प्रतियोगी छात्र पहनाएं ये रत्न, एकाग्रता के साथ ही तेजी से बढ़ेगी याददाश्त! जानें कई और लाभ:

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ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह का वर्णन मिलता है. इन 9 ग्रहों के अपने-अपने प्रतिनिधि रत्न हैं. अगर आपकी कुंडली में कोई ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में विराजमान हैं तो उस ग्रह से संबंधित रत्न धारण करके उसके अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है. यहां हम बात करने जा रहे हैं लाजवर्त स्टोन के बारे में. जिसका संबंध राहु- केतु और शनि ग्रह से माना जाता है. यह रत्न तीनों ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने की शक्ति रखता है. रत्न विज्ञान मुताबिक लाजवर्त धारण करने से मानसिक क्षमता का विकास होता है. साथ ही नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मका आती हैं. कार्यक्षेत्र और बिजनेस में सफलता मिलती है. लाजवर्त रत्न दुर्घटनाओं से बचाता है. साथ ही इस रत्न को धारण करने से भाग्य का साथ मिलता है और धन आगमन के मार्ग खुलते हैं. आइए जानते हैं लाजवर्त धारण करने की विधि और इसके लाभ.

कैसा होता है लाजवर्त : लाजवर्त बाजार में आसानी से मिल जाता है. यह ज्यादा महंगा भी नहीं होता है. लाजवर्त नीले रंग का होता है. इसके ऊपर गोल्डन रंग की धारियां होती हैं. ये रत्न अफगानिस्तान, यूएसए और सोवियत रूस में भी पाया जाता है.

ये लोग कर सकते हैं धारण:  रत्न विज्ञान मुताबिक जिन लोगों की कुंडली में शनि सकारात्मक (उच्च) के स्थित हो, वो लोग लाजवर्त को धारण कर सकते हैं. साथ ही मकर और कुंभ राशि, लग्न वाले लाजवर्त धारण कर सकते हैं. क्योंकि इन राशियों पर शनि देव का आधिपत्य है. वहीं अगर कुंडली में राहु- केतु सकारात्मक (उच्च) के स्थित हों तो भी लाजवर्त पहना जा सकता है. लाजवर्त के साथ मूंगा और माणिक्य पहनने से बचना चाहिए.

रत्न शास्त्र अनुसार लाजवर्त को कम से कम सवा 8 से सवा 10 रत्ती का पहनना चाहिए. इसको शनिवार के दिन चांदी में धारण किया जा सकता है. इसको लॉकेट, अंगूठी और ब्रेसलेट में भी धारण किया जा सकता है. लाजवर्त मध्यमा उंगली में धारण करना शुभ माना जाता है. इसे पहनने से पहले सरसों या तिल के तेल में पांच घंटे पहले डुबोकर रखें. इसके बाद शनि देव के बीज का मंत्र का 108 बार जप करें. साथ ही शाम के समय इसे धारण करें.

लाजवर्त धारण करने से लाभ :

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि, मकर और कुंभ राशि के जातक लाजवर्त रत्न धारण कर सकते हैं. इस रत्न को धारण करने से मानसिक क्षमता का विकास होता है.

    शिक्षण कार्य से जुड़े व्यक्तियों के लिए यह रत्न उनकी क्षमताओं को बढ़ाता है, जिससे की वे अपना पूरा ध्यान अपने काम पर लगा सकें.

    इस रत्न के प्रयोग से व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ती है और चीजों को याद रखने की आदत बनती है.

    पढ़ाई में कमजोर छात्रों के लिए यह रत्न किसी चमत्कार से कम नहीं है. इसे बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाने वाला कारक माना जाता है.


ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह का वर्णन मिलता है. इन 9 ग्रहों के अपने-अपने प्रतिनिधि रत्न हैं. अगर आपकी कुंडली में कोई ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में विराजमान हैं तो उस ग्रह से संबंधित रत्न धारण करके उसके अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है. यहां हम बात करने जा रहे हैं लाजवर्त स्टोन के बारे में. जिसका संबंध राहु- केतु और शनि ग्रह से माना जाता है. यह रत्न तीनों ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने की शक्ति रखता है. रत्न विज्ञान मुताबिक लाजवर्त धारण करने से मानसिक क्षमता का विकास होता है. साथ ही नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मका आती हैं. कार्यक्षेत्र और बिजनेस में सफलता मिलती है. लाजवर्त रत्न दुर्घटनाओं से बचाता है. साथ ही इस रत्न को धारण करने से भाग्य का साथ मिलता है और धन आगमन के मार्ग खुलते हैं. आइए जानते हैं लाजवर्त धारण करने की विधि और इसके लाभ.

कैसा होता है लाजवर्त : लाजवर्त बाजार में आसानी से मिल जाता है. यह ज्यादा महंगा भी नहीं होता है. लाजवर्त नीले रंग का होता है. इसके ऊपर गोल्डन रंग की धारियां होती हैं. ये रत्न अफगानिस्तान, यूएसए और सोवियत रूस में भी पाया जाता है.

ये लोग कर सकते हैं धारण:  रत्न विज्ञान मुताबिक जिन लोगों की कुंडली में शनि सकारात्मक (उच्च) के स्थित हो, वो लोग लाजवर्त को धारण कर सकते हैं. साथ ही मकर और कुंभ राशि, लग्न वाले लाजवर्त धारण कर सकते हैं. क्योंकि इन राशियों पर शनि देव का आधिपत्य है. वहीं अगर कुंडली में राहु- केतु सकारात्मक (उच्च) के स्थित हों तो भी लाजवर्त पहना जा सकता है. लाजवर्त के साथ मूंगा और माणिक्य पहनने से बचना चाहिए.

रत्न शास्त्र अनुसार लाजवर्त को कम से कम सवा 8 से सवा 10 रत्ती का पहनना चाहिए. इसको शनिवार के दिन चांदी में धारण किया जा सकता है. इसको लॉकेट, अंगूठी और ब्रेसलेट में भी धारण किया जा सकता है. लाजवर्त मध्यमा उंगली में धारण करना शुभ माना जाता है. इसे पहनने से पहले सरसों या तिल के तेल में पांच घंटे पहले डुबोकर रखें. इसके बाद शनि देव के बीज का मंत्र का 108 बार जप करें. साथ ही शाम के समय इसे धारण करें.

लाजवर्त धारण करने से लाभ :

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि, मकर और कुंभ राशि के जातक लाजवर्त रत्न धारण कर सकते हैं. इस रत्न को धारण करने से मानसिक क्षमता का विकास होता है.

    शिक्षण कार्य से जुड़े व्यक्तियों के लिए यह रत्न उनकी क्षमताओं को बढ़ाता है, जिससे की वे अपना पूरा ध्यान अपने काम पर लगा सकें.

    इस रत्न के प्रयोग से व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ती है और चीजों को याद रखने की आदत बनती है.

    पढ़ाई में कमजोर छात्रों के लिए यह रत्न किसी चमत्कार से कम नहीं है. इसे बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाने वाला कारक माना जाता है.


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