नीमच: एमपी में हर मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में परेशान आवेदकों की नई-नई व्यथा सामने आती है. जहां कभी अपनी सुनवाई करवाने के लिए आवेदक लोटन यात्रा करते हैं तो कभी आवेदनों की माला गले में पहनकर रेंगते हुए जनसुनवाई में पहुंच जाते हैं. यहां आम लोगों की समस्याओं की सुनवाई करने बैठे अधिकारी किस तरह लोगों से पेश आते हैं, इसका ताजा उदाहरण नीमच जिले में देखने को मिला. 6 महीने से सीमांकन और बटांकन के आदेश का पालन नहीं होने की समस्या लेकर एक बुजुर्ग
मंगलवार को जनसुनवाई में नीमच कलेक्ट्रेट पहुंचे थे. यहां उनकी समस्या का समाधान करने की जगह उन्हें भूखा प्यासा 5 घंटे तक थाने में बैठा दिया.
को ऊंची आवाज में अपनी पीड़ा सुनाना महंगा पड़ गया. बुजुर्ग जगदीश दास बैरागी का आरोप है कि "6 महीने से उनका सीमांकन और बटांकन का काम अटका पड़ा
है. 6 महीने से ही अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं. जब गुस्सा आया तो एसडीएम के सामने अपनी बात रखी थी लेकिन उन्होंने कैंट थाने से पुलिस
बुलवाकर थाने भिजवा दिया. यहां शाम 6 बजे तक बैठाकर रखा गया. आरोप है कि करीब 5 घंटे की इस यातना में बुजुर्ग को पीने का पानी तक भी नहीं दिया
गया."
निकले थे. बस पकड़ने के लिए करीब 10 किलोमीटर पैदल चले इसके बाद उन्हें देवली से बस मिली और कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. समस्या का समाधान नहीं मिलने
पर उन्हें गुस्सा आ गया और उन्होंने ऊंची आवाज में अधिकारियों से कहा कि 6 महीने से मेरा काम रोक कर रखा हुआ है. जिससे नाराज एसडीएम साहब ने मुझे
पुलिस के हवाले कर दिया. थाने में मुझे पानी भी नहीं दिया गया."
नीमच: एमपी में हर मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में परेशान आवेदकों की नई-नई व्यथा सामने आती है. जहां कभी अपनी सुनवाई करवाने के लिए आवेदक लोटन यात्रा करते हैं तो कभी आवेदनों की माला गले में पहनकर रेंगते हुए जनसुनवाई में पहुंच जाते हैं. यहां आम लोगों की समस्याओं की सुनवाई करने बैठे अधिकारी किस तरह लोगों से पेश आते हैं, इसका ताजा उदाहरण नीमच जिले में देखने को मिला. 6 महीने से सीमांकन और बटांकन के आदेश का पालन नहीं होने की समस्या लेकर एक बुजुर्ग
मंगलवार को जनसुनवाई में नीमच कलेक्ट्रेट पहुंचे थे. यहां उनकी समस्या का समाधान करने की जगह उन्हें भूखा प्यासा 5 घंटे तक थाने में बैठा दिया.
को ऊंची आवाज में अपनी पीड़ा सुनाना महंगा पड़ गया. बुजुर्ग जगदीश दास बैरागी का आरोप है कि "6 महीने से उनका सीमांकन और बटांकन का काम अटका पड़ा
है. 6 महीने से ही अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं. जब गुस्सा आया तो एसडीएम के सामने अपनी बात रखी थी लेकिन उन्होंने कैंट थाने से पुलिस
बुलवाकर थाने भिजवा दिया. यहां शाम 6 बजे तक बैठाकर रखा गया. आरोप है कि करीब 5 घंटे की इस यातना में बुजुर्ग को पीने का पानी तक भी नहीं दिया
गया."
निकले थे. बस पकड़ने के लिए करीब 10 किलोमीटर पैदल चले इसके बाद उन्हें देवली से बस मिली और कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. समस्या का समाधान नहीं मिलने
पर उन्हें गुस्सा आ गया और उन्होंने ऊंची आवाज में अधिकारियों से कहा कि 6 महीने से मेरा काम रोक कर रखा हुआ है. जिससे नाराज एसडीएम साहब ने मुझे
पुलिस के हवाले कर दिया. थाने में मुझे पानी भी नहीं दिया गया."