ऑनलाइन सट्टेबाजी पर रोक के बावजूद उल्लंघन पर हाईकोर्ट सख्त, गृह विभाग सचिव से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा:

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महाधिवक्ता को स्पष्टिकरण प्रस्तुत करने का निर्देश, सट्टा कंपनियों को जारी किया गया नोटिस


रायपुर । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य में ऑनलाइन सट्टेबाजी पर लगे प्रतिबंध के उल्लंघन के मामले में गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य के गृह विभाग के सचिव को निर्देशित किया है कि वे इस संबंध में उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें। यह आदेश एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसे याचिकाकर्ता सुनील नामदेव ने अपने अधिवक्ता अमृतो दास के माध्यम से दायर किया था।

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा एवं न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की युगल पीठ द्वारा की गई। याचिका में कहा गया था कि छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन सट्टा निषिद्ध है, इसके बावजूद कुछ कंपनियां राज्य के पैरा 8.6 में वर्णित कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए खुलेआम सट्टेबाजी को बढ़ावा दे रही हैं।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमृतो दास ने न्यायालय के समक्ष कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनमें चल रहे आईपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट से संबंधित विज्ञापन शामिल थे। इन विज्ञापनों में कथित तौर पर सट्टा गतिविधियों को प्रोत्साहित किया गया था। न्यायालय ने उन्हें निर्देशित किया कि ये दस्तावेज रजिस्ट्री में जमा करें और इसकी एक प्रति राज्य के महाधिवक्ता को सौंपें, जिससे वे इस पर उपयुक्त जवाब प्रस्तुत कर सकें।

न्यायालय ने याचिकाकर्ता को अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए 24 घंटे का समय भी प्रदान किया।

वहीं दूसरी ओर, अदालत ने गृह विभाग के सचिव को निर्देशित किया कि वे इस मामले में राज्य सरकार की स्थिति स्पष्ट करें तथा इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी व्यक्तिगत हलफनामे के माध्यम से प्रस्तुत करें। इसके साथ ही, जिन प्रतिवादी कंपनियों पर सट्टा प्रतिबंध के उल्लंघन का आरोप है, उन्हें नोटिस जारी कर प्रक्रिया शुल्क अदा करने का निर्देश भी दिया गया है।

सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत, उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर तथा अधिवक्ता तुषार धर दीवान ने पक्ष रखा।

हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल 2025 को निर्धारित की है। तब तक गृह सचिव द्वारा हलफनामा तथा प्रतिवादी कंपनियों की प्रतिक्रिया दर्ज किए जाने की अपेक्षा की गई है।

यह मामला राज्य में खेल आयोजनों के दौरान बढ़ती अवैध सट्टेबाजी गतिविधियों को लेकर चिंता को रेखांकित करता है और राज्य कानूनों के सख्त अनुपालन के प्रति न्यायपालिका की सजगता को स्पष्ट करता है।



महाधिवक्ता को स्पष्टिकरण प्रस्तुत करने का निर्देश, सट्टा कंपनियों को जारी किया गया नोटिस


रायपुर । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य में ऑनलाइन सट्टेबाजी पर लगे प्रतिबंध के उल्लंघन के मामले में गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य के गृह विभाग के सचिव को निर्देशित किया है कि वे इस संबंध में उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें। यह आदेश एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसे याचिकाकर्ता सुनील नामदेव ने अपने अधिवक्ता अमृतो दास के माध्यम से दायर किया था।

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा एवं न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की युगल पीठ द्वारा की गई। याचिका में कहा गया था कि छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन सट्टा निषिद्ध है, इसके बावजूद कुछ कंपनियां राज्य के पैरा 8.6 में वर्णित कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए खुलेआम सट्टेबाजी को बढ़ावा दे रही हैं।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमृतो दास ने न्यायालय के समक्ष कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनमें चल रहे आईपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट से संबंधित विज्ञापन शामिल थे। इन विज्ञापनों में कथित तौर पर सट्टा गतिविधियों को प्रोत्साहित किया गया था। न्यायालय ने उन्हें निर्देशित किया कि ये दस्तावेज रजिस्ट्री में जमा करें और इसकी एक प्रति राज्य के महाधिवक्ता को सौंपें, जिससे वे इस पर उपयुक्त जवाब प्रस्तुत कर सकें।

न्यायालय ने याचिकाकर्ता को अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए 24 घंटे का समय भी प्रदान किया।

वहीं दूसरी ओर, अदालत ने गृह विभाग के सचिव को निर्देशित किया कि वे इस मामले में राज्य सरकार की स्थिति स्पष्ट करें तथा इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी व्यक्तिगत हलफनामे के माध्यम से प्रस्तुत करें। इसके साथ ही, जिन प्रतिवादी कंपनियों पर सट्टा प्रतिबंध के उल्लंघन का आरोप है, उन्हें नोटिस जारी कर प्रक्रिया शुल्क अदा करने का निर्देश भी दिया गया है।

सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत, उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर तथा अधिवक्ता तुषार धर दीवान ने पक्ष रखा।

हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल 2025 को निर्धारित की है। तब तक गृह सचिव द्वारा हलफनामा तथा प्रतिवादी कंपनियों की प्रतिक्रिया दर्ज किए जाने की अपेक्षा की गई है।

यह मामला राज्य में खेल आयोजनों के दौरान बढ़ती अवैध सट्टेबाजी गतिविधियों को लेकर चिंता को रेखांकित करता है और राज्य कानूनों के सख्त अनुपालन के प्रति न्यायपालिका की सजगता को स्पष्ट करता है।


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