शराब घोटाला: जेल में बंद कवासी लखमा ने आरोपों को किया खारिज:

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रायपुर । छत्तीसगढ़ में 2,100 करोड़ रुपए से ज्यादा के शराब घोटाले के मामले में रायपुर जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने पैसे लेने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) की टीम ने गुरुवार को लगातार दूसरे दिन जेल में लखमा से दो घंटे तक पूछताछ की।

फाइलें पढ़ने की बात से अनभिज्ञता जताई
लखमा ने पूछताछ के दौरान कहा कि वे पढ़े-लिखे नहीं हैं और आबकारी विभाग के अधिकारी उन्हें फाइलें पढ़कर सुनाते थे। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों के कहने पर ही उन्होंने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे और उन्हें घोटाले की कोई जानकारी नहीं थी। पूछताछ के दौरान उन्होंने बार-बार इसी बयान को दोहराया, जिसे वे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी दे चुके हैं।

आय से अधिक संपत्ति और फंडिंग पर सवाल
जांच अधिकारियों ने कवासी लखमा से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और सुकमा में कांग्रेस भवन एवं कोंटा में भवन निर्माण में दी गई राशि के स्रोत को लेकर सवाल किए। अधिकारियों ने स्वजन के नाम पर चल-अचल संपत्तियों के बारे में भी जानकारी मांगी।

लखमा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जब कोई घोटाला ही नहीं हुआ, तो हिस्सेदारी का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने दावा किया कि ईडी को वे पहले ही अपने और परिवार की संपत्तियों से संबंधित सभी दस्तावेज सौंप चुके हैं।

"मुझे झूठे मामले में फंसाया गया" - लखमा
लखमा ने जांच एजेंसियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि "मुझे झूठे मामले में फंसाकर परेशान किया जा रहा है। छापेमारी और तलाशी के दौरान भी कोई आपत्तिजनक सबूत नहीं मिला, फिर भी जेल में डाल दिया गया।" उन्होंने कहा कि चाहे जांच एजेंसी कितनी भी बार पूछताछ करे, उनका जवाब वही रहेगा।

डिजिटल साक्ष्य कोर्ट में पेश
गौरतलब है कि जांच एजेंसियों ने लखमा के खिलाफ डिजिटल साक्ष्य कोर्ट में पेश किए हैं। हालांकि, पूर्व मंत्री लगातार इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगे की जांच में क्या नया खुलासा होता है।


रायपुर । छत्तीसगढ़ में 2,100 करोड़ रुपए से ज्यादा के शराब घोटाले के मामले में रायपुर जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने पैसे लेने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) की टीम ने गुरुवार को लगातार दूसरे दिन जेल में लखमा से दो घंटे तक पूछताछ की।

फाइलें पढ़ने की बात से अनभिज्ञता जताई
लखमा ने पूछताछ के दौरान कहा कि वे पढ़े-लिखे नहीं हैं और आबकारी विभाग के अधिकारी उन्हें फाइलें पढ़कर सुनाते थे। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों के कहने पर ही उन्होंने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे और उन्हें घोटाले की कोई जानकारी नहीं थी। पूछताछ के दौरान उन्होंने बार-बार इसी बयान को दोहराया, जिसे वे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी दे चुके हैं।

आय से अधिक संपत्ति और फंडिंग पर सवाल
जांच अधिकारियों ने कवासी लखमा से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और सुकमा में कांग्रेस भवन एवं कोंटा में भवन निर्माण में दी गई राशि के स्रोत को लेकर सवाल किए। अधिकारियों ने स्वजन के नाम पर चल-अचल संपत्तियों के बारे में भी जानकारी मांगी।

लखमा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जब कोई घोटाला ही नहीं हुआ, तो हिस्सेदारी का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने दावा किया कि ईडी को वे पहले ही अपने और परिवार की संपत्तियों से संबंधित सभी दस्तावेज सौंप चुके हैं।

"मुझे झूठे मामले में फंसाया गया" - लखमा
लखमा ने जांच एजेंसियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि "मुझे झूठे मामले में फंसाकर परेशान किया जा रहा है। छापेमारी और तलाशी के दौरान भी कोई आपत्तिजनक सबूत नहीं मिला, फिर भी जेल में डाल दिया गया।" उन्होंने कहा कि चाहे जांच एजेंसी कितनी भी बार पूछताछ करे, उनका जवाब वही रहेगा।

डिजिटल साक्ष्य कोर्ट में पेश
गौरतलब है कि जांच एजेंसियों ने लखमा के खिलाफ डिजिटल साक्ष्य कोर्ट में पेश किए हैं। हालांकि, पूर्व मंत्री लगातार इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगे की जांच में क्या नया खुलासा होता है।


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