नई दिल्ली. दिल्ली
में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। रिजल्ट घोषित होने
के काफी समय बाद आज सीएम के नाम का ऐलान भी हो गया। दिल्ली की नई सीएम रेखा
गुप्ता होंगी। कल 20 फरवरी को सीएम समेत मंत्रिमंडल के सभी सदस्य अपने पद
की शपथ लेंगे। इसके साथ ही पार्टी के सामने कई चुनौतियां होंगी, जिन्हें
पूरा करना भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होगी। आइए जानते हैं
दिल्ली में गठित होने वाली नई सरकार के सामने 5 कौन सी बड़ी चुनौतियां
होंगी।
भाजपा
के चुनाव अभियान में महिलाओं से एक बड़ा वादा किया था। इसमें 8 मार्च,
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस तक महिला लाभार्थियों को 2,500 रुपये की वित्तीय
सहायता देने का वादा किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने खुद अपनी चुनावी रैलियों के दौरान आश्वासन दिया था कि यह मोदी की
गारंटी है। 8 मार्च को महिलाओं को उनके खातों में पैसे मिलने लगेंगे।
कम
समय सीमा के भीतर इस योजना के लिए एक कुशल वितरण प्रणाली को लागू करना नई
सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसे आगामी बजट पर तेजी से आगे बढ़ना
चाहिए। न केवल इस पहल के लिए बल्कि गर्भवती महिलाओं के लिए वादा किया गया
था। ऐसी महिलाओं को 21,000 रुपये सहायता के तौर पर देने की बात कही गई थी।
इसका भी इंतजाम करना मुश्किल होगा। इस तरह भाजपा ने और भी बड़ी स्कीमों का
वादा किया है।
दिल्ली
में पानी की कमी और कई इलाकों में अनियमित आपूर्ति की समस्या आप सरकार के
समय में भी रही है। यह समस्या यमुना के प्रदूषण के कारण और भी बदतर हो जाती
है। चुनाव के दौरान भी यमुना का प्रदूषण और पानी एक गंभीर मुद्दा रहा था।
इस तरह नई गठित सरकार के लिए स्वच्छ पेयजल मुहैया कराना भी बड़ी समस्या में
से एक होगी। भाजपा की जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने बिजली कटौती को लेकर
भाजपा पर जमकर निशाना साधा हुआ है। इस तरह भाजपा द्वारा निर्बाध बिजली
आपूर्ति के वादे पर भी देखना होगा कि सरकार कितना खरा उतरती है।
दिल्ली
की पलूशन वाली हवा हर सरकार के लिए एक गंभीर समस्या रहती है। आम आदमी
पार्टी भी इससे नहीं बच पाई थी। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, खासकर
सर्दियों के दौरान पराली जलाने, वाहनों से निकलने वाले धुएं और औद्योगिक
प्रदूषण के कारण। हरित क्षेत्र का विस्तार, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा
देना और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार सहित स्थायी समाधान लागू करना दिल्ली
में भाजपा सरकार के लिए महत्वपूर्ण होगा।
राजधानी
दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा और सड़कों पर बढ़ते अपराध गंभीर मुद्दे बने
हुए हैं। पुलिस व्यवस्था को मज़बूत करना और दिल्ली पुलिस के साथ समन्वय
में सुधार करना एक चुनौती होगी। बीती आप सरकार सुरक्षा व्यवस्था के सवाल पर
पुलिस व्यवस्था केंद्र के नियंत्रण में है, ऐसा कहकर किनारा कर लेती थी।
मगर अब भाजपा की सरकार बनने पर कानून व्यवस्था में सुधार ना होना बड़ी
चिंता की बात होगी, क्योंकि भाजपा अपनी जिम्मेदारी किसी दूसरे के मत्थे
नहीं डाल सकती। इसलिए नई गठित सरकार में क्राइम रेट कितना कम होता है और
सुरक्षा व्यवस्था में कितना सुधार होगा, यह देखने की बात होगी।
दिल्ली के बीते दो विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल
की सत्ता में वापसी की एक बड़ी वजह काफी हद तक कल्याणकारी योजनाएं रही
थीं। इनमें मुफ़्त पानी, बिजली, मोहल्ला क्लीनिक में इलाज और सरकारी
स्कूलों में बेहतर शिक्षा शामिल है। भाजपा ने भी अपने संकल्प पत्र
(घोषणापत्र) में इसी तरह के कल्याणकारी उपायों की घोषणा की है। इसलिए नई
सरकार के सामने इन वादों को पूरा करने के साथ-साथ दिल्ली की वित्तीय
स्थिरता सुनिश्चित करने की चुनौती है। सामाजिक कल्याण और वित्तीय विवेक के
बीच संतुलन बनाना प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी।
