पिछले साल जनवरी में हिंडनबर्ग ने भारतीय शेयर बाजार में तूफान ला दिया था। अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग ने बड़ा आरोप लगाया था जिसकी वजह से समूह की कंपनियों की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली है। एक बार हिंडनबर्ग चर्चा में है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “भारत में कुछ जल्द ही बड़ा” इस पोस्ट ने एक बार फिर से सनसनी मचा दी है। पिछले साल 24 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप को जमकर हमले किए थे। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के पहले आई थी। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों की मार्केट वैल्यू 86 बिलियन डॉलर घट गई थी। इसके अलावा अडानी ग्रुप के विदेशों में लिस्टेड बॉन्ड की भी खूब बिकवाली देखने को मिली थी।
मार्केट को रेगुलेट करने वाली संस्था सेबी ने अडानी और हिंडनबर्ग मामले में एक नया खुलासा किया है। सेबी ने न्यूयार्क के हेज फंड मैनेजर को मार्क किंगडन और हिंडनबर्ग के सम्बन्धों पर बड़ी जानकारी दी है। सेबी ने कहा है कि हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से 2 महीने पहले ही मार्क किंगडन के साथ साझा कर दिया था। जिससे रणनीतिक ट्रेडिंग के जरिए बड़ा लाभ कमाया गया था।
46 पन्नों के इस कारण बताओ नोटिस में सेबी ने कहा है कि हिंडनबर्ग और किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट मई 2021 में रिसर्च एग्रीमेंट किया था। इसी एग्रीमेंट के तहत जनवरी 2023 में प्रकाशित फाइनल रिपोर्ट के पहले दोनों के बीच ड्राफ्ट रिपोर्ट साझा किया गया था। सेबी की नोटिस से पता चलता है कि कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट लिमिटेड में हिस्सेदारी रखने वाले किंगडन कैपिटल ने जनवरी 2023 के उथल-पुथल के दौरान लाभ कमाया था। रिपोर्ट के अनुसार किंगडन कैपिटल ने अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड में शॉर्ट पोजीशन लेने के लिए कथित तौर पर 43 मिलियन डॉलर ट्रांसफर किया था। बाद में पोजीशन के जरिए 22.25 मिलियन डॉलर कमाया था।
अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयर 24 जनवरी 2023 को प्रकाशित हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद 3422 रुपये से लुढ़ककर 1404.85 रुपये पर आ गए थे। कंपनी के शेयरों का भाव 59 प्रतिशत टूट गया था। सेबी ने अपनी जांच में पाया है कि किंगडन के द्वारा नियंत्रित किए जाने वाले K India Opportunities Fund ने रिपोर्ट पब्लिश होने से कुछ समय पहले ट्रेड शुरू कर दिया था। और जब रिपोर्ट से अडानी की कंपनी के शेयर लुढ़के तो उन्हें बड़ा लाभ हुआ। वहीं, अपने बचाव में किंगडन कैपिटल ने कहा था कि कानूनी तौर पर वो इस तरह का एग्रीमेंट कर सकते हैं। साथ ही रिपोर्ट पब्लिक होने से पहले उसे प्राप्त करने और उसपर एक्शन लेने की अनुमति रहती है। कोटक महिंद्रा बैंक ने किंगडन और हिंडनबर्ग के सम्बन्धों की जानकारी से इनकार किया है।
पिछले साल जनवरी में हिंडनबर्ग ने भारतीय शेयर बाजार में तूफान ला दिया था। अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग ने बड़ा आरोप लगाया था जिसकी वजह से समूह की कंपनियों की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली है। एक बार हिंडनबर्ग चर्चा में है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “भारत में कुछ जल्द ही बड़ा” इस पोस्ट ने एक बार फिर से सनसनी मचा दी है। पिछले साल 24 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप को जमकर हमले किए थे। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के पहले आई थी। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों की मार्केट वैल्यू 86 बिलियन डॉलर घट गई थी। इसके अलावा अडानी ग्रुप के विदेशों में लिस्टेड बॉन्ड की भी खूब बिकवाली देखने को मिली थी।
मार्केट को रेगुलेट करने वाली संस्था सेबी ने अडानी और हिंडनबर्ग मामले में एक नया खुलासा किया है। सेबी ने न्यूयार्क के हेज फंड मैनेजर को मार्क किंगडन और हिंडनबर्ग के सम्बन्धों पर बड़ी जानकारी दी है। सेबी ने कहा है कि हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से 2 महीने पहले ही मार्क किंगडन के साथ साझा कर दिया था। जिससे रणनीतिक ट्रेडिंग के जरिए बड़ा लाभ कमाया गया था।
46 पन्नों के इस कारण बताओ नोटिस में सेबी ने कहा है कि हिंडनबर्ग और किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट मई 2021 में रिसर्च एग्रीमेंट किया था। इसी एग्रीमेंट के तहत जनवरी 2023 में प्रकाशित फाइनल रिपोर्ट के पहले दोनों के बीच ड्राफ्ट रिपोर्ट साझा किया गया था। सेबी की नोटिस से पता चलता है कि कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट लिमिटेड में हिस्सेदारी रखने वाले किंगडन कैपिटल ने जनवरी 2023 के उथल-पुथल के दौरान लाभ कमाया था। रिपोर्ट के अनुसार किंगडन कैपिटल ने अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड में शॉर्ट पोजीशन लेने के लिए कथित तौर पर 43 मिलियन डॉलर ट्रांसफर किया था। बाद में पोजीशन के जरिए 22.25 मिलियन डॉलर कमाया था।
अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के शेयर 24 जनवरी 2023 को प्रकाशित हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद 3422 रुपये से लुढ़ककर 1404.85 रुपये पर आ गए थे। कंपनी के शेयरों का भाव 59 प्रतिशत टूट गया था। सेबी ने अपनी जांच में पाया है कि किंगडन के द्वारा नियंत्रित किए जाने वाले K India Opportunities Fund ने रिपोर्ट पब्लिश होने से कुछ समय पहले ट्रेड शुरू कर दिया था। और जब रिपोर्ट से अडानी की कंपनी के शेयर लुढ़के तो उन्हें बड़ा लाभ हुआ। वहीं, अपने बचाव में किंगडन कैपिटल ने कहा था कि कानूनी तौर पर वो इस तरह का एग्रीमेंट कर सकते हैं। साथ ही रिपोर्ट पब्लिक होने से पहले उसे प्राप्त करने और उसपर एक्शन लेने की अनुमति रहती है। कोटक महिंद्रा बैंक ने किंगडन और हिंडनबर्ग के सम्बन्धों की जानकारी से इनकार किया है।