कहा.

आयोग ने उपभोक्ता को हुए मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्ट के लिए रेस्टोरेंट पर 2 हजार का जुर्माना और वाद खर्च के रूप में अलग से 1500 रुपये का जुर्माना लगाया. साथ ही रेस्टोरेंट को 45 दिनों के अंदर कुल 3500 रुपये जुर्माना के तौर पर भुगतान करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर तय समय पर भुगतान नहीं किया गया तो 8% ब्याज भी अलग से देना पड़ेगा.


एक आदमी गया रेस्टोरेंट. डोसा आर्डर किया. डोसा आया मगर साथ में सांभर नहीं था. गुस्साए आदमी ने रेस्टोरेंट को ऐसा सबक सिखाया कि आगे ऐसी गलती ना होगी. दरअसल शख्स ने कानून का सहारा लिया. 11 महीने तक लड़ाई लड़ी. सजा के तौर पर रेस्टोरेंट को डोसे की कीमत का 25 गुना पैसा भरना पड़ा.

मामला बिहार के बक्सर का है. पिछले साल 15 अगस्त को मनीष गुप्ता का जन्मदिन था. घर पर मेहमान भी आए हुए थे तो मनीष ‘नमक’ रेस्टोरेंट से स्पेशल मसाला डोसा लेकर आए. घर आकर पैकेट खोला तो देखा उसमें सांभर नहीं है.अगले दिन वो मामले की शिकायत करने रेस्टोरेंट के मालिक के पास पहुंचे. इस पर मैनेजर ने कथित तौर पर मनीष से बदतमीजी से बात की और बोला कि 140 रुपये में पूरा रेस्टोरेंट खरीदोगे क्या? मैनेजर को ये नहीं पता था कि मनीष पेशे से एक वकील हैं. नाराज मनीष ने रेस्टोरेंट को कानूनी नोटिस थमा दिया.

मनीष ने मामले की शिकायत जिला उपभोक्ता आयोग में दायर की. मामले की सुनवाई 11 महीने तक चली. आयोग के अध्यक्ष वेद प्रकाश सिंह और सदस्य वरुण कुमार की खंडपीठ ने रेस्टोरेंट को दोषी पाया और जुर्माना भरने को कहा.

आयोग ने उपभोक्ता को हुए मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्ट के लिए रेस्टोरेंट पर 2 हजार का जुर्माना और वाद खर्च के रूप में अलग से 1500 रुपये का जुर्माना लगाया. साथ ही रेस्टोरेंट को 45 दिनों के अंदर कुल 3500 रुपये जुर्माना के तौर पर भुगतान करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर तय समय पर भुगतान नहीं किया गया तो 8% ब्याज भी अलग से देना पड़ेगा.


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