सागर: मध्य प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व में विशाल क्षेत्रफल और व्यापक जंगल की वजह से गर्मी आते ही आगजनी का खतरा बढ़ गया है. पिछले कुछ सालों में वन विभाग द्वारा यहां पर बड़े पैमाने पर घास के जंगल भी विकसित किए गए हैं. इसलिए ये खतरा और ज्यादा बढ़ गया है. ऐसी स्थिति में टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने किसी अनहोनी से निपटने की तैयारियां तेज कर दी हैं. हालांकि जंगल में दो नदियां और कई तालाब हैं. इसके अलावा आग की संभावना वाले इलाकों में पोखर बनाए गए हैं.
मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व
सितंबर 2022 में अस्तित्व में आए मध्य प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व का विशाल क्षेत्रफल जहां इसे भरपूर वनसंपदा से समृद्ध करता है. वहीं, कई बड़े खतरे भी इस विशाल जंगल के कारण सामने हैं. नौरादेही टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 2339 वर्ग किमी है. सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले में फैले इस टाइगर रिजर्व का कोर एरिया 1414 वर्ग किमी और 925.12 वर्ग किमी बफर एरिया है.
विशाल क्षेत्रफल में वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा टाइगर रिजर्व प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है. खासकर गर्मी के मौसम में यहां आगजनी का खतरा काफी बढ़ जाता है, जो यहां के वन्यजीवों के लिए बड़ा खतरा है. हालांकि पिछले कुछ सालों में यहां आगजनी की कोई बड़ी घटना तो सामने नहीं आयी है. लेकिन टाइगर रिजर्व बनने के बाद यहां मौजूद बाघ और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा की चुनौती काफी बढ़ गई है.
विस्थापन के कारण बढ़ा है खतरा
नौरादेही टाइगर रिजर्व में विस्थापन के चलते आगजनी का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है. क्योंकि विस्थापन अभी पूरा नहीं हो पाया और ऐसे में यहां अभी भी टाइगर रिजर्व के बीच में करीब 45 गांव बसे हुए हैं. इंसानी दखल के कारण भी आगजनी की घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है. क्योंकि जंगल से आवाजाही करने वाले लोग कई बार बीड़ी, सिगरेट जैसे ज्वलनशील नशा करके टाइगर रिजर्व को खतरे में डाल देते हैं.वहीं दूसरी तरफ जिन गांवों में विस्थापन हो गया है, वहां पर खाली हुए खेतों में टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने घास के मैदान विकसित किए हैं. इन विशाल घास के मैदानों के कारण शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ रही है. इसके साथ आगजनी का खतरा भी बढ़ रहा है. क्योंकि अगर घास के मैदान वाले इलाकों में आग लगी, तो इस आग पर काबू पाना बहुत मुश्किल काम हो जाता है.
टाइगर रिजर्व प्रबंधन का कैसा है इंतजाम?
वैसे तो टाइगर रिजर्व में 2 नदियां, 3 बड़े तालाब और साथ में कई सारे छोटे तालाब हैं. इसके अलावा टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने यहां पर पोखर भी बनाए हैं, जो जानवरों को पानी पीने के साथ-साथ आगजनी की स्थिति में आग बुझाने के लिए काम आते हैं. इसके अलावा टैंकरों का इंतजाम किया गया है. साथ में प्रबंधन ने आग की संभावना वाले इलाकों में फायर वाचर बनाए हैं. जिनके जरिए वनकर्मी जंगल की गतिविधियों पर नजर रखते हैं. इसके साथ-साथ अलग से निगरानी के लिए चौकीदारों की नियुक्ति की गयी है. जिनके लिए आगजनी पर काबू पाने और अपनी सुरक्षा के लिए कई तरह के उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं.
टाइगर रिजर्व प्रबंधन का क्या कहना है
नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ ए ए अंसारी का कहना है कि "निश्चित रूप से आग हमारे लिए महत्वपूर्ण विषय है. आगजनी से काफी नुकसान होता है. आग की घटनाएं तापमान बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती हैं. इसलिए इस बार हमने ज्यादा तैयारी की है. जिन इलाकों में ज्यादा आग की संभावना है, वहां फायर वाचर लगाए हैं. पानी के टैंकर की व्यवस्था की गई है. जरूरत पड़ने पर उनका उपयोग किया जाएगा. अभी तक हमारे यहां आगजनी की कोई बड़ी घटना नहीं हुई है. गर्मी से बचाव के लिए कर्मचारियों को हेलमेट, ग्लब्स, गमबूट, फर्स्ट एड बॉक्स, पानी की बोतल और गमछा वगैरह दिया गया है."
