छत्तीसगढ post authorJournalist खबरीलाल LAST UPDATED ON:Wednesday ,January 29,2025

पूर्व महापौर एजाज ढेबर की पत्नी अर्जुमन को अपना उम्मीदवार बनाया :

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रायपुर। कांग्रेस में प्रत्याशियों के घोषणा के बाद से लगातार बगावत देखने को मिल रहा है. पार्टी में विरोध इतना ज्यादा है कि राजधानी रायपुर के 70 में से सिर्फ 66 पार्षदों के नाम की ही घोषणा की गई थी. बाकी 4 नामों को रोक दिया गया था. अब खबर है कि 4 में से 1 नाम फाइनल कर लिया गया है. मौलाना अब्दुल रऊफ वार्ड से कांग्रेस ने पूर्व महापौर एजाज ढेबर की पत्नी अर्जुमन को अपना उम्मीदवार बनाया है. यानी एक ही घर से दो लोगों को टिकट दिया गया है.

चर्चा है कि प्रत्याशियों को बकायदा फोन कर इस बात की जानकारी दे गई है कि उन्हें नामांकन दाखिल करना है. लेकिन पार्टी की ओर से अभी कोई जानकारी नहीं आई है. नामांकन प्रकिया तो पूरी हो गई है लेकिन शेष 3 सीटों के लिए अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है. बता दें कांग्रेस ने रायपुर नगर निगम के मौलाना अब्दुल रऊफ़ वार्ड -45, मदर टेरेसा वार्ड-47, डॉ. राजेंद्र प्रसाद वार्ड-52, अरविंद दीक्षित वार्ड-56 में प्रत्याशियों में नेताओं के बीच खीचतान के कारण प्रत्याशियों की घोषणा की नहीं थी. आज वार्ड क्रमांक 45 से पूर्व महापौर एजाज ढेबर की पत्नी अर्जुमन ढेबर पर कांग्रेस पार्टी ने भरोसा जताया है. खबर है कि कई कांग्रेसी कार्यकर्ता नाराज है.

कल तक बैज, सिंहदेव और अन्य नेता हार का कारण एजाज को बताकर भूपेश के ऊपर हमलावर हुआ करते थे लेकिन अभी अभी सब खामोश क्यों थे, यह भी सोचने वाली बात है। अभी भूपेश बघेल टिकट के मामले में खामोश थे तो उन नेताओं को विरोध करना था जो हार का ठीकरा एजाज़ के नाम पर फोड़ते थे। वैसे भी कांग्रेस में पैसा ही बोलता है एक परिवार से दो लोगों को टिकट नहीं दिया जाना था तो एजाज़ और उसकी पत्नी को किस बेस पर टिकट दी गई। पीसीसी का स्पष्ट फार्मूला था कि एक परिवार से एक ही को टिकट देना है। क्या यहां की टिकट बेच दिया गया है। बैजनाथपारा से शारीक खान की पत्नी का नाम लगभग फाइनल था और उन्हें फॉर्म भरने भी बोल दिया गया था। तो ऐसी क्या बात हुई की शरीक खान ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। फिर तो कांग्रेस की मजबूरी हो गई थी कि एजाज़ ढेबर की पत्नी को ही टिकट दिया जाय। यह भी गेम प्लान के तहत किया जाना प्रतीत होता है। क्या यहां भी लेनदेन का मामला तो नहीं है। मजे की बात बैजनाथपारा से एक भी निर्दलीय खड़े नहीं हुए हैं यह भी सोचनीय है। कांग्रेस पूरी तरह से बिक गई है। यहां सिर्फ पैसे वालों की मनमर्जी चलेगी या जमीनी कार्यकर्ताओं की भी सुनी जाएगी। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब कांग्रेस को कार्यकता ढूंढना पड़ेगा पैसे में खरीदना पड़ेगा। शारीक खान ने दीपक बैज और बड़े नेताओं को फोन पर चुनाव नहीं लड़ने की जानकारी भी दी थी, क्या कांग्रेस पार्टी किसी की गुलाम हो गई है या बड़े नेता सिर्फ पैसे की भाषा समझते हैं।




