वैश्विक राजनीति में हलचल.....भारत के कपड़ा निर्यात पर असर :

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नई दिल्ली । मौजूदा समय में विश्व स्तर पर जारी जियो-राजनैतिक टेंशन
सहित तमाम आर्थिक उथल-पुथल के कारण भारत के ट्रेड पर बुरा असर देखने को मिल
रहा है। सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के
बीच कपड़ा निर्यात में साल-दर-साल गिरावट देखी गई है। सूत्रों ने निर्यात
में गिरावट के लिए अंतरराष्ट्रीय मांग में कमी और लाल सागर संघर्ष जैसी
राजनैतिक चुनौतियों को जिम्मेदार ठहराया है। दरअसल, निर्यात मांग और सप्लाई
का खेल है और यह कई फैक्टर्स जैसे ऑर्डर फ्लो, इन्वेंट्री और शिपिंग
कंटेनरों और जहाजों की उपलब्धता पर निर्भर करता है।

सूत्रों ने बताया कि अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के बीच रेडीमेड कपड़ों का
निर्यात गिरकर 13.05 अरब डॉलर रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह
14.73 अरब डॉलर था। इस समान अवधि के दौरान, यार्न शिपमेंट की वैल्यू 4.47
बिलियन डॉलर से घटकर 4.23 बिलियन डॉलर जबकि जूट निर्यात की वैल्यू 400
मिलियन डॉलर से गिरकर 310 मिलियन डॉलर रह गई है। हालांकि, फरवरी 2024 के
शुरुआती अनुमानों में फरवरी 2023 के मुकाबले कपड़ा निर्यात में 12 प्रतिशत
से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई है।

जनवरी 2024 में लाल सागर संकट के चलते दो निजी शिपिंग लाइनों की ओर से
सर्विसेज बंद कर दी गई हैं। इसके कारण शिपमेंट की लागत लगभग 20 प्रतिशत
बढ़ने के साथ-साथ टर्नअराउंड समय भी लगभग दो हफ्ते तक बढ़ गया है। मौजूदा
समय में चल रहे संघर्ष के प्रभाव से निपटने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने
के लिए एक इंटर-मिनिस्टरियल पैनल ने कई बैठकें कीं। 

अमेरिका को भारत का कपड़ा आयात लगातार बढ़ रहा है। इस साल की शुरुआत से अब
तक भारत ने अमेरिका को रिकॉर्ड 8774 मिलियन डॉलर का कपड़ा आयात किया है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार चीन ने चालू वर्ष में अब तक 25213 मिलियन डॉलर
का कपड़ा आयात किया है। चीन ने दिसंबर 2023 में 25192 मिलियन डॉलर और जनवरी
2023 में 31924 मिलियन डॉलर का आयात किया। भारत के बाद, वियतनाम अमेरिका
का सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक है।

भारतीय टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स के निर्यात के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका 27
प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे पसंदीदा गंतव्य है। इसके बाद यूरोपीय संघ
(18प्रतिशत), बांग्लादेश (12प्रतिशत) और संयुक्त अरब अमीरात (6प्रतिशत)
निर्यात किए जाते हैं। अगर हस्तशिल्प के निर्यात को छोड़ दिया जाए तब
अक्टूबर 2022 में सभी कपड़ा मूल्यों के आरएमजी का निर्यात 988.72 मिलियन और
इसी अवधि में हस्तनिर्मित कालीन की कीमत 98.05 मिलियन डॉलर का रहा है।
भारत में कपड़ा और परिधान उद्योग से जुड़े कुल 1,77,825 बुनकर और कारीगर
गवर्नमेंट-ई-मार्केटप्लेस (जैम) पर पंजीकृत हैं।





नई दिल्ली । मौजूदा समय में विश्व स्तर पर जारी जियो-राजनैतिक टेंशन
सहित तमाम आर्थिक उथल-पुथल के कारण भारत के ट्रेड पर बुरा असर देखने को मिल
रहा है। सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के
बीच कपड़ा निर्यात में साल-दर-साल गिरावट देखी गई है। सूत्रों ने निर्यात
में गिरावट के लिए अंतरराष्ट्रीय मांग में कमी और लाल सागर संघर्ष जैसी
राजनैतिक चुनौतियों को जिम्मेदार ठहराया है। दरअसल, निर्यात मांग और सप्लाई
का खेल है और यह कई फैक्टर्स जैसे ऑर्डर फ्लो, इन्वेंट्री और शिपिंग
कंटेनरों और जहाजों की उपलब्धता पर निर्भर करता है।

सूत्रों ने बताया कि अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के बीच रेडीमेड कपड़ों का
निर्यात गिरकर 13.05 अरब डॉलर रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह
14.73 अरब डॉलर था। इस समान अवधि के दौरान, यार्न शिपमेंट की वैल्यू 4.47
बिलियन डॉलर से घटकर 4.23 बिलियन डॉलर जबकि जूट निर्यात की वैल्यू 400
मिलियन डॉलर से गिरकर 310 मिलियन डॉलर रह गई है। हालांकि, फरवरी 2024 के
शुरुआती अनुमानों में फरवरी 2023 के मुकाबले कपड़ा निर्यात में 12 प्रतिशत
से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई है।

जनवरी 2024 में लाल सागर संकट के चलते दो निजी शिपिंग लाइनों की ओर से
सर्विसेज बंद कर दी गई हैं। इसके कारण शिपमेंट की लागत लगभग 20 प्रतिशत
बढ़ने के साथ-साथ टर्नअराउंड समय भी लगभग दो हफ्ते तक बढ़ गया है। मौजूदा
समय में चल रहे संघर्ष के प्रभाव से निपटने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने
के लिए एक इंटर-मिनिस्टरियल पैनल ने कई बैठकें कीं। 

अमेरिका को भारत का कपड़ा आयात लगातार बढ़ रहा है। इस साल की शुरुआत से अब
तक भारत ने अमेरिका को रिकॉर्ड 8774 मिलियन डॉलर का कपड़ा आयात किया है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार चीन ने चालू वर्ष में अब तक 25213 मिलियन डॉलर
का कपड़ा आयात किया है। चीन ने दिसंबर 2023 में 25192 मिलियन डॉलर और जनवरी
2023 में 31924 मिलियन डॉलर का आयात किया। भारत के बाद, वियतनाम अमेरिका
का सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक है।

भारतीय टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स के निर्यात के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका 27
प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे पसंदीदा गंतव्य है। इसके बाद यूरोपीय संघ
(18प्रतिशत), बांग्लादेश (12प्रतिशत) और संयुक्त अरब अमीरात (6प्रतिशत)
निर्यात किए जाते हैं। अगर हस्तशिल्प के निर्यात को छोड़ दिया जाए तब
अक्टूबर 2022 में सभी कपड़ा मूल्यों के आरएमजी का निर्यात 988.72 मिलियन और
इसी अवधि में हस्तनिर्मित कालीन की कीमत 98.05 मिलियन डॉलर का रहा है।
भारत में कपड़ा और परिधान उद्योग से जुड़े कुल 1,77,825 बुनकर और कारीगर
गवर्नमेंट-ई-मार्केटप्लेस (जैम) पर पंजीकृत हैं।





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