डिटॉक्स ड्रिंक पीना काफी ज्यादा कॉमन है। लेकिन एक बात जानना जरूरी है कि आखिर कैसे पता चलेगा कि अब आपको बॉडी डिटॉक्स करने की जरूरत है। दरअसल, हर दिन हम कुछ ऐसे फूड्स खाते जिसमे केमिकल की मात्रा होती हैं। साथ ही हम पॉल्यूशन में रहते हैं और कई तरह के केमिकल के संपंर्क में भी आते हैं। ऐसे में बॉडी को डिटॉक्सिफिकेशन की जरूरत होती है। जिससे सारे टॉक्सिंस बाहर निकल जाएं और बॉडी के सारे फंक्शंस आसानी से होने लगे। लिवर डिटॉक्स के बारे में तो सब जानते हैं। लेकिन केवल लिवर ही नहीं जब बॉडी में ये 7 तरह की दिक्कतें होने लगें तो समझ जाएं कि उसे डिटॉक्स करने की जरूरत है।
लगातार हो रही कॉन्सटिपेशन
अगर आप ज्यादा वक्त से कब्ज के शिकार हैं तो जरूरी है कि आंतों को डिटॉक्स किया जाए। जिससे कि आंतों में सड़ रहा फूड बाहर निकले और साथ ही टॉक्सिंस भी निकल जाएं।
ब्लॉटिंग हो रही
जब पेट में फूड अनडाइजेस्ट हुए ही आंतों में पड़ा रह जाता है तो फर्मेंट होता है और गैस, एसिडिटी और ब्लॉटिंग जैसी दिक्कतें होती है। इस समय बॉडी को डिटॉक्स की जरूरत होती है।
शरीर से दुर्गंध आ रही
पसीने की खुद की कोई स्मेल नहीं होती लेकिन लिवर या किडनी की बीमारी होने पर अजीब सी स्मेल आती है। इसका मतलब है कि किडनी और लिवर को डिटॉक्सिफिकेशन की जरूरत है।
थकान, कमजोरी, सिरदर्द
शरीर में टॉक्सिंस जमा होने पर थकान, कमजोरी और सिरदर्द जैसी समस्या होने लगती है। ऐसे में डिटॉक्स वाटर, डिटॉक्स टी पीने से बॉडी रिलैक्स होती है और टॉक्सिंस बाहर निकलते हैं।
वजन बढ़ना
जब तेजी से वजन बढ़ रहा हो तब भी बॉडी को डिटॉक्स करने की जरूरत होती है। जिससे कि शरीर में इंफ्लेमेशन और गैरजरूरी वेटगेन ना हो।
डिटॉक्स ड्रिंक पीना काफी ज्यादा कॉमन है। लेकिन एक बात जानना जरूरी है कि आखिर कैसे पता चलेगा कि अब आपको बॉडी डिटॉक्स करने की जरूरत है। दरअसल, हर दिन हम कुछ ऐसे फूड्स खाते जिसमे केमिकल की मात्रा होती हैं। साथ ही हम पॉल्यूशन में रहते हैं और कई तरह के केमिकल के संपंर्क में भी आते हैं। ऐसे में बॉडी को डिटॉक्सिफिकेशन की जरूरत होती है। जिससे सारे टॉक्सिंस बाहर निकल जाएं और बॉडी के सारे फंक्शंस आसानी से होने लगे। लिवर डिटॉक्स के बारे में तो सब जानते हैं। लेकिन केवल लिवर ही नहीं जब बॉडी में ये 7 तरह की दिक्कतें होने लगें तो समझ जाएं कि उसे डिटॉक्स करने की जरूरत है।
लगातार हो रही कॉन्सटिपेशन
अगर आप ज्यादा वक्त से कब्ज के शिकार हैं तो जरूरी है कि आंतों को डिटॉक्स किया जाए। जिससे कि आंतों में सड़ रहा फूड बाहर निकले और साथ ही टॉक्सिंस भी निकल जाएं।
ब्लॉटिंग हो रही
जब पेट में फूड अनडाइजेस्ट हुए ही आंतों में पड़ा रह जाता है तो फर्मेंट होता है और गैस, एसिडिटी और ब्लॉटिंग जैसी दिक्कतें होती है। इस समय बॉडी को डिटॉक्स की जरूरत होती है।
शरीर से दुर्गंध आ रही
पसीने की खुद की कोई स्मेल नहीं होती लेकिन लिवर या किडनी की बीमारी होने पर अजीब सी स्मेल आती है। इसका मतलब है कि किडनी और लिवर को डिटॉक्सिफिकेशन की जरूरत है।
थकान, कमजोरी, सिरदर्द
शरीर में टॉक्सिंस जमा होने पर थकान, कमजोरी और सिरदर्द जैसी समस्या होने लगती है। ऐसे में डिटॉक्स वाटर, डिटॉक्स टी पीने से बॉडी रिलैक्स होती है और टॉक्सिंस बाहर निकलते हैं।
वजन बढ़ना
जब तेजी से वजन बढ़ रहा हो तब भी बॉडी को डिटॉक्स करने की जरूरत होती है। जिससे कि शरीर में इंफ्लेमेशन और गैरजरूरी वेटगेन ना हो।