भारत में बढ़ती असमानता, अमीरों की संपत्ति और आय में रिकॉर्ड वृद्धि:

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वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब की रिपोर्ट “भारत में आमदनी और संपदा में
असमानता, 1922-2023: अरबपति राज का उदय” के शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार,
भारत में सबसे अमीर 1% लोगों की कमाई और संपत्ति उच्चतम स्तर पर पहुंच गई
है। इन लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40.1% हिस्सा है, जो दक्षिण
अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका से भी अधिक है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है
कि 2014-15 से 2022-23 के बीच आय में असमानता सबसे तेजी से बढ़ी है, और
इसके पीछे कर से जुड़ीं नीतियां जिम्मेदार हैं।





ब्रिटिश राज से भी अधिक असमानता





रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में भारत में असमानता ब्रिटिश राज
से भी ज्यादा हो गई है। आजादी के बाद 1980 के दशक की शुरुआत तक अमीर और
गरीबों के बीच आय व धन के अंतर में गिरावट देखी गई थी, लेकिन 2000 के दशक
में इसमें तेजी से वृद्धि हुई है।





सुपर टैक्स और अन्य उपाय





रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि धनी परिवारों पर 2% का सुपर टैक्स
लगाया जाए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण
जैसी चीजों पर सरकारी निवेश को बढ़ाया जाए।





शिक्षा की कमी और कम वेतन





रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा की कमी जैसे कारकों ने कुछ लोगों को कम वेतन
वाली नौकरियों में फंसा दिया है। इससे निचले स्तर के 50% और मध्य स्तर के
40% भारतीयों की वृद्धि प्रभावित हुई है।





अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई





रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1982 में देश की आय में 10% सबसे अमीर
लोगों का हिस्सा 30% था, जो 2022 में बढ़कर 60% हो गया। इसके विपरीत,
2022-23 में देश के निचले 50% लोगों के पास राष्ट्रीय संपत्ति का केवल 15%
हिस्सा था।





निष्कर्ष





यह रिपोर्ट भारत में बढ़ती असमानता की एक चिंताजनक तस्वीर पेश करती है।
रिपोर्ट में सुझाए गए उपायों पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।





अतिरिक्त जानकारी





  • 1991 में केवल एक भारतीय एक अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति का मालिक था। अब इनकी संख्या 167 हो गई है।
  • 9.2 करोड़ भारतीय वयस्कों में से 10,000 सबसे धनी व्यक्तियों के पास
    औसतन 22.6 अरब रुपये की संपत्ति है। यह देश की औसत संपत्ति से 16,763 गुना
    अधिक है।


वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब की रिपोर्ट “भारत में आमदनी और संपदा में
असमानता, 1922-2023: अरबपति राज का उदय” के शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार,
भारत में सबसे अमीर 1% लोगों की कमाई और संपत्ति उच्चतम स्तर पर पहुंच गई
है। इन लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40.1% हिस्सा है, जो दक्षिण
अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका से भी अधिक है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है
कि 2014-15 से 2022-23 के बीच आय में असमानता सबसे तेजी से बढ़ी है, और
इसके पीछे कर से जुड़ीं नीतियां जिम्मेदार हैं।





ब्रिटिश राज से भी अधिक असमानता





रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में भारत में असमानता ब्रिटिश राज
से भी ज्यादा हो गई है। आजादी के बाद 1980 के दशक की शुरुआत तक अमीर और
गरीबों के बीच आय व धन के अंतर में गिरावट देखी गई थी, लेकिन 2000 के दशक
में इसमें तेजी से वृद्धि हुई है।





सुपर टैक्स और अन्य उपाय





रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि धनी परिवारों पर 2% का सुपर टैक्स
लगाया जाए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण
जैसी चीजों पर सरकारी निवेश को बढ़ाया जाए।





शिक्षा की कमी और कम वेतन





रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा की कमी जैसे कारकों ने कुछ लोगों को कम वेतन
वाली नौकरियों में फंसा दिया है। इससे निचले स्तर के 50% और मध्य स्तर के
40% भारतीयों की वृद्धि प्रभावित हुई है।





अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई





रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1982 में देश की आय में 10% सबसे अमीर
लोगों का हिस्सा 30% था, जो 2022 में बढ़कर 60% हो गया। इसके विपरीत,
2022-23 में देश के निचले 50% लोगों के पास राष्ट्रीय संपत्ति का केवल 15%
हिस्सा था।





निष्कर्ष





यह रिपोर्ट भारत में बढ़ती असमानता की एक चिंताजनक तस्वीर पेश करती है।
रिपोर्ट में सुझाए गए उपायों पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।





अतिरिक्त जानकारी





  • 1991 में केवल एक भारतीय एक अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति का मालिक था। अब इनकी संख्या 167 हो गई है।
  • 9.2 करोड़ भारतीय वयस्कों में से 10,000 सबसे धनी व्यक्तियों के पास
    औसतन 22.6 अरब रुपये की संपत्ति है। यह देश की औसत संपत्ति से 16,763 गुना
    अधिक है।


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