बिहान योजना से चांदनी बनी लखपति दीदी:

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एमसीबी . छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ष्बिहानष् ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए नई दिशा दी है। इस योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के जीवन में न केवल आर्थिक स्थिरता लाई है, बल्कि उन्हें अपनी क्षमता पहचानने का अवसर भी दिया है । मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के मनेन्द्रगढ़ ब्लॉक के ग्राम घुटरा की निवासी चांदनी दीदी ने इस योजना का लाभ उठाकर न केवल अपनी आजीविका सुदृढ़ की है, बल्कि अपने गांव की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं। उनकी सफलता की कहानी मुर्गी पालन और बाड़ी विकास के साथ एक अभिनव मॉडल प्रस्तुत करती है।


स्वसहायता समूह से मिली चांदनी दीदी को नई दिशा

चांदनी दीदी राधा स्वसहायता समूह से जुड़ीं और बिहान योजना के अंतर्गत उन्हें 50 हजार रुपये का ऋण प्राप्त हुआ। इस राशि का उपयोग उन्होंने मिट्टी के घर में 300 चूजों के साथ पोल्ट्री फार्म शुरू करने के लिए किया। यह निर्णय लेना उनके लिए आसान नहीं था। परिवार की सीमित आय और गांव में कम संसाधनों के बावजूद उन्होंने साहस दिखाया। अपने परिवार से सलाह-मशवरा कर उन्होंने ठोस योजना बनाई और इसे अमल में लाया।


पशु सखी की मदद से मुर्गी पालन की अनोखी व्यवस्था

चांदनी दीदी ने पशु सखी की मदद से चूजों की देखभाल के लिए अनूठी व्यवस्था की। उन्होंने मिट्टी के एक कमरे को चूजों के लिए तैयार किया और रूम हीटर का उपयोग करके उचित तापमान बनाए रखा। दूसरे कमरे में बड़े मुर्गों और मुर्गियों के लिए स्थान निर्धारित किया। उनकी देखभाल में हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा गया। चूजों को समय पर भोजन, पानी और उचित देखभाल मिलती थी, जिससे उनकी वृद्धि सुचारू रूप से हुई।


चांदनी ने प्राकृतिक खाद से बाड़ी का भी किया विकास

मुर्गी पालन से उत्पन्न कचरे का उपयोग चांदनी दीदी ने अपने बाड़ी विकास के लिए किया। मुर्गियों के मल-मूत्र को उन्होंने खाद के रूप में इस्तेमाल किया, जिससे उनके बाड़ी में उगाई जाने वाली सब्जियों की गुणवत्ता बढ़ी। इस खाद के उपयोग से न केवल उनकी सब्जियों की पैदावार बेहतर हुई, बल्कि उन्होंने इसे बाजार में भी बेचा। यह तरीका न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद था, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी था।


50 हजार रुपये की लागत से शुरू किए गए इस व्यवसाय ने महज 10-11 महीनों में ड़ेढ़ लाख रुपये की कमाई का रास्ता खोल दिया। अपनी पहली सफलता के बाद चांदनी दीदी ने इस आय को पुनः निवेश कर और चूजे खरीदने का निर्णय लिया। धीरे-धीरे उनकी आय में वृद्धि हुई और वह अपने व्यवसाय को और अधिक विस्तृत करने लगीं।


चांदनी दीदी बनी गांव के लिए प्रेरणा

चांदनी दीदी की मेहनत और सूझबूझ ने उन्हें गांव की महिलाओं के लिए एक मिसाल बना दिया। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर इच्छा शक्ति मजबूत हो और सही दिशा में कदम बढ़ाए जाएं, तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। उनके /अनुभवों से प्रेरित होकर गांव की अन्य महिलाएं भी मुर्गी पालन और बाड़ी विकास जैसे व्यवसायों में रुचि दिखाने लगीं।


बिहान योजना से महिलाओं के सशक्तिकरण की नई कहानी

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का जो मंच प्रदान किया है, वह अद्वितीय है। चांदनी दीदी की सफलता इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन और संसाधन मिलने पर महिलाएं न केवल अपने परिवार, बल्कि समाज के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। चांदनी दीदी की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है, बस हमें अपने भीतर की शक्ति को पहचानना होगा। मुर्गी पालन और बाड़ी विकास का यह अनूठा मॉडल न केवल ग्रामीण आजीविका का एक सफल उदाहरण है, बल्कि यह साबित करता है कि स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। आज चांदनी दीदी की मेहनत और उनकी कहानी छत्तीसगढ़ के हर कोने में गूंज रही है। उनकी यह सफलता "जहां चाह वहां राह" की सच्ची मिसाल है।