नई दिल्ली. दिल्ली
में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। रिजल्ट घोषित होने
के काफी समय बाद आज सीएम के नाम का ऐलान भी हो गया। दिल्ली की नई सीएम रेखा
गुप्ता होंगी। कल 20 फरवरी को सीएम समेत मंत्रिमंडल के सभी सदस्य अपने पद
की शपथ लेंगे। इसके साथ ही पार्टी के सामने कई चुनौतियां होंगी, जिन्हें
पूरा करना भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होगी। आइए जानते हैं
दिल्ली में गठित होने वाली नई सरकार के सामने 5 कौन सी बड़ी चुनौतियां
होंगी।
भाजपा
के चुनाव अभियान में महिलाओं से एक बड़ा वादा किया था। इसमें 8 मार्च,
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस तक महिला लाभार्थियों को 2,500 रुपये की वित्तीय
सहायता देने का वादा किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने खुद अपनी चुनावी रैलियों के दौरान आश्वासन दिया था कि यह मोदी की
गारंटी है। 8 मार्च को महिलाओं को उनके खातों में पैसे मिलने लगेंगे।
कम
समय सीमा के भीतर इस योजना के लिए एक कुशल वितरण प्रणाली को लागू करना नई
सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसे आगामी बजट पर तेजी से आगे बढ़ना
चाहिए। न केवल इस पहल के लिए बल्कि गर्भवती महिलाओं के लिए वादा किया गया
था। ऐसी महिलाओं को 21,000 रुपये सहायता के तौर पर देने की बात कही गई थी।
इसका भी इंतजाम करना मुश्किल होगा। इस तरह भाजपा ने और भी बड़ी स्कीमों का
वादा किया है।
दिल्ली
में पानी की कमी और कई इलाकों में अनियमित आपूर्ति की समस्या आप सरकार के
समय में भी रही है। यह समस्या यमुना के प्रदूषण के कारण और भी बदतर हो जाती
है। चुनाव के दौरान भी यमुना का प्रदूषण और पानी एक गंभीर मुद्दा रहा था।
इस तरह नई गठित सरकार के लिए स्वच्छ पेयजल मुहैया कराना भी बड़ी समस्या में
से एक होगी। भाजपा की जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने बिजली कटौती को लेकर
भाजपा पर जमकर निशाना साधा हुआ है। इस तरह भाजपा द्वारा निर्बाध बिजली
आपूर्ति के वादे पर भी देखना होगा कि सरकार कितना खरा उतरती है।
दिल्ली
की पलूशन वाली हवा हर सरकार के लिए एक गंभीर समस्या रहती है। आम आदमी
पार्टी भी इससे नहीं बच पाई थी। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, खासकर
सर्दियों के दौरान पराली जलाने, वाहनों से निकलने वाले धुएं और औद्योगिक
प्रदूषण के कारण। हरित क्षेत्र का विस्तार, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा
देना और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार सहित स्थायी समाधान लागू करना दिल्ली
में भाजपा सरकार के लिए महत्वपूर्ण होगा।
राजधानी
दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा और सड़कों पर बढ़ते अपराध गंभीर मुद्दे बने
हुए हैं। पुलिस व्यवस्था को मज़बूत करना और दिल्ली पुलिस के साथ समन्वय
में सुधार करना एक चुनौती होगी। बीती आप सरकार सुरक्षा व्यवस्था के सवाल पर
पुलिस व्यवस्था केंद्र के नियंत्रण में है, ऐसा कहकर किनारा कर लेती थी।
मगर अब भाजपा की सरकार बनने पर कानून व्यवस्था में सुधार ना होना बड़ी
चिंता की बात होगी, क्योंकि भाजपा अपनी जिम्मेदारी किसी दूसरे के मत्थे
नहीं डाल सकती। इसलिए नई गठित सरकार में क्राइम रेट कितना कम होता है और
सुरक्षा व्यवस्था में कितना सुधार होगा, यह देखने की बात होगी।
दिल्ली के बीते दो विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल
की सत्ता में वापसी की एक बड़ी वजह काफी हद तक कल्याणकारी योजनाएं रही
थीं। इनमें मुफ़्त पानी, बिजली, मोहल्ला क्लीनिक में इलाज और सरकारी
स्कूलों में बेहतर शिक्षा शामिल है। भाजपा ने भी अपने संकल्प पत्र
(घोषणापत्र) में इसी तरह के कल्याणकारी उपायों की घोषणा की है। इसलिए नई
सरकार के सामने इन वादों को पूरा करने के साथ-साथ दिल्ली की वित्तीय
स्थिरता सुनिश्चित करने की चुनौती है। सामाजिक कल्याण और वित्तीय विवेक के
बीच संतुलन बनाना प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी।