महाकुंभ 2025 में बड़ी संख्या में नागा संन्यासी जुटे हुए हैं। वहीं, नए नागा संन्यासियों को भी दीक्षा दी जा रही है। इन सबके बीच लाइव हिन्दुस्तान ने एक नागा संन्यासी से बातचीत की। इस दौरान नागा संन्यासी ने भभूत को लेकर कई रहस्यों का खुलासा किया। इतना ही नहीं, नागा संत ने हमें भूतों से जुड़ी कहानी भी सुनाई। आइए जानते हैं आखिर क्या है भूत और भभूत की यह कहानी...
श्मशान की राख
इस नागा संन्यासी ने बताया कि भभूत के लिए हम लोग चिता की राख लेते हैं। उनसे पूछा गया कि क्या यह चिता की राख किसी खास श्मशान से ली जाती है? इसके जवाब में उन्होंने कहाकि ऐसा कुछ नहीं है। यह किसी भी श्मशान की चिता की राख होती है। इस राख को लेने के बाद नागा संन्यासी इसे अभिमंत्रित करते हैं। अभिमंत्रित करने के बाद फिर इसे शरीर पर लगाया जाता है। यह भभूत हमें अन्य लोगों से अलग करती है। यह दिखाता है कि हम जगत में तो हैं, लेकिन हमारा जीवन आम लोगों जैसा नहीं है।
नागा संत ने बताया हम लोग भगवान भोले के भक्त हैं और भस्म भोलनाथ को प्रिय है। श्मशान में रहते हैं भूत समुदाय और इन भूतों के स्वामी हैं भोलेनाथ। हम लोग भोलेनाथ का चिंतन करते-करते उनके जैसे हो गए। उन्होंने हमें अपने जैसा कर लिया। भगवान की पूजा करते-करते भक्त भी अपने भगवान जैसा ही हो जाता है। यह भस्मी भगवान भोलेनाथ का वस्त्र है। इसको धारण करके हम भी उनके साथ हो जाते हैं। नागा संत ने बताया कि हम लोग किसी के कंट्रोल में नहीं रहते हैं। हम अपने कंट्रोल में रहते हैं।
भूत समुदाय पर हमारा कंट्रोल
नागा संन्यासी ने बताया कि भूतों के स्वामी होने के चलते भगवान भोलेनाथ की जो शक्तियां हैं, वह भी हमारे अंदर काम करती हैं। उन्होंने कहाकि इसी वजह से भूत समुदाय के ऊपर हमारा कंट्रोल है। जितनी भी ऐसी शक्तियां हैं यह सब हमारे सामने पूरी तरह से शांत हैं। नागा संन्यासी ने यह भी दावा किया कि आम लोग भूतों से परेशान होकर उनके सामने हाथ जोड़ लेते हैं। लेकिन यह भूत लोग हमारे सामने हाथ जोड़ते हैं।
महाकुंभ 2025 में बड़ी संख्या में नागा संन्यासी जुटे हुए हैं। वहीं, नए नागा संन्यासियों को भी दीक्षा दी जा रही है। इन सबके बीच लाइव हिन्दुस्तान ने एक नागा संन्यासी से बातचीत की। इस दौरान नागा संन्यासी ने भभूत को लेकर कई रहस्यों का खुलासा किया। इतना ही नहीं, नागा संत ने हमें भूतों से जुड़ी कहानी भी सुनाई। आइए जानते हैं आखिर क्या है भूत और भभूत की यह कहानी...
श्मशान की राख
इस नागा संन्यासी ने बताया कि भभूत के लिए हम लोग चिता की राख लेते हैं। उनसे पूछा गया कि क्या यह चिता की राख किसी खास श्मशान से ली जाती है? इसके जवाब में उन्होंने कहाकि ऐसा कुछ नहीं है। यह किसी भी श्मशान की चिता की राख होती है। इस राख को लेने के बाद नागा संन्यासी इसे अभिमंत्रित करते हैं। अभिमंत्रित करने के बाद फिर इसे शरीर पर लगाया जाता है। यह भभूत हमें अन्य लोगों से अलग करती है। यह दिखाता है कि हम जगत में तो हैं, लेकिन हमारा जीवन आम लोगों जैसा नहीं है।
नागा संत ने बताया हम लोग भगवान भोले के भक्त हैं और भस्म भोलनाथ को प्रिय है। श्मशान में रहते हैं भूत समुदाय और इन भूतों के स्वामी हैं भोलेनाथ। हम लोग भोलेनाथ का चिंतन करते-करते उनके जैसे हो गए। उन्होंने हमें अपने जैसा कर लिया। भगवान की पूजा करते-करते भक्त भी अपने भगवान जैसा ही हो जाता है। यह भस्मी भगवान भोलेनाथ का वस्त्र है। इसको धारण करके हम भी उनके साथ हो जाते हैं। नागा संत ने बताया कि हम लोग किसी के कंट्रोल में नहीं रहते हैं। हम अपने कंट्रोल में रहते हैं।
भूत समुदाय पर हमारा कंट्रोल
नागा संन्यासी ने बताया कि भूतों के स्वामी होने के चलते भगवान भोलेनाथ की जो शक्तियां हैं, वह भी हमारे अंदर काम करती हैं। उन्होंने कहाकि इसी वजह से भूत समुदाय के ऊपर हमारा कंट्रोल है। जितनी भी ऐसी शक्तियां हैं यह सब हमारे सामने पूरी तरह से शांत हैं। नागा संन्यासी ने यह भी दावा किया कि आम लोग भूतों से परेशान होकर उनके सामने हाथ जोड़ लेते हैं। लेकिन यह भूत लोग हमारे सामने हाथ जोड़ते हैं।