कितनी
मोटी हो गई हो... कौन सी चक्की का आटा खाती हो... ज्यादा वजन वाली महिलाओं
के लिए जान-पहचान से लेकर अनजान लोगों के मुंह से भी ऐसी बातें सुनना आम
है। मोटापा दुनिया भर को अपनी गिरफ्त में ले रहा है, पर महिलाओं को यह
ज्यादा तेजी से अपना शिकार बना रहा है। इस समस्या से जुड़े आंकड़े चौंकाने
वाले हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सौ करोड़
से अधिक लोग मोटापे से पीड़ित हैं। पिछले 30 सालों में दुनिया भर में मोटापा
4 गुना की तेजी से बढ़ा है। भारत की बात करें तो यहां बीएमआई के हिसाब से
23 फीसदी महिलाएं मोटापे का शिकार हैं। उम्र के लिहाज से देखा जाए तो 30 से
39 साल के बीच की हर दूसरी महिला मोटापे की शिकार है।
समस्या बढ़ रही है तो जाहिर है कि चिंता भी बढ़ रही होगी।
नतीजा, निजात पाने के लिए वह न जाने क्या-क्या कर रही हैं। उदाहरण के तौर
पर अमेरिकी टॉक शो होस्ट और उद्यमी ओपरा विन्फ्रे के खुलासे को ही ले
लीजिए। ओपरा अपने करियर के शुरुआती दौर में लंबे वक्त तक अपने वजन के कारण
लोगों के मजाक की पात्र बनी हैं। उन्होंने वजन कम करने के लिए बहुत ज्यादा
संघर्ष किए है। अब उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि वजन कम करने
के लिए उन्होंने दवाओं का सहारा लिया है। पर, क्या वजन कम करने के लिए कुछ
भी करना और कैसे भी करना फायदेमंद होगा? शायद नहीं।
आपके मोटापे के पीछे ढेरों कारण हो सकते हैं। मुमकिन है कि आपके
मोटापे के पीछे का कारण हार्मोन्स का असंतुलन या या मेटाबॉलिज्म धीमा होना
हो। यह भी मुमकिन है कि यह समस्या आपको माता-पिता से विरासत में मिला हो।
उम्र भी आपके वजन के बढ़ने का कारण हो सकती है। तो बेहतर होगा कि आप इन तमाम
कारणों के बारे में जानें, समझें और समस्या के समाधान की ओर सही तरीके से
कदम बढ़ाएं।
हार्मोन्स हैं बड़ी वजह
थायरॉइड, एस्ट्रोजन, कॉर्टिसोल और इंसुलिन सरीखे हार्मोन्स का असंतुलन आपके
वजन के संतुलन को बिगाड़ सकता है। इस बाबत रानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज
के मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. नूतन अग्रवाल कहती हैं कि थायरॉइड हार्मोन
बढ़ते वजन का सबसे आम कारण है। बकौल डॉ. अग्रवाल कमजोरी, ज्यादा ठंड महसूस
करना, कब्ज,अवसाद, पीरियड की समस्या, पैरों में सूजन या फिर आवाज में बदलाव
जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें। जांच और इलाज करवाएं। इस क्रम में दूसरा
नाम आता है, एस्ट्रोजन का। बकौल डॉ. अग्रवाल पीरियड में आने वाली समस्याओं
या पीसीओडी को अनदेखा न करें। कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स में एस्ट्रोजन होता
है, इसलिए गर्भ निरोधक दवाइयां लेने वाली महिलाओं के शरीर में इस हार्मोन
की मात्रा में इजाफा हो जाता है। इससे खासतौर पर शरीर के निचले हिस्से में
चर्बी चढ़ती है। इसके अलावा प्री-मेनोपॉज की स्थिति में भी वजन बढ़ने की
आशंका बढ़ जाती है। जीवनशैली में बदलाव और दवाइयों से इस पर काबू पाया जा
सकता है। तनाव हमारी जिंदगी में आम है। तो वहीं से आता है, स्ट्रेस हार्मोन
कॉर्टिसोल। आहार सलाहकार डॉ. भारती दीक्षित की मानें तो इस हार्मोन का काम
ऊर्जा के स्तर को संतुलित रखना और मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखना है। गड़बड़
जीवनशैली और खानपान की गलत आदतों के चलते भी कॉर्टिसोल ज्यादा बनने लगता
