बिलासपुर । वन भूमि में ग्राम पंचायत द्वारा निर्माण कार्य कराए जाने का मामला सामने आया है। केंद्र सरकार की अनुमति के बगैर छोटे-बड़े झाड़ के जंगल की जमीन पर सार्वजनिक प्रायोजन के लिए निर्माण कार्य कराया जा रहा था। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
मामला सारंगढ़ जिले के ग्राम पंचायत सिंघानपुर का है। यहां जिला प्रशासन द्वारा लैंड यूज नियमों को दरकिनार कर ग्राम पंचायत के माध्यम से सार्वजनिक उपयोग के लिए निर्माण कार्य कराया जा रहा था। राजस्व दस्तावेजों में यह जमीन वन भूमि है। छोटे-बड़े जंगल के झाड़ के रूप में दर्ज है। गांव के किसान जानकी निराला ने इसकी शिकायत तहसीलदार से की थी। राजस्व दस्तावेजों की जांच कराने और उसके बाद निर्माण कार्य पर रोक लगाने आवेदन दिया था। शिकायतकर्ता ने तहसीलदार को यह भी जानकारी दी थी कि लैंड यूज बदला जा रहा है। जंगल की भूमि के बाद उसकी कृषि भूमि है। जिस जमीन पर निर्माण कार्य कराया जा रहा है वह आम निस्तारी का रास्ता है। निर्माण कार्य होने से आम निस्तारी का रास्ता बंद हो जाएगा। उसके अलावा अन्य किसानों व ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा आने जाने के लिए वैकल्पिक कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है।
शिकायत के बाद तहसीलदार ने आरआई व पटवारी के माध्यम से रिपोर्ट मांगी। खुद मौका मुआयना किया। राजस्व दस्तावेजों में वन भूमि होने की रिपोर्ट के बाद भी तहसीलदार ने किसान के आवेदन को खारिज कर दिया। एसडीएम ने भी तहसीलदार के आदेश को यथावत रखते हुए लैंड यूज के नाम पर हो रहे खेल में सहभागी बन गए।
तहसीलदार और एसडीएम द्वारा आवेदन को अमान्य करने के बाद किसान जानकी निराला ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में वन अधिनियम और नियमों का हवाला देते हुए बताया कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अनुसार लैंड यूज नहीं बदला जा सकता। बहुत जरुरी होने पर केंद्र सरकार की अनुमति से ही वन भूमि पर गैर वानिकी कार्य किया जा सकता है। वन संरक्षण अधिनियम के अनुसार प्रत्येक शासकीय प्राधिकारी का यह कर्तव्य है कि केंद्र सरकार की अनुमति के बगैर कोई अन्य कार्य ना होने दें। वन भूमि का गैर वानिकी परिवर्तन दंडनीय अपराध। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
बिलासपुर । वन भूमि में ग्राम पंचायत द्वारा निर्माण कार्य कराए जाने का मामला सामने आया है। केंद्र सरकार की अनुमति के बगैर छोटे-बड़े झाड़ के जंगल की जमीन पर सार्वजनिक प्रायोजन के लिए निर्माण कार्य कराया जा रहा था। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
मामला सारंगढ़ जिले के ग्राम पंचायत सिंघानपुर का है। यहां जिला प्रशासन द्वारा लैंड यूज नियमों को दरकिनार कर ग्राम पंचायत के माध्यम से सार्वजनिक उपयोग के लिए निर्माण कार्य कराया जा रहा था। राजस्व दस्तावेजों में यह जमीन वन भूमि है। छोटे-बड़े जंगल के झाड़ के रूप में दर्ज है। गांव के किसान जानकी निराला ने इसकी शिकायत तहसीलदार से की थी। राजस्व दस्तावेजों की जांच कराने और उसके बाद निर्माण कार्य पर रोक लगाने आवेदन दिया था। शिकायतकर्ता ने तहसीलदार को यह भी जानकारी दी थी कि लैंड यूज बदला जा रहा है। जंगल की भूमि के बाद उसकी कृषि भूमि है। जिस जमीन पर निर्माण कार्य कराया जा रहा है वह आम निस्तारी का रास्ता है। निर्माण कार्य होने से आम निस्तारी का रास्ता बंद हो जाएगा। उसके अलावा अन्य किसानों व ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा आने जाने के लिए वैकल्पिक कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है।
शिकायत के बाद तहसीलदार ने आरआई व पटवारी के माध्यम से रिपोर्ट मांगी। खुद मौका मुआयना किया। राजस्व दस्तावेजों में वन भूमि होने की रिपोर्ट के बाद भी तहसीलदार ने किसान के आवेदन को खारिज कर दिया। एसडीएम ने भी तहसीलदार के आदेश को यथावत रखते हुए लैंड यूज के नाम पर हो रहे खेल में सहभागी बन गए।
तहसीलदार और एसडीएम द्वारा आवेदन को अमान्य करने के बाद किसान जानकी निराला ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में वन अधिनियम और नियमों का हवाला देते हुए बताया कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अनुसार लैंड यूज नहीं बदला जा सकता। बहुत जरुरी होने पर केंद्र सरकार की अनुमति से ही वन भूमि पर गैर वानिकी कार्य किया जा सकता है। वन संरक्षण अधिनियम के अनुसार प्रत्येक शासकीय प्राधिकारी का यह कर्तव्य है कि केंद्र सरकार की अनुमति के बगैर कोई अन्य कार्य ना होने दें। वन भूमि का गैर वानिकी परिवर्तन दंडनीय अपराध। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।