रायपुर - रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा शहर के विभिन्न एरिया में मकान, फ्लैट बनाकर लोगों को दिए हैं और लोग खरीदकर वहां निवासरत भी है। बताया जा रहा है कि आरडीए के कॉलोनियों में निवासरत रहवासी रोजाना किसी न किसी कार्य जैसे नाली ठीक करना, घरों/फ्लैटों की मरम्मत और पोताई इत्यादि को ठीक करने हेतु शिकायत करते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार आरडीए कॉलोनी में निवासरत बहुत से लोगों ने सालाना रखरखाव हेतु आरडीए को शुल्क नहीं पटाये हैं और बिना शुल्क दिए उन्हें सर्वसुविधा चाहिए।
प्राइवेट कॉलोनियों में मकान/फ्लैट खरीदते समय रखरखाव हेतु पहले ही आगामी 3-वर्षों का शुल्क ले लिया जाता है और 3-वर्ष उपरांत प्रति वर्गफीट के हिसाब से तय राशि अनुसार रहवासियों से शुल्क लिया जाता है और इससे सोसाइटी साफ सुथरा रहता है। लेकिन आरडीए के कॉलोनियों में निवासरत बहुत से रहवासी शुल्क नहीं पटाये हैं जिससे करोड़ों के रुपये बकाया हो गए हैं। अब यदि व्यक्ति शुल्क ही न अदा करे तो राज्य सरकार के अधिनस्त आरडीए कैसे अपने कार्यों को सही ढंग से पूरा कर पाएंगे।
दूसरी बात यह भी सामने निकलकर आई कि राजस्व अधिकारियों की ड्यूटी चुनाव आदि कार्यों में लगा दिए जाते हैं जिससे राजस्व नहीं मिल पाता है जो बहुत ही बड़ा विडंबना है। सरकार को चाहिए कि वे राजस्व अधिकारियों को अन्य ड्यूटी की जगह उन्हें उनके कार्य करने दिया जाए जिससे राजस्व आये और आरडीए के कॉलोनी वासियों को तकलीफ न उठाना पड़े।
रायपुर - रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा शहर के विभिन्न एरिया में मकान, फ्लैट बनाकर लोगों को दिए हैं और लोग खरीदकर वहां निवासरत भी है। बताया जा रहा है कि आरडीए के कॉलोनियों में निवासरत रहवासी रोजाना किसी न किसी कार्य जैसे नाली ठीक करना, घरों/फ्लैटों की मरम्मत और पोताई इत्यादि को ठीक करने हेतु शिकायत करते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार आरडीए कॉलोनी में निवासरत बहुत से लोगों ने सालाना रखरखाव हेतु आरडीए को शुल्क नहीं पटाये हैं और बिना शुल्क दिए उन्हें सर्वसुविधा चाहिए।
प्राइवेट कॉलोनियों में मकान/फ्लैट खरीदते समय रखरखाव हेतु पहले ही आगामी 3-वर्षों का शुल्क ले लिया जाता है और 3-वर्ष उपरांत प्रति वर्गफीट के हिसाब से तय राशि अनुसार रहवासियों से शुल्क लिया जाता है और इससे सोसाइटी साफ सुथरा रहता है। लेकिन आरडीए के कॉलोनियों में निवासरत बहुत से रहवासी शुल्क नहीं पटाये हैं जिससे करोड़ों के रुपये बकाया हो गए हैं। अब यदि व्यक्ति शुल्क ही न अदा करे तो राज्य सरकार के अधिनस्त आरडीए कैसे अपने कार्यों को सही ढंग से पूरा कर पाएंगे।
दूसरी बात यह भी सामने निकलकर आई कि राजस्व अधिकारियों की ड्यूटी चुनाव आदि कार्यों में लगा दिए जाते हैं जिससे राजस्व नहीं मिल पाता है जो बहुत ही बड़ा विडंबना है। सरकार को चाहिए कि वे राजस्व अधिकारियों को अन्य ड्यूटी की जगह उन्हें उनके कार्य करने दिया जाए जिससे राजस्व आये और आरडीए के कॉलोनी वासियों को तकलीफ न उठाना पड़े।