New Delhi :: लोकसभा में ‘विशेष अवसरों पर फिजूलखर्ची रोकथाम विधेयक 2020’ :

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नई दिल्ली: भारत में शादियां जिस तरह से होती हैं, कई देशों में तो वैसे त्योहार भी नहीं मनाए जाते। देश में किसी औसत आय वाले व्यक्ति के घर में भी शादी होती है तो लाखों का खर्च हो जाता है। वहीं जब ये शादी किसी अपर मिडिल क्लास फैमिली में होता है तो ये खर्च करोड़ों में हो जाता है। लेकिन अब शायद ऐसा ना हो पाए। लोकसभा में हाल में एक नया बिल पेश हुआ है। कांग्रेस के एक सांसद ने संसद के मानसून सत्र में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें शादियों में होने वाले खर्चों पर लगाम लगाने की बात कही गई है। कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने लोकसभा में जो प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया, उसके अनुसार बरात में सिर्फ 50 लोग ही शामिल हो पाएंगे। साथ ही इसके तहत शादी में 10 से अधिक व्यंजनों को नहीं परोसा जा सकेगा। शगुन या उपहार के रूप में भी 2500 रुपये से अधिक नहीं दिए जा सकने का प्रावधान है।

इस बार के बिल में क्या है? बिल में क्या है इससे पहले जानिए कि इस बिल का नाम क्या है? दरअसल, इस बिल का नाम है 'विशेष अवसरों पर फिजूलखर्ची रोकथाम विधेयक 2020'। यह बिल जनवरी 2020 में कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने पेश किया था। संसद में अब इसी बिल को चर्चा के लिए रखा गया। इस बिल में प्रावधान है कि शादी में दूल्हा और दुल्हन दोनों के परिवारों से आमंत्रित मेहमानों की संख्या 100 से अधिक नहीं होनी चाहिए। वहीं शादी में परोसे गए व्यंजनों की संख्या भी 10 से अधिक नहीं होनी चाहिए। जबकि नवदंपत्ति को दिए गए उपहारों का मूल्य 2,500 रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। यानी कुलमिलाकर ये बिल अगर पास हो गया तो बहुत से परिवार उस खर्च के बोझ से बच जाएंगे जो उन्हें ना चाहते हुए भी समाज को देखते हुए करना पड़ता है।

कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने 4 अगस्त को लोकसभा में ‘विशेष अवसरों पर फिजूलखर्ची रोकथाम विधेयक 2020’ पेश किया। उन्होंने संसद को बताया, ‘विधेयक का उद्देश्य वंचितों और निराश्रितों के जीवन के लिए सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से शादियों और त्योहारों जैसे विशेष अवसरों पर व्यर्थ के व्यय को रोकना है। विधेयक के प्रमुख प्रावधानों को उजागर करते हुए एक ट्वीट में कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह एक बरात में उपस्थित लोगों की संख्या को प्रतिबंधित करता है, जिसमें अधिकतम 50 लोगों की सीमा है।


नई दिल्ली: भारत में शादियां जिस तरह से होती हैं, कई देशों में तो वैसे त्योहार भी नहीं मनाए जाते। देश में किसी औसत आय वाले व्यक्ति के घर में भी शादी होती है तो लाखों का खर्च हो जाता है। वहीं जब ये शादी किसी अपर मिडिल क्लास फैमिली में होता है तो ये खर्च करोड़ों में हो जाता है। लेकिन अब शायद ऐसा ना हो पाए। लोकसभा में हाल में एक नया बिल पेश हुआ है। कांग्रेस के एक सांसद ने संसद के मानसून सत्र में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें शादियों में होने वाले खर्चों पर लगाम लगाने की बात कही गई है। कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने लोकसभा में जो प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया, उसके अनुसार बरात में सिर्फ 50 लोग ही शामिल हो पाएंगे। साथ ही इसके तहत शादी में 10 से अधिक व्यंजनों को नहीं परोसा जा सकेगा। शगुन या उपहार के रूप में भी 2500 रुपये से अधिक नहीं दिए जा सकने का प्रावधान है।

इस बार के बिल में क्या है? बिल में क्या है इससे पहले जानिए कि इस बिल का नाम क्या है? दरअसल, इस बिल का नाम है 'विशेष अवसरों पर फिजूलखर्ची रोकथाम विधेयक 2020'। यह बिल जनवरी 2020 में कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने पेश किया था। संसद में अब इसी बिल को चर्चा के लिए रखा गया। इस बिल में प्रावधान है कि शादी में दूल्हा और दुल्हन दोनों के परिवारों से आमंत्रित मेहमानों की संख्या 100 से अधिक नहीं होनी चाहिए। वहीं शादी में परोसे गए व्यंजनों की संख्या भी 10 से अधिक नहीं होनी चाहिए। जबकि नवदंपत्ति को दिए गए उपहारों का मूल्य 2,500 रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। यानी कुलमिलाकर ये बिल अगर पास हो गया तो बहुत से परिवार उस खर्च के बोझ से बच जाएंगे जो उन्हें ना चाहते हुए भी समाज को देखते हुए करना पड़ता है।

कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने 4 अगस्त को लोकसभा में ‘विशेष अवसरों पर फिजूलखर्ची रोकथाम विधेयक 2020’ पेश किया। उन्होंने संसद को बताया, ‘विधेयक का उद्देश्य वंचितों और निराश्रितों के जीवन के लिए सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से शादियों और त्योहारों जैसे विशेष अवसरों पर व्यर्थ के व्यय को रोकना है। विधेयक के प्रमुख प्रावधानों को उजागर करते हुए एक ट्वीट में कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह एक बरात में उपस्थित लोगों की संख्या को प्रतिबंधित करता है, जिसमें अधिकतम 50 लोगों की सीमा है।


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