है। इंसुलिन हार्मोन का नाम तो आप ने सुना होगा। इसका काम रक्त कोशिकाओं
में शुगर का संचार करना है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। डॉ. भारती बताती
हैं कि ज्यादा मीठा या अस्वस्थ खानपान इंसुलिन कोशिकाओं में शुगर को सही
तरीके से नहीं पहुंचने देता है और यही शुगर चर्बी बनकर इकट्ठा होने लगता
है।
धीमे मेटाबॉलिज्म से बढ़ती है समस्या
यूं तो मेटाबॉलिज्म हमारे शरीर को क्रियाशील रखने के लिए होने वाला एक
केमिकल रिएक्शन है। पर, वजन के बारे में बात करें तो मेटाबॉलिज्म का आशय
कैलोरी बर्न में लगने वाली ऊर्जा से है। आप आहार के माध्यम से जितनी कैलोरी
ले रही हैं और उतनी कैलोरी बर्न भी हो रही है, तो आपका वजन नियंत्रण में
रहेगा। अगर आप कम कैलोरी का सेवन कर ज्यादा खर्च रही हैं, तो भी वजन कम भी
हो सकता है। महिलाओं का मेटाबॉलिज्म ज्यादातर धीमा होता है। लिहाजा, वजन कम
करना महिलाओं के लिए पुरुषों की तुलना में ज्यादा मुश्किल होता है।
मेनोपॉज का समय आते-आते यह और भी धीमा हो जाता है। अगर आप हाइपोथायरॉइडिज्म
का शिकार हो जाती हैं यानी थाइरॉइड हार्मोन का पर्याप्त मात्रा में स्राव
नहीं होता है, तो भी मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है।
बढ़ती उम्र के नखरे
महिलाएं अपनी जिंदगी में ढेरों बदलावों से गुजरती हैं, जिसकी शुरुआत हो
जाती है किशोरावस्था से। इस दौरान पीरियड्स के लिए तैयार होते शरीर में भी
फैट इकट्ठा होने लग जाता है। प्राकृतिक तौर पर इस दौरान कूल्हों और जांघों
के आसपास फैट बढ़ जाता है। दूसरा दौर आता है, गर्भावस्था का। इसमें भी वजन
का बढ़ना आम है। यह गर्भ में पल रहे भ्रूण के विकास के लिए जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए वजन को कम करना कई महिलाओं के लिए बेहद
मुश्किल हो जाता है। बच्चे के जन्म के बाद नींद में कमी, हार्मोन्स में
बदलाव, तनाव सरीखे कारणों के चलते बच्चे के जन्म से पहले वाले वजन के
लक्ष्य को पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। बढ़ती उम्र के साथ मेनोपॉज भी बढ़ते
वजन का कारण बन सकती हैं। जानकारों की मानें तो एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर
में आई कमी पेट की चर्बी में इजाफा करती है। बढ़ती उम्र में मांसपेशियां भी
कमजोर होती हैं, जिसका असर मेटाबॉल्जिम पर पड़ता है।
तनाव है घातक
अकसर कहते हैं कि तनाव में वजन कम हो गया। पर, ऐसा नहीं होता। तनाव के कारण
शरीर में कोर्टिसोल सहित कई हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ सकता है। तनाव के
समय हमारा शरीर लड़ो या भागो की स्थिति में होता है। इस वजह से शरीर में
एड्रेनालाईन हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है। और जब हम सामान्य होते हैं तो
कोर्टिसोल या तनाव हार्मोन सिस्टम में बना रहता है, जो शरीर को फिर से
ऊर्जा भरने के लिए प्रोत्साहित करता है। नतीजा, ज्यादा कैलोरी, कम पोषण
वाली चीजों को खाने का मन करने लगता है। इतना ही नहीं, लगातार रहने वाले
तनाव के कारण विसरल फैट बढ़ता है, जिसमें पेट के आस-पास के अंगों पर वसा जमा
होती है। यह वसा हृदय रोग, टाइप-टू डायबिटीज सहित तमाम हानिकारक बीमारियों
का खतरा बढ़ा देती है। इतना ही नहीं, कुछ लोग तनाव में ज्यादा खाने लगते
हैं, जिसके कारण भी वजन बढ़ने लगता है।
पहचानें जींस को
क्या आप जानती हैं कि हमारे जींस हमारे मोटे होने या न होने को काफी हद तक
