बिना ट्रायल कैसे इंस्टॉल हो गया साइलो ? क्या सच में 7 दिनों से हिल रहा था ? कब होगी गिरफ्तारी ?:

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छत्तीसगढ़ में मुंगेली के रामबोड़ गांव के कुसुम स्मेल्टर्स पॉवर व स्पंज प्लांट में हुए हादसे में अब तक 3 मजदूर और 1 इंजीनियर की मौत हो चुकी है. इस हादसे में फंसे लोगों को बचाने के लिए दो क्रेन से प्रयास किया जा रहे थे. भारी भरकम टैंक को क्रेन से उठाने के दौरान 4-6 बार क्रेन का बेल्ट टूट गए. इस इस हादसे के बाद जो बात सामने आई है वो बेदह चौंकाने वाली है. अब सवाल ये उठता है कि इन 4 बेगुनाहों की मौत का जिम्मेदार कौन है और ये Kusum Smelters Private Limited कंपनी किसकी है. इस घटना के बाद पुलिस ने प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी. सवाल ये है कि क्या कंपनी मालिक के खिलाफ भी कोई कार्रवाई होगी ?पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में ये बात सामने आई है कि मुंगेली जिला के कुसुम स्मेल्टर्स पॉवर प्लांट (Kusum Smelters Private Limited) में लगाए गए भारी भरकम साइलो (भंडारण टैंक) कमजोर लोहे के पाया के सहारे खड़ा था. डस्ट लोड होने के बाद से टैंक और लोहे का पाया हिलने लगता था. करीब एक सप्ताह से लगातार टैंक धीरे-धीरे हिल रहा था. वहां काम करने वाले मजदूरों ने अपने अफसरों को जानकारी दी थी, लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया.9 जनवरी को ओवरलोड डस्ट भरने के कारण लोहे का पाया टूट गया और टैंक ध्वस्त हो गया. घटना से कुछ समय पहले साइलो के पास कर्मचारी काम कर रहे थे और दो ट्रक खड़े थे. इस बीच चंद सेकेंड में साइलो ध्वस्त हो गया. जमीन पर गिरने से पहले एक ट्रक चालक ने सजगता से ट्रक को स्टार्ट करके पीछे कर लिया. वहीं, दूसरे ट्रक का चालक ट्रक से उतरकर लंच करने टैंक से 50 मीटर दूर पैदल चला गया था. इस बीच अचानक टैंक धीरे- धीरे नीचे गिर गया. जिससे एक ट्रक के सामने का हिस्स टैंक में दब गया और नीचे में काम करने वाले मजदूर भी फंस गए.

दोनों ट्रक चालकों की जान बच गई. साल भर पहले ही प्लांट शुरू हुआ है. बिना ट्रायल 20 दिन पहले ही साइलो को इंस्टॉल किया गया. बताया जा रहा है कि साइलो का वजन करीब 80 टन है. साइलो में 40 टन से ज्यादा राख लोड है. ऐसे में इसका वजन 120 टन से भी ज्यादा हो गया है. वजन ज्यादा होने के कारण ही कई क्रेन भी इसे उठाने में सफल नहीं हो पा रहे. अब गैस कटर की मदद से टैंक को काट कर वजन कम किया गया.


छत्तीसगढ़ में मुंगेली के रामबोड़ गांव के कुसुम स्मेल्टर्स पॉवर व स्पंज प्लांट में हुए हादसे में अब तक 3 मजदूर और 1 इंजीनियर की मौत हो चुकी है. इस हादसे में फंसे लोगों को बचाने के लिए दो क्रेन से प्रयास किया जा रहे थे. भारी भरकम टैंक को क्रेन से उठाने के दौरान 4-6 बार क्रेन का बेल्ट टूट गए. इस इस हादसे के बाद जो बात सामने आई है वो बेदह चौंकाने वाली है. अब सवाल ये उठता है कि इन 4 बेगुनाहों की मौत का जिम्मेदार कौन है और ये Kusum Smelters Private Limited कंपनी किसकी है. इस घटना के बाद पुलिस ने प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी. सवाल ये है कि क्या कंपनी मालिक के खिलाफ भी कोई कार्रवाई होगी ?पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में ये बात सामने आई है कि मुंगेली जिला के कुसुम स्मेल्टर्स पॉवर प्लांट (Kusum Smelters Private Limited) में लगाए गए भारी भरकम साइलो (भंडारण टैंक) कमजोर लोहे के पाया के सहारे खड़ा था. डस्ट लोड होने के बाद से टैंक और लोहे का पाया हिलने लगता था. करीब एक सप्ताह से लगातार टैंक धीरे-धीरे हिल रहा था. वहां काम करने वाले मजदूरों ने अपने अफसरों को जानकारी दी थी, लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया.9 जनवरी को ओवरलोड डस्ट भरने के कारण लोहे का पाया टूट गया और टैंक ध्वस्त हो गया. घटना से कुछ समय पहले साइलो के पास कर्मचारी काम कर रहे थे और दो ट्रक खड़े थे. इस बीच चंद सेकेंड में साइलो ध्वस्त हो गया. जमीन पर गिरने से पहले एक ट्रक चालक ने सजगता से ट्रक को स्टार्ट करके पीछे कर लिया. वहीं, दूसरे ट्रक का चालक ट्रक से उतरकर लंच करने टैंक से 50 मीटर दूर पैदल चला गया था. इस बीच अचानक टैंक धीरे- धीरे नीचे गिर गया. जिससे एक ट्रक के सामने का हिस्स टैंक में दब गया और नीचे में काम करने वाले मजदूर भी फंस गए.

दोनों ट्रक चालकों की जान बच गई. साल भर पहले ही प्लांट शुरू हुआ है. बिना ट्रायल 20 दिन पहले ही साइलो को इंस्टॉल किया गया. बताया जा रहा है कि साइलो का वजन करीब 80 टन है. साइलो में 40 टन से ज्यादा राख लोड है. ऐसे में इसका वजन 120 टन से भी ज्यादा हो गया है. वजन ज्यादा होने के कारण ही कई क्रेन भी इसे उठाने में सफल नहीं हो पा रहे. अब गैस कटर की मदद से टैंक को काट कर वजन कम किया गया.


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