रायगढ़ . निचले क्षेत्रों और बंद खदानों में
भू-भराव के लिए फ्लाई एश का इस्तेमाल हो रहा है। इसके लिए मानक संचालन
प्रक्रिया जारी की गई थी। देखने में आ रहा है कि कई उद्योग नियमों का पालन
नहीं कर रहे हैं। इसलिए अब छग पर्यावरण संरक्षण मंडल ने इसमें सख्ती करने
का आदेश दिया है। अब एक बार उल्लंघन पर सीपीसीबी के निर्देश पर पेनाल्टी,
दूसरी बार उल्लंघन पर पहली बार से दोगुनी राशि, तीसरी बार उल्लंघन पर तीन
गुना, चौथी बार उल्लंघन होने पर चार गुना और पांचवी बार उल्लंघन होने पर
सदस्य सचिव जल एवं वायु सम्मति निलंबित या स्थगित कर देंगे। जिले में पावर
प्लांटों से उत्सर्जित फ्लाई एश का यूटीलाइजेशन कम डिस्पोजल ज्यादा हो रहा
है। उद्योगों को कलेक्टर कीि अध्यक्षता में बनी समिति अनुमति दे रही है। 11
दिसंबर 2024 को इसकी मानक संचालन प्रक्रिया जारी की गई थी। इसका पालन नहीं
करने पर सख्त कार्रवाई होगी।
अब इसके लिए अलग से आदेश जारी किया गया है जो एक फरवरी 2025 से
प्रभावशील होगा। छग पर्यावरण संरक्षण ने सभी जिलों में फ्लाई एश के
यूटीलाइजेशन की समीक्षा की। इसमें पाया कि अलग-अलग जिलों में अलग व्यवस्था
थी। कहीं पर्यावरण विभाग अनुमति दे रहा है तो कहीं राजस्व विभाग। रायगढ़
जिले में कलेक्टर ने ज्वाइंट कमेटी बनाई है। कमेटी के सभी अफसरों के साइन
होने के बाद ही अनुमति दी जाती है।सीईसीबी ने इसकी मानक संचालन प्रक्रिया
जारी की थी। इसके तहत निचले क्षेत्रों और खदानों में भराव के लिए एश का
इस्तेमाल करने के पूर्व विधिवत अनुमति लेनी होगी। सभी जिलों में एकरूपता
रखने के लिए ऐसा एसओपी जारी किया गया है। सभी थर्मल पावर प्लांट को अब इसके
तहत ही अनुमति लेनी पड़ेगी।
सीईसीबी ने दस बिंदुओं में एसओपी जारी की थी। उद्योग को भूमि के
दस्तावेज, स्थल के पास कोई आबादी क्षेत्र, एनएच, स्टेट हाईवे, नदी, नाला,
संवेदनशील क्षेत्र की जानकारी देनी होगी। निष्क्रिय खदान में भराव के पूर्व
राजस्व और खनिज विभाग की एनओसी अनिवार्य है। निजी भूमि होने पर भूस्वामी
की सहमति, भराव के बाद भूमि के उपयोग की जानकारी देनी पड़ेगी। यदि भूमि
ग्राम पंचायत क्षेत्र की है तो वहां से एनओसी और नगरीय निकाय क्षेत्र होने
पर वहां से एनओसी लगेगी। फ्लाई एश देने वाले प्लांट और ट्रांसपोर्टर के बीच
एग्रीमेंट की कॉपी, क्षेत्र, परिवहन माध्यम, सुरक्षा उपायों की जानकारी
देनी पड़ेगी।
सीपीसीबी के गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है जिसमें निष्क्रिय खदान की
भूमि व एश की मात्रा, मिट्टी की परतों का उल्लेख हो। फ्लाई एश परिवहन व
भराव के दौरान फ्यूजिटिव उत्सर्जन की रोकथाम एवं सुरक्षा के संबंध में
प्रस्ताव, प्लांट से दूरी, रूट मैप की जानकारी भी देनी जरूरी है। भराव के
लिए निश्चित अवधि बतानी होगी जिसमें मिट्टी की परत बिछाकर वृक्षारोपण करना
होगा। भराव कार्य पूर्ण होने के बाद पूर्णता प्रमाण पत्र आवेदक से लिया
जाना है। वाहनों को ढंककर परिवहन करना अनिवार्य है।
अब सीईसीबी ने कहा है कि दिसंबर में जारी एसओपी का पालन नहीं करने वाले
उद्योगों पर सख्ती होगी। पहली बार उल्लंघन पर नियमानुसार पेनाल्टी होगी।
दूसरी बार दो गुना, तीसरी बार तीन गुना और चौथी बार नियम तोडऩे पर चार गुना
क्षतिपूर्ति देनी होगी। पांचवी बार फिर से उस उद्योग ने उल्लंघन किया तो
उसको जारी जल एवं वायु सम्मति को सदस्य सचिव द्वारा स्थगित या निलंबित कर
दिया जाएगा।
रायगढ़ जिले में कई पावर प्लांट टिमरलगा और गुड़ेली में भू-भराव कर रहे
हैं। जितनी मात्रा की अनुमति मिली है, उससे अधिक एश डाला जा चुका है। इसकी
मॉनिटरिंग की कोई प्रक्रिया ही नहीं है। टिमरलगा और गुड़ेली समेत कई जगहों
पर अवैध खनन के सबूत मिटाए गए हैं। इसी वजह से कोई अफसर इस ओर ध्यान नहीं
देता। टिमरलगा और गुड़ेली में एश डलवाने के लिए कई क्रशर संचालकों के साथ
खनिज विभाग भी लगा हुआ है।