तय करते हैं? हमारा शरीर खाने को कैसे पचाता है, कैसे वसा को इकट्ठा करता
है और व्यायाम के प्रति कैसे प्रतिक्रया देता है, यह काफी हद तक हमारे जींस
तय करते हैं। अध्ययन बताते हैं कि मोटापा अकसर परिवारों में मौजूद होता
है। लिहाजा, ध्यान दीजिए कि क्या आपके घर में ज्यादातर लोगों का वजन ज्यादा
है? अगर हां, तो मुमकिन है कि आपको यह समस्या विरासत में मिली है। आपके
माता-पिता मोटे हैं, तो आपके मोटा होने की आशंका भी ज्यादा होगी। पर, यह
याद रखें कि वजन बढ़ने का यह एक कारण हो सकता है, पर यह कारण आपका वजन तय
नहीं करेगा। आपकी शारीरिक गतिविधि, खाने-पीने की आदतें आदि भी इसमें
महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
समाधान पर करें काम-
यकीनन हर एक की समस्या अलग है और उसका समाधान भी। पर कुछ बातों को जेहन में
रखकर वजन में कमी लाने की यात्रा को सहज बनाया जा सकता है:
●ज्यादा देर तक भूखे रहने पर न्यूरोपेप्टाइड वाई जो कि भूख बढ़ाने वाला
हार्मोन है, का उत्पादन बढ़ जाता है और हमारा खानपान भी ज्यादा हो जाता है।
जरूरी है कुछ घंटों के अंतर से नियमित खानपान करते रहें।
●जीएलपी-5 हार्मोन पेट भरने के संकेत देता है। इसमें कमी न आए इसके लिए
प्रोटीन का सेवन अधिक करें। पेपटाइड वाई वाई और लेप्टिन हार्मोन पेट भरने
का संकेत देते हैं। इसे बनाए रखने के लिए व्यायाम जरूरी है।
●घ्रेलिन छोटी आंत से निकलने वाला हार्मोन है जो भूख को बढ़ाता है। इसको
काबू में रखने के लिए लंबे अंतराल तक भूखे रहने से बचें। अपने खानपान में
फाइबर युक्त सब्जियां, फल के साथ प्रोटीन और गुड फैट युक्त खाद्य पदार्थों
को शामिल करें।
कितनी
मोटी हो गई हो... कौन सी चक्की का आटा खाती हो... ज्यादा वजन वाली महिलाओं
के लिए जान-पहचान से लेकर अनजान लोगों के मुंह से भी ऐसी बातें सुनना आम
है। मोटापा दुनिया भर को अपनी गिरफ्त में ले रहा है, पर महिलाओं को यह
ज्यादा तेजी से अपना शिकार बना रहा है। इस समस्या से जुड़े आंकड़े चौंकाने
वाले हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सौ करोड़
से अधिक लोग मोटापे से पीड़ित हैं। पिछले 30 सालों में दुनिया भर में मोटापा
4 गुना की तेजी से बढ़ा है। भारत की बात करें तो यहां बीएमआई के हिसाब से
23 फीसदी महिलाएं मोटापे का शिकार हैं। उम्र के लिहाज से देखा जाए तो 30 से
39 साल के बीच की हर दूसरी महिला मोटापे की शिकार है।
समस्या बढ़ रही है तो जाहिर है कि चिंता भी बढ़ रही होगी।
नतीजा, निजात पाने के लिए वह न जाने क्या-क्या कर रही हैं। उदाहरण के तौर
पर अमेरिकी टॉक शो होस्ट और उद्यमी ओपरा विन्फ्रे के खुलासे को ही ले
लीजिए। ओपरा अपने करियर के शुरुआती दौर में लंबे वक्त तक अपने वजन के कारण
लोगों के मजाक की पात्र बनी हैं। उन्होंने वजन कम करने के लिए बहुत ज्यादा
संघर्ष किए है। अब उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि वजन कम करने
के लिए उन्होंने दवाओं का सहारा लिया है। पर, क्या वजन कम करने के लिए कुछ
भी करना और कैसे भी करना फायदेमंद होगा? शायद नहीं।
आपके मोटापे के पीछे ढेरों कारण हो सकते हैं। मुमकिन है कि आपके
मोटापे के पीछे का कारण हार्मोन्स का असंतुलन या या मेटाबॉलिज्म धीमा होना
हो। यह भी मुमकिन है कि यह समस्या आपको माता-पिता से विरासत में मिला हो।
उम्र भी आपके वजन के बढ़ने का कारण हो सकती है। तो बेहतर होगा कि आप इन तमाम
