Manipur :: हिंसा थम ही नहीं रहा है ! मोरेह जिले में भीड़ ने कम से कम 30 घरों और दुकानों को आग लगा दी:

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इंफाल, 27 जुलाई (एजेंसी)। मणिपुर में जातीय हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। बुधवार को मोरेह जिले में भीड़ ने कम से कम 30 घरों और दुकानों को आग लगा दी। खाली पड़े ये घर म्यांमार सीमा के करीब मोरेह बाजार क्षेत्र में थे। आगजनी के बाद भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी भी हुई। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि घटना में कोई हताहत हुआ है या नहीं। अधिकारियों ने बताया कि यह आगजनी कांगपोकपी जिले में भीड़ द्वारा सुरक्षा बलों की दो बसों को आग के हवाले करने की घटना के एक दिन बाद हुई।

बसों में आगजनी की घटना सपोरमीना में उस समय हुई, जब बसें मंगलवार शाम दीमापुर से आ रही थीं। अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय लोगों ने मणिपुर नंबर की बसों को सपोरमीना में रोक लिया और कहा कि वे यह देखेंगे कि बस में कहीं दूसरे समुदाय का कोई सदस्य तो नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि उनमें से कुछ लोगों ने बसों में आग लगा दी।

इस बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि इंफाल के सजीवा और थौबल जिले के याइथिबी लोकोल में अस्थायी घरों का निर्माण पूरा होने वाला है। उन्होंने ट्वीट किया, बहुत जल्द पीडि़त परिवार राहत शिविरों से इन घरों में जा सकेंगे। राज्य सरकार हिंसा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए पहाडिय़ों और घाटी दोनों जगह हर संभव उपाय कर रही है।मुख्यमंत्री ने पिछले महीने कहा था कि पूर्वोत्तर राज्य में जातीय संघर्ष के कारण अपना घर छोडऩे वाले लोगों के लिए सरकार तीन से चार हजार घर बनाएगी।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च निकालने के बाद से राज्य में भडक़ी जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। राज्य में मैती समुदाय की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं जबकि कुकी और नगा आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।उधर मणिपुर सरकार ने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए करीब 1,200 वाहनों को लगाया गया है।

मणिपुर पुलिस ने ट्वीट किया कि सभी संवेदनशील स्थानों पर इन वाहनों की स्वतंत्र और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।राज्य में खाद्यान्न, दवा और शिशु आहार जैसी आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही बड़ी समस्या है। इस बीच पूर्वोत्तर राज्यों के सांसदों के एक समूह ने बुधवार को नई दिल्ली में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की और उनसे मणिपुर की स्थिति पर अल्पकालिक चर्चा की अनुमति देने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने विपक्ष पर इस मुद्दे पर बहस को रोकने का आरोप भी लगाया।


इंफाल, 27 जुलाई (एजेंसी)। मणिपुर में जातीय हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। बुधवार को मोरेह जिले में भीड़ ने कम से कम 30 घरों और दुकानों को आग लगा दी। खाली पड़े ये घर म्यांमार सीमा के करीब मोरेह बाजार क्षेत्र में थे। आगजनी के बाद भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी भी हुई। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि घटना में कोई हताहत हुआ है या नहीं। अधिकारियों ने बताया कि यह आगजनी कांगपोकपी जिले में भीड़ द्वारा सुरक्षा बलों की दो बसों को आग के हवाले करने की घटना के एक दिन बाद हुई।

बसों में आगजनी की घटना सपोरमीना में उस समय हुई, जब बसें मंगलवार शाम दीमापुर से आ रही थीं। अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय लोगों ने मणिपुर नंबर की बसों को सपोरमीना में रोक लिया और कहा कि वे यह देखेंगे कि बस में कहीं दूसरे समुदाय का कोई सदस्य तो नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि उनमें से कुछ लोगों ने बसों में आग लगा दी।

इस बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि इंफाल के सजीवा और थौबल जिले के याइथिबी लोकोल में अस्थायी घरों का निर्माण पूरा होने वाला है। उन्होंने ट्वीट किया, बहुत जल्द पीडि़त परिवार राहत शिविरों से इन घरों में जा सकेंगे। राज्य सरकार हिंसा से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए पहाडिय़ों और घाटी दोनों जगह हर संभव उपाय कर रही है।मुख्यमंत्री ने पिछले महीने कहा था कि पूर्वोत्तर राज्य में जातीय संघर्ष के कारण अपना घर छोडऩे वाले लोगों के लिए सरकार तीन से चार हजार घर बनाएगी।

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च निकालने के बाद से राज्य में भडक़ी जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। राज्य में मैती समुदाय की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं जबकि कुकी और नगा आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।उधर मणिपुर सरकार ने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए करीब 1,200 वाहनों को लगाया गया है।

मणिपुर पुलिस ने ट्वीट किया कि सभी संवेदनशील स्थानों पर इन वाहनों की स्वतंत्र और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।राज्य में खाद्यान्न, दवा और शिशु आहार जैसी आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही बड़ी समस्या है। इस बीच पूर्वोत्तर राज्यों के सांसदों के एक समूह ने बुधवार को नई दिल्ली में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की और उनसे मणिपुर की स्थिति पर अल्पकालिक चर्चा की अनुमति देने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने विपक्ष पर इस मुद्दे पर बहस को रोकने का आरोप भी लगाया।


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