अल-मवासी की पहाड़ी चोटियों से इस्राइल का हमला जारी, विस्थापित लोगों के तंबुओं पर गिराए जा रहे आग के गोले:

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इस्राइली सेना ने दक्षिणी गाजा समेत अन्य इलाकों में हमला किया, जिसमें 45 फलस्तीनियों की मौत हो गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस्राइली राफा पर पूरी तरह से कब्जा करने की कोशिश में है। टैंक के जरिए शहर के पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों में कब्जा करने की कोशिश जारी है। इस्राइली सेना ने केंद्र, पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में पहले से ही कब्जा कर लिया है। हवाई जहाज और टैंकों से जारी फायरिंग के कारण स्थानीय लोग शहर छोड़कर जाने को मजबूर हैं। कुछ महीने पहले ही विस्थापित हुए लोगों को एक बार फिर अपना स्थान बदलना पड़ रहा है।

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पश्चिमी राफा के मवासी में 25 फलस्तीनियों की मौत हो गई, जबकि 50 के करीब घायल हैं। एक स्थानीय व्यक्ति ने मौजूदा हालात पर मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, "दो टैंकों को मवासी की पहाड़ी चोटियों पर रखा गया। उनमें से आग के गोले छोड़े जा रहे हैं। ये आग के गोले विस्थापित लोगों के तंबुओं पर गिर रहे हैं।" 

घटना की समीक्षा कर रहें इस्राइली सेना

इस्राइली सेना ने बताया कि घटना की समीक्षा की जा रही है। उन्होंने आगे कहा, "प्रारंभिक जांच से मालूम चला है कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि अल-मवासी में मानवीय क्षेत्र में आईडीएफ (इस्राइली रक्षा बलों) द्वारा हमला किया गया था।" इससे पहले सेना ने कहा था कि राफा क्षेत्र में खुफिया आधारित कार्रवाई की जा रही है। इस दौरान हमास द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सुरंगों का पता भी लगाया गया। सेना ने आगे बताया कि कुछ हफ्ते पहले सैनिकों ने एक यूनिवर्सिटी को निशाना बनाया था। दरअसल, इस यूनिवर्सिटी में हमास के आतंकी अपना अभियान चला रहे थे।

कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले दो दिनों में इस्राइल ने हमले तेज कर दिए थे, मुश्किल से ही गोलियों और विस्फोटों की आवाजें रुकी थीं। स्थानीय नागरिक हैतेम ने कहा, "पिछली रात राफा में सबसे खराब रातों में से एक थीं। इलाके में ड्रोन, विमान और टैंक से हमले किए गए।" पिछले साल अक्तूबर से जारी इस्राइल-हमास संघर्ष को आठ महीने हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा। संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को कहा कि गाजा पट्टी में कब्जा करने वाली शक्ति के रूप में यह इस्राइल की जिम्मेदारी है कि फिलिस्तीनी क्षेत्र में सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा को बहाल करे। ताकि आसन्न अकाल की चेतावनी के बीच मानवीय सहायता पहुंचाई जा सके।


इस्राइली सेना ने दक्षिणी गाजा समेत अन्य इलाकों में हमला किया, जिसमें 45 फलस्तीनियों की मौत हो गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस्राइली राफा पर पूरी तरह से कब्जा करने की कोशिश में है। टैंक के जरिए शहर के पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों में कब्जा करने की कोशिश जारी है। इस्राइली सेना ने केंद्र, पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में पहले से ही कब्जा कर लिया है। हवाई जहाज और टैंकों से जारी फायरिंग के कारण स्थानीय लोग शहर छोड़कर जाने को मजबूर हैं। कुछ महीने पहले ही विस्थापित हुए लोगों को एक बार फिर अपना स्थान बदलना पड़ रहा है।

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पश्चिमी राफा के मवासी में 25 फलस्तीनियों की मौत हो गई, जबकि 50 के करीब घायल हैं। एक स्थानीय व्यक्ति ने मौजूदा हालात पर मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, "दो टैंकों को मवासी की पहाड़ी चोटियों पर रखा गया। उनमें से आग के गोले छोड़े जा रहे हैं। ये आग के गोले विस्थापित लोगों के तंबुओं पर गिर रहे हैं।" 

घटना की समीक्षा कर रहें इस्राइली सेना

इस्राइली सेना ने बताया कि घटना की समीक्षा की जा रही है। उन्होंने आगे कहा, "प्रारंभिक जांच से मालूम चला है कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि अल-मवासी में मानवीय क्षेत्र में आईडीएफ (इस्राइली रक्षा बलों) द्वारा हमला किया गया था।" इससे पहले सेना ने कहा था कि राफा क्षेत्र में खुफिया आधारित कार्रवाई की जा रही है। इस दौरान हमास द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सुरंगों का पता भी लगाया गया। सेना ने आगे बताया कि कुछ हफ्ते पहले सैनिकों ने एक यूनिवर्सिटी को निशाना बनाया था। दरअसल, इस यूनिवर्सिटी में हमास के आतंकी अपना अभियान चला रहे थे।

कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले दो दिनों में इस्राइल ने हमले तेज कर दिए थे, मुश्किल से ही गोलियों और विस्फोटों की आवाजें रुकी थीं। स्थानीय नागरिक हैतेम ने कहा, "पिछली रात राफा में सबसे खराब रातों में से एक थीं। इलाके में ड्रोन, विमान और टैंक से हमले किए गए।" पिछले साल अक्तूबर से जारी इस्राइल-हमास संघर्ष को आठ महीने हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा। संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को कहा कि गाजा पट्टी में कब्जा करने वाली शक्ति के रूप में यह इस्राइल की जिम्मेदारी है कि फिलिस्तीनी क्षेत्र में सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा को बहाल करे। ताकि आसन्न अकाल की चेतावनी के बीच मानवीय सहायता पहुंचाई जा सके।


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