कारणों के बारे में जानें, समझें और समस्या के समाधान की ओर सही तरीके से
कदम बढ़ाएं।
हार्मोन्स हैं बड़ी वजह
थायरॉइड, एस्ट्रोजन, कॉर्टिसोल और इंसुलिन सरीखे हार्मोन्स का असंतुलन आपके
वजन के संतुलन को बिगाड़ सकता है। इस बाबत रानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज
के मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. नूतन अग्रवाल कहती हैं कि थायरॉइड हार्मोन
बढ़ते वजन का सबसे आम कारण है। बकौल डॉ. अग्रवाल कमजोरी, ज्यादा ठंड महसूस
करना, कब्ज,अवसाद, पीरियड की समस्या, पैरों में सूजन या फिर आवाज में बदलाव
जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें। जांच और इलाज करवाएं। इस क्रम में दूसरा
नाम आता है, एस्ट्रोजन का। बकौल डॉ. अग्रवाल पीरियड में आने वाली समस्याओं
या पीसीओडी को अनदेखा न करें। कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स में एस्ट्रोजन होता
है, इसलिए गर्भ निरोधक दवाइयां लेने वाली महिलाओं के शरीर में इस हार्मोन
की मात्रा में इजाफा हो जाता है। इससे खासतौर पर शरीर के निचले हिस्से में
चर्बी चढ़ती है। इसके अलावा प्री-मेनोपॉज की स्थिति में भी वजन बढ़ने की
आशंका बढ़ जाती है। जीवनशैली में बदलाव और दवाइयों से इस पर काबू पाया जा
सकता है। तनाव हमारी जिंदगी में आम है। तो वहीं से आता है, स्ट्रेस हार्मोन
कॉर्टिसोल। आहार सलाहकार डॉ. भारती दीक्षित की मानें तो इस हार्मोन का काम
ऊर्जा के स्तर को संतुलित रखना और मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखना है। गड़बड़
जीवनशैली और खानपान की गलत आदतों के चलते भी कॉर्टिसोल ज्यादा बनने लगता
है। इंसुलिन हार्मोन का नाम तो आप ने सुना होगा। इसका काम रक्त कोशिकाओं
में शुगर का संचार करना है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। डॉ. भारती बताती
हैं कि ज्यादा मीठा या अस्वस्थ खानपान इंसुलिन कोशिकाओं में शुगर को सही
तरीके से नहीं पहुंचने देता है और यही शुगर चर्बी बनकर इकट्ठा होने लगता
है।
धीमे मेटाबॉलिज्म से बढ़ती है समस्या
यूं तो मेटाबॉलिज्म हमारे शरीर को क्रियाशील रखने के लिए होने वाला एक
केमिकल रिएक्शन है। पर, वजन के बारे में बात करें तो मेटाबॉलिज्म का आशय
कैलोरी बर्न में लगने वाली ऊर्जा से है। आप आहार के माध्यम से जितनी कैलोरी
ले रही हैं और उतनी कैलोरी बर्न भी हो रही है, तो आपका वजन नियंत्रण में
रहेगा। अगर आप कम कैलोरी का सेवन कर ज्यादा खर्च रही हैं, तो भी वजन कम भी
हो सकता है। महिलाओं का मेटाबॉलिज्म ज्यादातर धीमा होता है। लिहाजा, वजन कम
करना महिलाओं के लिए पुरुषों की तुलना में ज्यादा मुश्किल होता है।
मेनोपॉज का समय आते-आते यह और भी धीमा हो जाता है। अगर आप हाइपोथायरॉइडिज्म
का शिकार हो जाती हैं यानी थाइरॉइड हार्मोन का पर्याप्त मात्रा में स्राव
नहीं होता है, तो भी मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है।
बढ़ती उम्र के नखरे
महिलाएं अपनी जिंदगी में ढेरों बदलावों से गुजरती हैं, जिसकी शुरुआत हो
जाती है किशोरावस्था से। इस दौरान पीरियड्स के लिए तैयार होते शरीर में भी
फैट इकट्ठा होने लग जाता है। प्राकृतिक तौर पर इस दौरान कूल्हों और जांघों
के आसपास फैट बढ़ जाता है। दूसरा दौर आता है, गर्भावस्था का। इसमें भी वजन