रायपुर। कांग्रेस में प्रत्याशियों के घोषणा के बाद से लगातार बगावत देखने को मिल रहा है. पार्टी में विरोध इतना ज्यादा है कि राजधानी रायपुर के 70 में से सिर्फ 66 पार्षदों के नाम की ही घोषणा की गई थी. बाकी 4 नामों को रोक दिया गया था. अब खबर है कि 4 में से 1 नाम फाइनल कर लिया गया है. मौलाना अब्दुल रऊफ वार्ड से कांग्रेस ने पूर्व महापौर एजाज ढेबर की पत्नी अर्जुमन को अपना उम्मीदवार बनाया है. यानी एक ही घर से दो लोगों को टिकट दिया गया है.

चर्चा है कि प्रत्याशियों को बकायदा फोन कर इस बात की जानकारी दे गई है कि उन्हें नामांकन दाखिल करना है. लेकिन पार्टी की ओर से अभी कोई जानकारी नहीं आई है. नामांकन प्रकिया तो पूरी हो गई है लेकिन शेष 3 सीटों के लिए अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है. बता दें कांग्रेस ने रायपुर नगर निगम के मौलाना अब्दुल रऊफ़ वार्ड -45, मदर टेरेसा वार्ड-47, डॉ. राजेंद्र प्रसाद वार्ड-52, अरविंद दीक्षित वार्ड-56 में प्रत्याशियों में नेताओं के बीच खीचतान के कारण प्रत्याशियों की घोषणा की नहीं थी. आज वार्ड क्रमांक 45 से पूर्व महापौर एजाज ढेबर की पत्नी अर्जुमन ढेबर पर कांग्रेस पार्टी ने भरोसा जताया है. खबर है कि कई कांग्रेसी कार्यकर्ता नाराज है.

कल तक बैज, सिंहदेव और अन्य नेता हार का कारण एजाज को बताकर भूपेश के ऊपर हमलावर हुआ करते थे लेकिन अभी अभी सब खामोश क्यों थे, यह भी सोचने वाली बात है। अभी भूपेश बघेल टिकट के मामले में खामोश थे तो उन नेताओं को विरोध करना था जो हार का ठीकरा एजाज़ के नाम पर फोड़ते थे। वैसे भी कांग्रेस में पैसा ही बोलता है एक परिवार से दो लोगों को टिकट नहीं दिया जाना था तो एजाज़ और उसकी पत्नी को किस बेस पर टिकट दी गई। पीसीसी का स्पष्ट फार्मूला था कि एक परिवार से एक ही को टिकट देना है। क्या यहां की टिकट बेच दिया गया है। बैजनाथपारा से शारीक खान की पत्नी का नाम लगभग फाइनल था और उन्हें फॉर्म भरने भी बोल दिया गया था। तो ऐसी क्या बात हुई की शरीक खान ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। फिर तो कांग्रेस की मजबूरी हो गई थी कि एजाज़ ढेबर की पत्नी को ही टिकट दिया जाय। यह भी गेम प्लान के तहत किया जाना प्रतीत होता है। क्या यहां भी लेनदेन का मामला तो नहीं है। मजे की बात बैजनाथपारा से एक भी निर्दलीय खड़े नहीं हुए हैं यह भी सोचनीय है। कांग्रेस पूरी तरह से बिक गई है। यहां सिर्फ पैसे वालों की मनमर्जी चलेगी या जमीनी कार्यकर्ताओं की भी सुनी जाएगी। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब कांग्रेस को कार्यकता ढूंढना पड़ेगा पैसे में खरीदना पड़ेगा। शारीक खान ने दीपक बैज और बड़े नेताओं को फोन पर चुनाव नहीं लड़ने की जानकारी भी दी थी, क्या कांग्रेस पार्टी किसी की गुलाम हो गई है या बड़े नेता सिर्फ पैसे की भाषा समझते हैं।




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