महिलाओं में क्यों ज्यादा होता है लिवर से जुड़ी बीमारियों का खतरा, ये है बड़ी वजह:

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दुनियाभर में आज यानी 19 अप्रैल को वर्ल्ड लीवर डे मनाया जा रहा है।
वर्ल्ड लीवर डे हर साल लोगों को लीवर रोगों के प्रति जागरूक करने के लिए
मनाया जाता है। बावजूद इसके खराब जीवनशैली आजकल युवाओं के बीच बढ़ते लीवर
रोगों का कारण बन रही है। सनार इंटरनेशनल हॉस्पिटल(गुड़गांव) में लीवर
विशेषज्ञ डॉ. अंकुर गर्ग की मानें तो लीवर से जुड़े कुछ रोग ऐसे हैं,जिनका
खतरा महिलाओं को ज्यादा होता है। 

महिलाओं को लीवर संबंधित रोगों का खतरा ज्यादा-

लीवर को शरीर का पावरहाउस कहा जाता है। न्यूट्रिएंट्स की
प्रोसेसिंग, शरीर की डीटॉक्सिफाइंग और हार्मोंस को रेगुलेट करने में इसकी
महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन अपनी अलग शारीरिक संरचना की वजह से
महिलाओं को लीवर से संबंधित बीमारियों का खतरा ज्यादा बना रहता है, यही वजह
है कि उन्हें ज्यादा सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। 

जून,2022 में प्रकाशित एम्स के एक अध्ययन में बताया गया कि
मोटापा, सुस्त जीवनशैली और इंसुलिन रजिस्टेंस महिला एवं पुरुष दोनों में
नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज का बड़ा रिस्क फैक्टर है। हालांकि महिलाओं
में इस स्थिति के गंभीर होने का खतरा ज्यादा बना रहता है।

महिलाओं में इस वजह से ज्यादा बना रहता है लिवर से जुड़ी बीमारियों का खतरा-

समय के साथ महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते रहते हैं।
इसके अलावा कई बार कुछ जेनेटिक कारण भी लीवर से संबंधित बीमारियों का खतरा
ज्यादा पैदा कर सकते हैं। अध्ययन बताते हैं कि ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस और
हेपेटाइटिस वायरस का खतरा महिलाओं में ज्यादा होता है। इसी तरह शरीर के
छोटे आकार और बॉडी फैट अनुपात ज्यादा होने के कारण एल्कोहल से महिलाओं के
लीवर पर ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ता है। 

अधिक होती हैं ये समस्याएं-

महिलाओं में लीवर से जुड़ी कुछ बीमारियों का खतरा पुरुषों की तुलना में
ज्यादा होता है। उदाहरण के तौर पर, अल्कोहलिक लीवर रोग महिलाओं में ज्यादा
तेजी से फैलती है। इसी तरह, हार्मोनल असंतुलन और गर्भनिरोधक जैसी दवाओं के
कारण होने वाली ड्रग इंड्यूस्ड लीवर इंजरी से भी महिलाओं को खतरा ज्यादा
होता है। महिलाओं में गर्भावस्था से संबंधित लीवर डिसऑर्डर और विल्सन डिजीज
का खतरा भी अधिक होता है।

सतर्क रहने की जरूरत- 

इन खतरों को कम करने के लिए महिलाओं को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती
है। जिसमें नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और एल्कोहल से परहेज करना शामिल
है। ये सभी कदम लीवर रोगों के खतरे को कम कर सकते हैं। हेपेटाइटिस से बचाव
के लिए टीकाकरण कराया जा सकता है। इसी तरह, गर्भावस्था के दौरान भी
अतिरिक्त सतर्क रहना चाहिए। 

इलाज के लिए चुनें सर्वश्रेष्ठ विकल्प- 

लीवर को गंभीर नुकसान से बचाने के लिए समय पर लीवर की जांच और सही इलाज जरूरी है। 


दुनियाभर में आज यानी 19 अप्रैल को वर्ल्ड लीवर डे मनाया जा रहा है।
वर्ल्ड लीवर डे हर साल लोगों को लीवर रोगों के प्रति जागरूक करने के लिए
मनाया जाता है। बावजूद इसके खराब जीवनशैली आजकल युवाओं के बीच बढ़ते लीवर
रोगों का कारण बन रही है। सनार इंटरनेशनल हॉस्पिटल(गुड़गांव) में लीवर
विशेषज्ञ डॉ. अंकुर गर्ग की मानें तो लीवर से जुड़े कुछ रोग ऐसे हैं,जिनका
खतरा महिलाओं को ज्यादा होता है। 

महिलाओं को लीवर संबंधित रोगों का खतरा ज्यादा-

लीवर को शरीर का पावरहाउस कहा जाता है। न्यूट्रिएंट्स की
प्रोसेसिंग, शरीर की डीटॉक्सिफाइंग और हार्मोंस को रेगुलेट करने में इसकी
महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन अपनी अलग शारीरिक संरचना की वजह से
महिलाओं को लीवर से संबंधित बीमारियों का खतरा ज्यादा बना रहता है, यही वजह
है कि उन्हें ज्यादा सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। 

जून,2022 में प्रकाशित एम्स के एक अध्ययन में बताया गया कि
मोटापा, सुस्त जीवनशैली और इंसुलिन रजिस्टेंस महिला एवं पुरुष दोनों में
नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज का बड़ा रिस्क फैक्टर है। हालांकि महिलाओं
में इस स्थिति के गंभीर होने का खतरा ज्यादा बना रहता है।

महिलाओं में इस वजह से ज्यादा बना रहता है लिवर से जुड़ी बीमारियों का खतरा-

समय के साथ महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते रहते हैं।
इसके अलावा कई बार कुछ जेनेटिक कारण भी लीवर से संबंधित बीमारियों का खतरा
ज्यादा पैदा कर सकते हैं। अध्ययन बताते हैं कि ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस और
हेपेटाइटिस वायरस का खतरा महिलाओं में ज्यादा होता है। इसी तरह शरीर के
छोटे आकार और बॉडी फैट अनुपात ज्यादा होने के कारण एल्कोहल से महिलाओं के
लीवर पर ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ता है। 

अधिक होती हैं ये समस्याएं-

महिलाओं में लीवर से जुड़ी कुछ बीमारियों का खतरा पुरुषों की तुलना में
ज्यादा होता है। उदाहरण के तौर पर, अल्कोहलिक लीवर रोग महिलाओं में ज्यादा
तेजी से फैलती है। इसी तरह, हार्मोनल असंतुलन और गर्भनिरोधक जैसी दवाओं के
कारण होने वाली ड्रग इंड्यूस्ड लीवर इंजरी से भी महिलाओं को खतरा ज्यादा
होता है। महिलाओं में गर्भावस्था से संबंधित लीवर डिसऑर्डर और विल्सन डिजीज
का खतरा भी अधिक होता है।

सतर्क रहने की जरूरत- 

इन खतरों को कम करने के लिए महिलाओं को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती
है। जिसमें नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और एल्कोहल से परहेज करना शामिल
है। ये सभी कदम लीवर रोगों के खतरे को कम कर सकते हैं। हेपेटाइटिस से बचाव
के लिए टीकाकरण कराया जा सकता है। इसी तरह, गर्भावस्था के दौरान भी
अतिरिक्त सतर्क रहना चाहिए। 

इलाज के लिए चुनें सर्वश्रेष्ठ विकल्प- 

लीवर को गंभीर नुकसान से बचाने के लिए समय पर लीवर की जांच और सही इलाज जरूरी है। 


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