मुंबई: बॉलीवुड एक्ट्रेस सोहा अली खान शर्मिला टैगोर और मंसूर अली खान की बेटी हैं। वह मौजूदा समय में लैविश लाइफ जी रही है। ऐसे में एक्ट्रेस ने एक इंटरव्यू में अपने माता-पिता और उनके परवरिश को लेकर बात की है। सोहा ने बताया कि वे भले ही बहुत पैसे वाले थे। हालांकि, उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें जमीन से जुड़ा रखा।
सोहा के पिता मंसूर अली खान पटौदी हमेशा ऐसे दिखाते थे, जैसे परिवार में आर्थिक रूप से कुछ परेशानी चल रही है। वे हमेशा पेट्रोल और बिजली के दामों को लेकर सोचते रहते थे। उनका बचपन बहुत अच्छा बीता लेकिन उनके माता-पिता ने ये सुनिश्चित किया कि हम सभी भाई-बहन पैसों की कीमत को समझें। वे हमेशा लाइट बंद करने का ध्यान रखते थे। उनके घर में एक ही टेलीफोन था। उस एक फोन से बात करना भी मुश्किल होता था। अक्सर बहन सबा फोन लेकर एक कमरे में बैठ जाती थीं।
सोहा ने कहा कि पापा दिनभर फोन के पास बैठे रहते थे। रात में वे फोन पर ताला लगा देते थे, इससे हम किसी को फोन नहीं लगा सकते थे। सोहा ने आगे बताया कि उन्हें हर साल 50 रुपये मिलते थे। सोहा के पिता ने उनसे कहा था कि अभी 500 रुपये ले लो या हर साल 50 रुपये लेना। इस तरह सोहा ने अपने पिता से रुपयों की बचत करना सीखा।
सोहा की मां शर्मिला नियमित रूप से खर्चों पर नजर रखने और परिवार के बजट को नियंत्रित रखने के लिए रसोइए के साथ भी बैठती थीं। सोहा ने कहा कि वे बचपन से बहुत लाड़ प्यार में पली लेकिन हमेशा उन्हें जमीन से जोड़कर रखा गया। हम सभी दिल्ली में सेना भवन के सामने घर में रहती थीं। उनका बचपन बहुत ही शानदार बीता, सोहा ने कहा कि जब हमारा घर हमसे छिन गया, तब हमें पता चला कि हम कितनी लग्जरी लाइफ जी रहे थे।
मुंबई: बॉलीवुड एक्ट्रेस सोहा अली खान शर्मिला टैगोर और मंसूर अली खान की बेटी हैं। वह मौजूदा समय में लैविश लाइफ जी रही है। ऐसे में एक्ट्रेस ने एक इंटरव्यू में अपने माता-पिता और उनके परवरिश को लेकर बात की है। सोहा ने बताया कि वे भले ही बहुत पैसे वाले थे। हालांकि, उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें जमीन से जुड़ा रखा।
सोहा के पिता मंसूर अली खान पटौदी हमेशा ऐसे दिखाते थे, जैसे परिवार में आर्थिक रूप से कुछ परेशानी चल रही है। वे हमेशा पेट्रोल और बिजली के दामों को लेकर सोचते रहते थे। उनका बचपन बहुत अच्छा बीता लेकिन उनके माता-पिता ने ये सुनिश्चित किया कि हम सभी भाई-बहन पैसों की कीमत को समझें। वे हमेशा लाइट बंद करने का ध्यान रखते थे। उनके घर में एक ही टेलीफोन था। उस एक फोन से बात करना भी मुश्किल होता था। अक्सर बहन सबा फोन लेकर एक कमरे में बैठ जाती थीं।
सोहा ने कहा कि पापा दिनभर फोन के पास बैठे रहते थे। रात में वे फोन पर ताला लगा देते थे, इससे हम किसी को फोन नहीं लगा सकते थे। सोहा ने आगे बताया कि उन्हें हर साल 50 रुपये मिलते थे। सोहा के पिता ने उनसे कहा था कि अभी 500 रुपये ले लो या हर साल 50 रुपये लेना। इस तरह सोहा ने अपने पिता से रुपयों की बचत करना सीखा।
सोहा की मां शर्मिला नियमित रूप से खर्चों पर नजर रखने और परिवार के बजट को नियंत्रित रखने के लिए रसोइए के साथ भी बैठती थीं। सोहा ने कहा कि वे बचपन से बहुत लाड़ प्यार में पली लेकिन हमेशा उन्हें जमीन से जोड़कर रखा गया। हम सभी दिल्ली में सेना भवन के सामने घर में रहती थीं। उनका बचपन बहुत ही शानदार बीता, सोहा ने कहा कि जब हमारा घर हमसे छिन गया, तब हमें पता चला कि हम कितनी लग्जरी लाइफ जी रहे थे।