सागर: मध्य प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व में विशाल क्षेत्रफल और व्यापक जंगल की वजह से गर्मी आते ही आगजनी का खतरा बढ़ गया है. पिछले कुछ सालों में वन विभाग द्वारा यहां पर बड़े पैमाने पर घास के जंगल भी विकसित किए गए हैं. इसलिए ये खतरा और ज्यादा बढ़ गया है. ऐसी स्थिति में टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने किसी अनहोनी से निपटने की तैयारियां तेज कर दी हैं. हालांकि जंगल में दो नदियां और कई तालाब हैं. इसके अलावा आग की संभावना वाले इलाकों में पोखर बनाए गए हैं.
मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व
सितंबर 2022 में अस्तित्व में आए मध्य प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व का विशाल क्षेत्रफल जहां इसे भरपूर वनसंपदा से समृद्ध करता है. वहीं, कई बड़े खतरे भी इस विशाल जंगल के कारण सामने हैं. नौरादेही टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 2339 वर्ग किमी है. सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले में फैले इस टाइगर रिजर्व का कोर एरिया 1414 वर्ग किमी और 925.12 वर्ग किमी बफर एरिया है.
विशाल क्षेत्रफल में वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा टाइगर रिजर्व प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है. खासकर गर्मी के मौसम में यहां आगजनी का खतरा काफी बढ़ जाता है, जो यहां के वन्यजीवों के लिए बड़ा खतरा है. हालांकि पिछले कुछ सालों में यहां आगजनी की कोई बड़ी घटना तो सामने नहीं आयी है. लेकिन टाइगर रिजर्व बनने के बाद यहां मौजूद बाघ और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा की चुनौती काफी बढ़ गई है.
विस्थापन के कारण बढ़ा है खतरा
नौरादेही टाइगर रिजर्व में विस्थापन के चलते आगजनी का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है. क्योंकि विस्थापन अभी पूरा नहीं हो पाया और ऐसे में यहां अभी भी टाइगर रिजर्व के बीच में करीब 45 गांव बसे हुए हैं. इंसानी दखल के कारण भी आगजनी की घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है. क्योंकि जंगल से आवाजाही करने वाले लोग कई बार बीड़ी, सिगरेट जैसे ज्वलनशील नशा करके टाइगर रिजर्व को खतरे में डाल देते हैं.वहीं दूसरी तरफ जिन गांवों में विस्थापन हो गया है, वहां पर खाली हुए खेतों में टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने घास के मैदान विकसित किए हैं. इन विशाल घास के मैदानों के कारण शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ रही है. इसके साथ आगजनी का खतरा भी बढ़ रहा है. क्योंकि अगर घास के मैदान वाले इलाकों में आग लगी, तो इस आग पर काबू पाना बहुत मुश्किल काम हो जाता है.
टाइगर रिजर्व प्रबंधन का कैसा है इंतजाम?
वैसे तो टाइगर रिजर्व में 2 नदियां, 3 बड़े तालाब और साथ में कई सारे छोटे तालाब हैं. इसके अलावा टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने यहां पर पोखर भी बनाए हैं, जो जानवरों को पानी पीने के साथ-साथ आगजनी की स्थिति में आग बुझाने के लिए काम आते हैं. इसके अलावा टैंकरों का इंतजाम किया गया है. साथ में प्रबंधन ने आग की संभावना वाले इलाकों में फायर वाचर बनाए हैं. जिनके जरिए वनकर्मी जंगल की गतिविधियों पर नजर रखते हैं. इसके साथ-साथ अलग से निगरानी के लिए चौकीदारों की नियुक्ति की गयी है. जिनके लिए आगजनी पर काबू पाने और अपनी सुरक्षा के लिए कई तरह के उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं.
टाइगर रिजर्व प्रबंधन का क्या कहना है
नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ ए ए अंसारी का कहना है कि "निश्चित रूप से आग हमारे लिए महत्वपूर्ण विषय है. आगजनी से काफी नुकसान होता है. आग की घटनाएं तापमान बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती हैं. इसलिए इस बार हमने ज्यादा तैयारी की है. जिन इलाकों में ज्यादा आग की संभावना है, वहां फायर वाचर लगाए हैं. पानी के टैंकर की व्यवस्था की गई है. जरूरत पड़ने पर उनका उपयोग किया जाएगा. अभी तक हमारे यहां आगजनी की कोई बड़ी घटना नहीं हुई है. गर्मी से बचाव के लिए कर्मचारियों को हेलमेट, ग्लब्स, गमबूट, फर्स्ट एड बॉक्स, पानी की बोतल और गमछा वगैरह दिया गया है."