0 post authorJournalist खबरीलाल Wednesday ,February 12,2025

Mp : नए प्रवेश नियमों के कारण कॉलेजों में नर्सिंग कोर्सेस की 18 हजार सीटें खाली :

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भोपाल। मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसलिंग (एमपीपीएनआरसी) द्वारा सेंट्रलाइज्ड काउंसिलिंग प्रक्रिया अपनाई है। नर्सिंग के कोर्स  जैसे बीएससी नर्सिंग, जीएनएम, पीबीएससी, एमएससी नर्सिंग, एएनएम की कुल 21,762 सीटों में से 18,078 सीटें खाली रह गईं। बीएससी नर्सिंग में 7,963 और जीएनएम में 8,219 सीटें अब भी खाली हैं।
सरकारी कॉलेजों में कुछ सीटें भरी गईं, लेकिन निजी कॉलेजों में ज्यादातर सीटें खाली हैं। कॉलेजों का कहना है कि प्रवेश नियम जल्दबाजी में तैयार किए गए हैं, जिससे छात्रों को पर्याप्त अवसर नहीं मिला है। एमपीएनआरसी ने इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) के नियमों में बदलाव कर जीएनएम नर्सिंग में प्रवेश के लिए विज्ञान (बायोलॉजी) विषय अनिवार्य कर दिया है। इस कारण अन्य संकायों के छात्र प्रवेश नहीं ले सके, जिससे सीटें खाली रह गईं।
नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि 2023-24 का सत्र शून्य कर दिया गया था, जिससे संस्थानों को आर्थिक और शैक्षणिक नुकसान हुआ। अब 2024-25 में भी प्रवेश न होने से कई कॉलेज बंद होने की कगार पर हैं। एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन सौंपकर प्रवेश की अंतिम तारीख बढ़ाने की मांग की है।


भोपाल। मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसलिंग (एमपीपीएनआरसी) द्वारा सेंट्रलाइज्ड काउंसिलिंग प्रक्रिया अपनाई है। नर्सिंग के कोर्स  जैसे बीएससी नर्सिंग, जीएनएम, पीबीएससी, एमएससी नर्सिंग, एएनएम की कुल 21,762 सीटों में से 18,078 सीटें खाली रह गईं। बीएससी नर्सिंग में 7,963 और जीएनएम में 8,219 सीटें अब भी खाली हैं।
सरकारी कॉलेजों में कुछ सीटें भरी गईं, लेकिन निजी कॉलेजों में ज्यादातर सीटें खाली हैं। कॉलेजों का कहना है कि प्रवेश नियम जल्दबाजी में तैयार किए गए हैं, जिससे छात्रों को पर्याप्त अवसर नहीं मिला है। एमपीएनआरसी ने इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) के नियमों में बदलाव कर जीएनएम नर्सिंग में प्रवेश के लिए विज्ञान (बायोलॉजी) विषय अनिवार्य कर दिया है। इस कारण अन्य संकायों के छात्र प्रवेश नहीं ले सके, जिससे सीटें खाली रह गईं।
नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि 2023-24 का सत्र शून्य कर दिया गया था, जिससे संस्थानों को आर्थिक और शैक्षणिक नुकसान हुआ। अब 2024-25 में भी प्रवेश न होने से कई कॉलेज बंद होने की कगार पर हैं। एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन सौंपकर प्रवेश की अंतिम तारीख बढ़ाने की मांग की है।


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