पेरिस . भारतीय एथलीट अजीत सिंह ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पेरिस पैरालंपिक की भाला फेंक एफ46 वर्ग की स्पर्धा में रजत पदक और हमवतन सुंदर सिंह गुजर ने कांस्य पदक जीता।
मंगलवार देर रात हुये मुकाबले में अजीत सिंह ने 65.62 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ रजत पदक अपने नाम किया। स्पर्धा के दौरान सुंदर सिंह गुर्जर 64.96 मीटर के अपने चौथे थ्रो के बाद दूसरे स्थान पर थे, लेकिन अजीत सिंह ने वापसी करते 65.62 मीटर का थ्रो करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया।
मुकाबले के बाद अजीत ने कहा, “मैंने टोक्यो (2020) में पैरालंपिक में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था, इसलिए इस बार मैंने पदक पर ध्यान केंद्रित किया उसकेे रंग के पदक पर नहीं।”
उन्होंने कहा, “मेरा ध्यान स्वर्ण पर नहीं था, मैं बस कोई भी पदक जीतना चाहता था, इसलिए मैं बहुत खुश हूं।”
उन्होंने,“मैं पिछले वर्ष विश्व चैंपियन था, लेकिन इस साल कोबे में विश्व चैंपियनशिप में मुझे केवल कांस्य पदक मिला। मैं उस समय अच्छी स्थिति में नहीं था, क्योंकि मेरा ध्यान पेरिस (2024) के लिए तैयार होने पर था।
उन्होंने कहा, “तो इस एक रजत पदक का मतलब सबकुछ है। अभी भी सुधार की गुंजाइश है, लेकिन यहां मैं एक पदक जीतना चाहता था और रजत पदक बहुत अच्छा है।”
पेरिस . भारतीय एथलीट अजीत सिंह ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पेरिस पैरालंपिक की भाला फेंक एफ46 वर्ग की स्पर्धा में रजत पदक और हमवतन सुंदर सिंह गुजर ने कांस्य पदक जीता।
मंगलवार देर रात हुये मुकाबले में अजीत सिंह ने 65.62 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ रजत पदक अपने नाम किया। स्पर्धा के दौरान सुंदर सिंह गुर्जर 64.96 मीटर के अपने चौथे थ्रो के बाद दूसरे स्थान पर थे, लेकिन अजीत सिंह ने वापसी करते 65.62 मीटर का थ्रो करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया।
मुकाबले के बाद अजीत ने कहा, “मैंने टोक्यो (2020) में पैरालंपिक में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था, इसलिए इस बार मैंने पदक पर ध्यान केंद्रित किया उसकेे रंग के पदक पर नहीं।”
उन्होंने कहा, “मेरा ध्यान स्वर्ण पर नहीं था, मैं बस कोई भी पदक जीतना चाहता था, इसलिए मैं बहुत खुश हूं।”
उन्होंने,“मैं पिछले वर्ष विश्व चैंपियन था, लेकिन इस साल कोबे में विश्व चैंपियनशिप में मुझे केवल कांस्य पदक मिला। मैं उस समय अच्छी स्थिति में नहीं था, क्योंकि मेरा ध्यान पेरिस (2024) के लिए तैयार होने पर था।
उन्होंने कहा, “तो इस एक रजत पदक का मतलब सबकुछ है। अभी भी सुधार की गुंजाइश है, लेकिन यहां मैं एक पदक जीतना चाहता था और रजत पदक बहुत अच्छा है।”