का बढ़ना आम है। यह गर्भ में पल रहे भ्रूण के विकास के लिए जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए वजन को कम करना कई महिलाओं के लिए बेहद
मुश्किल हो जाता है। बच्चे के जन्म के बाद नींद में कमी, हार्मोन्स में
बदलाव, तनाव सरीखे कारणों के चलते बच्चे के जन्म से पहले वाले वजन के
लक्ष्य को पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। बढ़ती उम्र के साथ मेनोपॉज भी बढ़ते
वजन का कारण बन सकती हैं। जानकारों की मानें तो एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर
में आई कमी पेट की चर्बी में इजाफा करती है। बढ़ती उम्र में मांसपेशियां भी
कमजोर होती हैं, जिसका असर मेटाबॉल्जिम पर पड़ता है।
तनाव है घातक
अकसर कहते हैं कि तनाव में वजन कम हो गया। पर, ऐसा नहीं होता। तनाव के कारण
शरीर में कोर्टिसोल सहित कई हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ सकता है। तनाव के
समय हमारा शरीर लड़ो या भागो की स्थिति में होता है। इस वजह से शरीर में
एड्रेनालाईन हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है। और जब हम सामान्य होते हैं तो
कोर्टिसोल या तनाव हार्मोन सिस्टम में बना रहता है, जो शरीर को फिर से
ऊर्जा भरने के लिए प्रोत्साहित करता है। नतीजा, ज्यादा कैलोरी, कम पोषण
वाली चीजों को खाने का मन करने लगता है। इतना ही नहीं, लगातार रहने वाले
तनाव के कारण विसरल फैट बढ़ता है, जिसमें पेट के आस-पास के अंगों पर वसा जमा
होती है। यह वसा हृदय रोग, टाइप-टू डायबिटीज सहित तमाम हानिकारक बीमारियों
का खतरा बढ़ा देती है। इतना ही नहीं, कुछ लोग तनाव में ज्यादा खाने लगते
हैं, जिसके कारण भी वजन बढ़ने लगता है।
पहचानें जींस को
क्या आप जानती हैं कि हमारे जींस हमारे मोटे होने या न होने को काफी हद तक
तय करते हैं? हमारा शरीर खाने को कैसे पचाता है, कैसे वसा को इकट्ठा करता
है और व्यायाम के प्रति कैसे प्रतिक्रया देता है, यह काफी हद तक हमारे जींस
तय करते हैं। अध्ययन बताते हैं कि मोटापा अकसर परिवारों में मौजूद होता
है। लिहाजा, ध्यान दीजिए कि क्या आपके घर में ज्यादातर लोगों का वजन ज्यादा
है? अगर हां, तो मुमकिन है कि आपको यह समस्या विरासत में मिली है। आपके
माता-पिता मोटे हैं, तो आपके मोटा होने की आशंका भी ज्यादा होगी। पर, यह
याद रखें कि वजन बढ़ने का यह एक कारण हो सकता है, पर यह कारण आपका वजन तय
नहीं करेगा। आपकी शारीरिक गतिविधि, खाने-पीने की आदतें आदि भी इसमें
महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
समाधान पर करें काम-
यकीनन हर एक की समस्या अलग है और उसका समाधान भी। पर कुछ बातों को जेहन में
रखकर वजन में कमी लाने की यात्रा को सहज बनाया जा सकता है:
●ज्यादा देर तक भूखे रहने पर न्यूरोपेप्टाइड वाई जो कि भूख बढ़ाने वाला
हार्मोन है, का उत्पादन बढ़ जाता है और हमारा खानपान भी ज्यादा हो जाता है।
जरूरी है कुछ घंटों के अंतर से नियमित खानपान करते रहें।
●जीएलपी-5 हार्मोन पेट भरने के संकेत देता है। इसमें कमी न आए इसके लिए
प्रोटीन का सेवन अधिक करें। पेपटाइड वाई वाई और लेप्टिन हार्मोन पेट भरने
का संकेत देते हैं। इसे बनाए रखने के लिए व्यायाम जरूरी है।
●घ्रेलिन छोटी आंत से निकलने वाला हार्मोन है जो भूख को बढ़ाता है। इसको
काबू में रखने के लिए लंबे अंतराल तक भूखे रहने से बचें। अपने खानपान में
फाइबर युक्त सब्जियां, फल के साथ प्रोटीन और गुड फैट युक्त खाद्य पदार्थों
को शामिल करें।