रायगढ़ . निचले क्षेत्रों और बंद खदानों में
भू-भराव के लिए फ्लाई एश का इस्तेमाल हो रहा है। इसके लिए मानक संचालन
प्रक्रिया जारी की गई थी। देखने में आ रहा है कि कई उद्योग नियमों का पालन
नहीं कर रहे हैं। इसलिए अब छग पर्यावरण संरक्षण मंडल ने इसमें सख्ती करने
का आदेश दिया है। अब एक बार उल्लंघन पर सीपीसीबी के निर्देश पर पेनाल्टी,
दूसरी बार उल्लंघन पर पहली बार से दोगुनी राशि, तीसरी बार उल्लंघन पर तीन
गुना, चौथी बार उल्लंघन होने पर चार गुना और पांचवी बार उल्लंघन होने पर
सदस्य सचिव जल एवं वायु सम्मति निलंबित या स्थगित कर देंगे। जिले में पावर
प्लांटों से उत्सर्जित फ्लाई एश का यूटीलाइजेशन कम डिस्पोजल ज्यादा हो रहा
है। उद्योगों को कलेक्टर कीि अध्यक्षता में बनी समिति अनुमति दे रही है। 11
दिसंबर 2024 को इसकी मानक संचालन प्रक्रिया जारी की गई थी। इसका पालन नहीं
करने पर सख्त कार्रवाई होगी।
अब इसके लिए अलग से आदेश जारी किया गया है जो एक फरवरी 2025 से
प्रभावशील होगा। छग पर्यावरण संरक्षण ने सभी जिलों में फ्लाई एश के
यूटीलाइजेशन की समीक्षा की। इसमें पाया कि अलग-अलग जिलों में अलग व्यवस्था
थी। कहीं पर्यावरण विभाग अनुमति दे रहा है तो कहीं राजस्व विभाग। रायगढ़
जिले में कलेक्टर ने ज्वाइंट कमेटी बनाई है। कमेटी के सभी अफसरों के साइन
होने के बाद ही अनुमति दी जाती है।सीईसीबी ने इसकी मानक संचालन प्रक्रिया
जारी की थी। इसके तहत निचले क्षेत्रों और खदानों में भराव के लिए एश का
इस्तेमाल करने के पूर्व विधिवत अनुमति लेनी होगी। सभी जिलों में एकरूपता
रखने के लिए ऐसा एसओपी जारी किया गया है। सभी थर्मल पावर प्लांट को अब इसके
तहत ही अनुमति लेनी पड़ेगी।
सीईसीबी ने दस बिंदुओं में एसओपी जारी की थी। उद्योग को भूमि के
दस्तावेज, स्थल के पास कोई आबादी क्षेत्र, एनएच, स्टेट हाईवे, नदी, नाला,
संवेदनशील क्षेत्र की जानकारी देनी होगी। निष्क्रिय खदान में भराव के पूर्व
राजस्व और खनिज विभाग की एनओसी अनिवार्य है। निजी भूमि होने पर भूस्वामी
की सहमति, भराव के बाद भूमि के उपयोग की जानकारी देनी पड़ेगी। यदि भूमि
ग्राम पंचायत क्षेत्र की है तो वहां से एनओसी और नगरीय निकाय क्षेत्र होने
पर वहां से एनओसी लगेगी। फ्लाई एश देने वाले प्लांट और ट्रांसपोर्टर के बीच
एग्रीमेंट की कॉपी, क्षेत्र, परिवहन माध्यम, सुरक्षा उपायों की जानकारी
देनी पड़ेगी।
सीपीसीबी के गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है जिसमें निष्क्रिय खदान की
भूमि व एश की मात्रा, मिट्टी की परतों का उल्लेख हो। फ्लाई एश परिवहन व
भराव के दौरान फ्यूजिटिव उत्सर्जन की रोकथाम एवं सुरक्षा के संबंध में
प्रस्ताव, प्लांट से दूरी, रूट मैप की जानकारी भी देनी जरूरी है। भराव के
लिए निश्चित अवधि बतानी होगी जिसमें मिट्टी की परत बिछाकर वृक्षारोपण करना
होगा। भराव कार्य पूर्ण होने के बाद पूर्णता प्रमाण पत्र आवेदक से लिया
जाना है। वाहनों को ढंककर परिवहन करना अनिवार्य है।
अब सीईसीबी ने कहा है कि दिसंबर में जारी एसओपी का पालन नहीं करने वाले
उद्योगों पर सख्ती होगी। पहली बार उल्लंघन पर नियमानुसार पेनाल्टी होगी।
दूसरी बार दो गुना, तीसरी बार तीन गुना और चौथी बार नियम तोडऩे पर चार गुना
क्षतिपूर्ति देनी होगी। पांचवी बार फिर से उस उद्योग ने उल्लंघन किया तो
उसको जारी जल एवं वायु सम्मति को सदस्य सचिव द्वारा स्थगित या निलंबित कर
दिया जाएगा।
रायगढ़ जिले में कई पावर प्लांट टिमरलगा और गुड़ेली में भू-भराव कर रहे
हैं। जितनी मात्रा की अनुमति मिली है, उससे अधिक एश डाला जा चुका है। इसकी
मॉनिटरिंग की कोई प्रक्रिया ही नहीं है। टिमरलगा और गुड़ेली समेत कई जगहों
पर अवैध खनन के सबूत मिटाए गए हैं। इसी वजह से कोई अफसर इस ओर ध्यान नहीं
देता। टिमरलगा और गुड़ेली में एश डलवाने के लिए कई क्रशर संचालकों के साथ
खनिज विभाग भी लगा हुआ है।