दोस्ती के बावजदू केजरीवाल के खिलाफ राहुल गांधी का आक्रमक तेवर:

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होने वाला विधानसभा चुनाव अब अपने अंतिम पड़ाव के करीब है। दिल्ली के सभी 70 सीटों पर बुधवार, 5 फरवरी को एक चरण में चुनाव होगा, जबकि इसके नतीजे आठ फरवरी को सामने आएंगे। सोमवार को दिल्ली चुनाव के लिए प्रचार का शोर थम गया। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने जमकर एक दूसरे पर निशाना साधा। इस चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं,सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही AAP का इस बार सियासी तौर पर एक बड़ा टेस्ट होने वाला है, लेकिन सबसे दिलचस्प रुख कांग्रेस पार्टी का रहा है, जिसने कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव दिल्ली में AAP के साथ लड़ा। लेकिन अब उसी कांग्रेस ने AAP के खिलाफ दिल्ली विधानसभा चुनाव में  लिहाज से आक्रामक रुख अपना लिया है।

दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के चुनावी अभियान ने यह बात साफ कर दिया है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा अरविंद केजरीवाल की तीखी आलोचना और आम आदमी पार्टी (AAP) के जवाबी हमले से चुनावों के बाद दोनों दलों के बीच समीकरण जटिल हो सकते हैं। दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी और कांग्रेस विपक्षी गठबंधन इंडिया के प्रमुख सदस्य हैं।
राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल पर आक्रामक हमले किए। कांग्रेस को उम्मीद है कि इससे कांग्रेस उम्मीदवारों को राष्ट्रीय राजधानी में वापसी करने में मदद मिलेगी, जहां वह 1998 से 2013 तक सत्ता में थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में झटका खाने वाली कांग्रेस, पिछले दस साल से दिल्ली की सियासत में हाशिए पर खिसक गई है। दिल्ली कांग्रेस और हाईकमान आखिरकार इस मुद्दे पर एकमत होते दिख रहे हैं कि उनकी सीधी लड़ाई कांग्रेस से है। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने 14 जनवरी को दिल्ली में अपनी पहली चुनावी रैली में आप सरकार पर हमला बोला था लेकिन अपने प्रचार के दूसरे चरण में उन्होंने अपना रुख बदल दिया है। उन्होंने केजरीवाल पर निशाना साधा और यहां तक ​​कि उनकी तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की और कहा कि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

इस मामले में कांग्रेस नेताओं का तर्क ये हैं कि राजधानी में BJP का एक खास वोट बैंक है, 1998 से विधानसभा चुनावों में इसका वोट शेयर कमोबेश 32% से 38% के बीच रहा है, और यह कांग्रेस के वोट शेयर से बहुत ज़्यादा मेल नहीं खाता। दूसरी ओर, AAP ने कांग्रेस का लगभग पूरा वोट बैंक छीन लिया है।

कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि बीजेपी के वोट बैंक में हमारी अपील सीमित है। अपने सुनहरे दिनों में भी हम उनके समर्थन आधार में सेंध नहीं लगा पाए और आगे भी ऐसा ही रहेगा। हमें अपना समर्थन आधार वापस पाने की जरूरत है जो आप के पास चला गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, AAP के साथ चालाकी नहीं कर सकती और हमारे केंद्रीय नेताओं को अब यह बात समझ में आ गई है। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इस बात पर भी ज्यादा आक्रामक है कि आम आदमी पार्टी ने राहुल गांधी तक को निशाने पर लिया है और उन्हें कांग्रेस और BJP के कई अन्य नेताओं के बीच बेईमान लोगों के पोस्टर में शामिल किया। तब से राहुल गांधी ने केजरीवाल की राजनीति के ब्रांड पर सवाल उठाए हैं और उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों से जोड़ा है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आप और BJP को दलित विरोधी और आरक्षण विरोधी भी कहा है और तर्क दिया है कि दलितों, पिछड़े वर्गों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आप की मेज पर कोई जगह नहीं है। उन्होंने बताया है कि आप के शीर्ष नेतृत्व में वंचित वर्गों से कोई नहीं है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि दिल्ली में BJP और कांग्रेस पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी थे। हम एक-दूसरे की ताकत और कमजोरियों को जानते हैं। हम तभी वापसी कर सकते हैं जब आप को समीकरण से बाहर कर दिया जाए।


नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होने वाला विधानसभा चुनाव अब अपने अंतिम पड़ाव के करीब है। दिल्ली के सभी 70 सीटों पर बुधवार, 5 फरवरी को एक चरण में चुनाव होगा, जबकि इसके नतीजे आठ फरवरी को सामने आएंगे। सोमवार को दिल्ली चुनाव के लिए प्रचार का शोर थम गया। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने जमकर एक दूसरे पर निशाना साधा। इस चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं,सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही AAP का इस बार सियासी तौर पर एक बड़ा टेस्ट होने वाला है, लेकिन सबसे दिलचस्प रुख कांग्रेस पार्टी का रहा है, जिसने कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव दिल्ली में AAP के साथ लड़ा। लेकिन अब उसी कांग्रेस ने AAP के खिलाफ दिल्ली विधानसभा चुनाव में  लिहाज से आक्रामक रुख अपना लिया है।

दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के चुनावी अभियान ने यह बात साफ कर दिया है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा अरविंद केजरीवाल की तीखी आलोचना और आम आदमी पार्टी (AAP) के जवाबी हमले से चुनावों के बाद दोनों दलों के बीच समीकरण जटिल हो सकते हैं। दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी और कांग्रेस विपक्षी गठबंधन इंडिया के प्रमुख सदस्य हैं।
राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल पर आक्रामक हमले किए। कांग्रेस को उम्मीद है कि इससे कांग्रेस उम्मीदवारों को राष्ट्रीय राजधानी में वापसी करने में मदद मिलेगी, जहां वह 1998 से 2013 तक सत्ता में थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में झटका खाने वाली कांग्रेस, पिछले दस साल से दिल्ली की सियासत में हाशिए पर खिसक गई है। दिल्ली कांग्रेस और हाईकमान आखिरकार इस मुद्दे पर एकमत होते दिख रहे हैं कि उनकी सीधी लड़ाई कांग्रेस से है। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने 14 जनवरी को दिल्ली में अपनी पहली चुनावी रैली में आप सरकार पर हमला बोला था लेकिन अपने प्रचार के दूसरे चरण में उन्होंने अपना रुख बदल दिया है। उन्होंने केजरीवाल पर निशाना साधा और यहां तक ​​कि उनकी तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की और कहा कि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

इस मामले में कांग्रेस नेताओं का तर्क ये हैं कि राजधानी में BJP का एक खास वोट बैंक है, 1998 से विधानसभा चुनावों में इसका वोट शेयर कमोबेश 32% से 38% के बीच रहा है, और यह कांग्रेस के वोट शेयर से बहुत ज़्यादा मेल नहीं खाता। दूसरी ओर, AAP ने कांग्रेस का लगभग पूरा वोट बैंक छीन लिया है।

कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि बीजेपी के वोट बैंक में हमारी अपील सीमित है। अपने सुनहरे दिनों में भी हम उनके समर्थन आधार में सेंध नहीं लगा पाए और आगे भी ऐसा ही रहेगा। हमें अपना समर्थन आधार वापस पाने की जरूरत है जो आप के पास चला गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, AAP के साथ चालाकी नहीं कर सकती और हमारे केंद्रीय नेताओं को अब यह बात समझ में आ गई है। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इस बात पर भी ज्यादा आक्रामक है कि आम आदमी पार्टी ने राहुल गांधी तक को निशाने पर लिया है और उन्हें कांग्रेस और BJP के कई अन्य नेताओं के बीच बेईमान लोगों के पोस्टर में शामिल किया। तब से राहुल गांधी ने केजरीवाल की राजनीति के ब्रांड पर सवाल उठाए हैं और उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों से जोड़ा है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आप और BJP को दलित विरोधी और आरक्षण विरोधी भी कहा है और तर्क दिया है कि दलितों, पिछड़े वर्गों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आप की मेज पर कोई जगह नहीं है। उन्होंने बताया है कि आप के शीर्ष नेतृत्व में वंचित वर्गों से कोई नहीं है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि दिल्ली में BJP और कांग्रेस पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी थे। हम एक-दूसरे की ताकत और कमजोरियों को जानते हैं। हम तभी वापसी कर सकते हैं जब आप को समीकरण से बाहर कर दिया जाए।


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