एमसीबी . छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ष्बिहानष् ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए नई दिशा दी है। इस योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के जीवन में न केवल आर्थिक स्थिरता लाई है, बल्कि उन्हें अपनी क्षमता पहचानने का अवसर भी दिया है । मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के मनेन्द्रगढ़ ब्लॉक के ग्राम घुटरा की निवासी चांदनी दीदी ने इस योजना का लाभ उठाकर न केवल अपनी आजीविका सुदृढ़ की है, बल्कि अपने गांव की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं। उनकी सफलता की कहानी मुर्गी पालन और बाड़ी विकास के साथ एक अभिनव मॉडल प्रस्तुत करती है।


स्वसहायता समूह से मिली चांदनी दीदी को नई दिशा

चांदनी दीदी राधा स्वसहायता समूह से जुड़ीं और बिहान योजना के अंतर्गत उन्हें 50 हजार रुपये का ऋण प्राप्त हुआ। इस राशि का उपयोग उन्होंने मिट्टी के घर में 300 चूजों के साथ पोल्ट्री फार्म शुरू करने के लिए किया। यह निर्णय लेना उनके लिए आसान नहीं था। परिवार की सीमित आय और गांव में कम संसाधनों के बावजूद उन्होंने साहस दिखाया। अपने परिवार से सलाह-मशवरा कर उन्होंने ठोस योजना बनाई और इसे अमल में लाया।


पशु सखी की मदद से मुर्गी पालन की अनोखी व्यवस्था

चांदनी दीदी ने पशु सखी की मदद से चूजों की देखभाल के लिए अनूठी व्यवस्था की। उन्होंने मिट्टी के एक कमरे को चूजों के लिए तैयार किया और रूम हीटर का उपयोग करके उचित तापमान बनाए रखा। दूसरे कमरे में बड़े मुर्गों और मुर्गियों के लिए स्थान निर्धारित किया। उनकी देखभाल में हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा गया। चूजों को समय पर भोजन, पानी और उचित देखभाल मिलती थी, जिससे उनकी वृद्धि सुचारू रूप से हुई।


चांदनी ने प्राकृतिक खाद से बाड़ी का भी किया विकास

मुर्गी पालन से उत्पन्न कचरे का उपयोग चांदनी दीदी ने अपने बाड़ी विकास के लिए किया। मुर्गियों के मल-मूत्र को उन्होंने खाद के रूप में इस्तेमाल किया, जिससे उनके बाड़ी में उगाई जाने वाली सब्जियों की गुणवत्ता बढ़ी। इस खाद के उपयोग से न केवल उनकी सब्जियों की पैदावार बेहतर हुई, बल्कि उन्होंने इसे बाजार में भी बेचा। यह तरीका न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद था, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी था।


50 हजार रुपये की लागत से शुरू किए गए इस व्यवसाय ने महज 10-11 महीनों में ड़ेढ़ लाख रुपये की कमाई का रास्ता खोल दिया। अपनी पहली सफलता के बाद चांदनी दीदी ने इस आय को पुनः निवेश कर और चूजे खरीदने का निर्णय लिया। धीरे-धीरे उनकी आय में वृद्धि हुई और वह अपने व्यवसाय को और अधिक विस्तृत करने लगीं।


चांदनी दीदी बनी गांव के लिए प्रेरणा

चांदनी दीदी की मेहनत और सूझबूझ ने उन्हें गांव की महिलाओं के लिए एक मिसाल बना दिया। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर इच्छा शक्ति मजबूत हो और सही दिशा में कदम बढ़ाए जाएं, तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। उनके /अनुभवों से प्रेरित होकर गांव की अन्य महिलाएं भी मुर्गी पालन और बाड़ी विकास जैसे व्यवसायों में रुचि दिखाने लगीं।


बिहान योजना से महिलाओं के सशक्तिकरण की नई कहानी

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का जो मंच प्रदान किया है, वह अद्वितीय है। चांदनी दीदी की सफलता इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन और संसाधन मिलने पर महिलाएं न केवल अपने परिवार, बल्कि समाज के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। चांदनी दीदी की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है, बस हमें अपने भीतर की शक्ति को पहचानना होगा। मुर्गी पालन और बाड़ी विकास का यह अनूठा मॉडल न केवल ग्रामीण आजीविका का एक सफल उदाहरण है, बल्कि यह साबित करता है कि स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। आज चांदनी दीदी की मेहनत और उनकी कहानी छत्तीसगढ़ के हर कोने में गूंज रही है। उनकी यह सफलता "जहां चाह वहां राह" की सच्ची मिसाल है।


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