नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को बताया है कि स्पेस स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने श्रीहरिकोटा स्थित अपने लॉन्च पैड से अग्निबाण (सबऑर्बिटल टेक डिमॉन्स्ट्रेटर) एसओआरटीईडी-01 मिशन को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है। इसरो ने प्रक्षेपण को 'एक प्रमुख मील का पत्थर' करार देते हुए अग्निकुल कॉसमॉस को भी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने कहा, "अग्निबाण एसओआरटीईडी-01 मिशन के प्रक्षेपण पैड से सफल प्रक्षेपण के लिए अग्निकुल कॉसमॉस को बधाई। यह इंजन परीक्षण अग्निकुल के अपने डेटा अधिग्रहण प्रणालियों और उड़ान कंप्यूटरों द्वारा संचालित है, जो 100 प्रतिशत इन-हाउस डिजाइन किए गए थे। इसके अलावा, यह परीक्षण वाहन के संपूर्ण प्रणोदन प्रणाली को नियंत्रित करने के लिए SOrTeD वाहन की संपूर्ण एवियोनिक्स शृंखला की क्षमता को भी साबित करता है। लगभग 700 किमी ऊंची कक्षाओं में 300 किलोग्राम तक ले जाने में सक्षम, अग्निबाण निम्न और उच्च दोनों झुकाव कक्षाओं तक पहुंच सकता है और पूरी तरह से मोबाइल है। इसे 10 से अधिक लॉन्च पोर्ट तक पहुंचने के लिए डिजाइन किया गया है।
अपने सभी चरणों में एलओएक्स/केरोसिन इंजन द्वारा संचालित, अग्निबाण ग्राहक द्वारा कॉन्फ़िगर करने योग्य है। मिशन, उपग्रह और लॉन्च पोर्ट ही तय करेंगे कि पहले चरण में कितने इंजन जाएंगे। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने अग्निकुल कॉसमॉस को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी शार), श्रीहरिकोटा के भीतर अग्निकुल के अपने और भारत के एकमात्र निजी लॉन्चपैड से अपना पहला प्रक्षेपण सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए बधाई दी।
वर्ष 2023 में पराक्रम के शानदार प्रदर्शन में भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग और भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के साथ नई ऊंचाइयों को छुआ। इन मील के पत्थर ने न केवल वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को सुरक्षित किया बल्कि भारत में निजी अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए इंजनों को भी ईंधन दिया। भारत का लक्ष्य अब 2035 तक 'भारतीय अंतररिक्ष स्टेशन' स्थापित करने और 2040 तक पहले भारतीय को चंद्रमा पर भेजने का है।
नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को बताया है कि स्पेस स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने श्रीहरिकोटा स्थित अपने लॉन्च पैड से अग्निबाण (सबऑर्बिटल टेक डिमॉन्स्ट्रेटर) एसओआरटीईडी-01 मिशन को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है। इसरो ने प्रक्षेपण को 'एक प्रमुख मील का पत्थर' करार देते हुए अग्निकुल कॉसमॉस को भी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने कहा, "अग्निबाण एसओआरटीईडी-01 मिशन के प्रक्षेपण पैड से सफल प्रक्षेपण के लिए अग्निकुल कॉसमॉस को बधाई। यह इंजन परीक्षण अग्निकुल के अपने डेटा अधिग्रहण प्रणालियों और उड़ान कंप्यूटरों द्वारा संचालित है, जो 100 प्रतिशत इन-हाउस डिजाइन किए गए थे। इसके अलावा, यह परीक्षण वाहन के संपूर्ण प्रणोदन प्रणाली को नियंत्रित करने के लिए SOrTeD वाहन की संपूर्ण एवियोनिक्स शृंखला की क्षमता को भी साबित करता है। लगभग 700 किमी ऊंची कक्षाओं में 300 किलोग्राम तक ले जाने में सक्षम, अग्निबाण निम्न और उच्च दोनों झुकाव कक्षाओं तक पहुंच सकता है और पूरी तरह से मोबाइल है। इसे 10 से अधिक लॉन्च पोर्ट तक पहुंचने के लिए डिजाइन किया गया है।
अपने सभी चरणों में एलओएक्स/केरोसिन इंजन द्वारा संचालित, अग्निबाण ग्राहक द्वारा कॉन्फ़िगर करने योग्य है। मिशन, उपग्रह और लॉन्च पोर्ट ही तय करेंगे कि पहले चरण में कितने इंजन जाएंगे। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने अग्निकुल कॉसमॉस को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी शार), श्रीहरिकोटा के भीतर अग्निकुल के अपने और भारत के एकमात्र निजी लॉन्चपैड से अपना पहला प्रक्षेपण सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए बधाई दी।
वर्ष 2023 में पराक्रम के शानदार प्रदर्शन में भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग और भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के साथ नई ऊंचाइयों को छुआ। इन मील के पत्थर ने न केवल वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को सुरक्षित किया बल्कि भारत में निजी अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए इंजनों को भी ईंधन दिया। भारत का लक्ष्य अब 2035 तक 'भारतीय अंतररिक्ष स्टेशन' स्थापित करने और 2040 तक पहले भारतीय को चंद्रमा पर भेजने का है।