आज कल भागदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी लाइफस्टाइल बिगड़ती जा रही है। डायबिटीज, कैंसर और हाई ब्लड प्रेशर की समस्याएं हर व्यक्ति को जकड़ रही है। इन बीमारियों के पनपने के लिए जिम्मेदार हमारा खानपान और रहन-सहन है। बीमारियों के ज्यादा बढ़ने पर हम अक्सर एलोपैथी या अंग्रेजी दवाईयों के सेवन की ओर दौड़ने लगते है। कई बार हन प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों यानि आयुर्वेद और होम्योपैथी द्वारा इलाज को नजरअंदाज कर देते है।
आज दुनियाभर में होम्योपैथी दवाईयों और इलाज के प्रति जागरूकता दर्शाने के लिए विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जा रहा है, जो पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के महत्व को बताता है।
जानिए कब से हुई इस दिवस की शुरूआत
आपको बताते चलें कि, विश्व होम्योपैथी दिवस का नाता बेहद पुराना है। जर्मनी में होम्योपैथी चिकित्सा के जरिए इलाज की शुरूआत सन् 1700 ईवी में हुई थी। इस चिकित्सा पद्धति को प्रकाश में लाने वाले जर्मन चिकित्सक डॉ. सैमुअल हैनमैन थे, जिन्होंने ऑर्गेनॉन ऑफ द हीलिंग आर्ट बुक में होम्योपैथी से जुड़ी ज़रूरी जानकारी दर्ज की। एलोपैथी दवाईयों के युग में होम्योपैथी दवाईयों का सेवन लगातार बढ़ता जा रहा है।
जानिए किस तरह से काम करती है होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति
एलोपैथी दवाईयों का सेवन इन दिनों लगातार होते जा रहा है। इसमें ही होम्योपैथी चिकित्सा औऱ दवाईयों की बात करें तो, होम्योपैथी, वैक्सीन की तरह ही शरीर के लिए काम करती है। अब जैसे वैक्सीन में थोड़ी मात्रा में बैक्टीरिया एड किया जाता है और शरीर उसके अगेंसट रिएक्ट करता है। इससे शरीर का इम्यून सिस्टम नेचुरली बिल्ड होने लगता है। ठीक एसी प्रकार से होम्योपैथी भी अपना कार्य करती है। यहां पर एलोपैथी दवाईयों से अलग बीमारी के लक्षण के आधार पर इलाज किया जाता है। इसमें भी आयुर्वेद की तरह ही बीमारी को जड़ से मिटाने की बात की जाती है।
ये नॉन कम्यूनिकेबल क्रानिक डिज़ीज़ में अच्छी तरह से काम करती है।एलर्जी, मेंटल प्रॉबल्म, स्किन संबधी समस्या डर्माटाइटिस, माइग्रेन, अस्थमा और अर्थराइटिस में होम्योपैथी दवाईयों से इलाज कारगर माना गया है।
बीमारी को जड़ से खत्म करती है होम्योपैथी
बीमारी को जड़ से खत्म करती है होम्योपैथी (सौ. सोशल मीडिया)
होम्योपैथी की खासियत को दर्शाते है ये 6 सिद्धांत
होम्योपैथी चिकित्सा कितनी अहम है और इलाज कितना बेहतर बनाती है इसके लिए 6 सिद्धांत काम करते हैं चलिए जानते हैं इसके बारे में…
1- पहला सिद्धांत यह है कि, होम्योपैथी सिंगल मेडिसिन है जो शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक लक्षणों से ग्रस्त व्यक्ति का इलाज आसान बनाती है। इसकी दवाईयों में इंटरनल हीलिंग मकेनिज्म फॉलो होता है।
2- होम्योपैथी चिकित्सा के द्वारा इलाज इसमें पीड़ित की मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर की जाती है ना कि वर्तमान तकलीफ के आधार पर।होम्योपैथी का मकसद व्यक्ति को केवल उस समस्या से मुक्त करना नहीं बल्कि ओवरऑल हेल्थ को स्वस्थ बनाए रखना है।
3- एलोपैथी दवाईयां, मरीज को ज्यादा डोज के साथ दी जाती है लेकिन होम्योपैथी चिकित्सा में ऐसा नहीं होता है। यहां पर पहले रोगी को कम खुराक दी जाती है। होम्योपैथिक उपचार पोटेंटाइजेशन की थ्योरी इस पर काम करती है। इसके अलावा इस प्रक्रिया की वजह से शरीर में केमिकल टॉक्सीसिटी कम होने लगती है।
4- होम्योपैथी दवाईयों के इस्तेमाल से मरीज पर किसी प्रकार का साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। जड़ी.बूटियों और मिनरल्स से तैयार होने वाली ये दवाएं लंबे वक्त तक खाई जाती हैं। इसमें किसी प्रकार की एलर्जी शरीर को नहीं होती है।
5- इस चिकित्सा पद्धति की बात करें तो, यह पद्धति यह मानती है कि, हर व्यक्ति का शरीर एक दूसरे से अलग है। ऐसे में सभी के लिए एक ही तरह की मील्स को तय करना सही नहीं है इसलिए वह अलग-अलग डाइट हर व्यक्ति के लिए तय करती है।
6- इस चिकित्सा पद्धति के द्वारा किया गया इलाज किसी भी बीमारी को लंबे समय अच्छे परिणाम देता है। किसी बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए आप होम्योपैथी दवाईयों का सेवन कर सकते है।
आज कल भागदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी लाइफस्टाइल बिगड़ती जा रही है। डायबिटीज, कैंसर और हाई ब्लड प्रेशर की समस्याएं हर व्यक्ति को जकड़ रही है। इन बीमारियों के पनपने के लिए जिम्मेदार हमारा खानपान और रहन-सहन है। बीमारियों के ज्यादा बढ़ने पर हम अक्सर एलोपैथी या अंग्रेजी दवाईयों के सेवन की ओर दौड़ने लगते है। कई बार हन प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों यानि आयुर्वेद और होम्योपैथी द्वारा इलाज को नजरअंदाज कर देते है।
आज दुनियाभर में होम्योपैथी दवाईयों और इलाज के प्रति जागरूकता दर्शाने के लिए विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जा रहा है, जो पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के महत्व को बताता है।
जानिए कब से हुई इस दिवस की शुरूआत
आपको बताते चलें कि, विश्व होम्योपैथी दिवस का नाता बेहद पुराना है। जर्मनी में होम्योपैथी चिकित्सा के जरिए इलाज की शुरूआत सन् 1700 ईवी में हुई थी। इस चिकित्सा पद्धति को प्रकाश में लाने वाले जर्मन चिकित्सक डॉ. सैमुअल हैनमैन थे, जिन्होंने ऑर्गेनॉन ऑफ द हीलिंग आर्ट बुक में होम्योपैथी से जुड़ी ज़रूरी जानकारी दर्ज की। एलोपैथी दवाईयों के युग में होम्योपैथी दवाईयों का सेवन लगातार बढ़ता जा रहा है।
जानिए किस तरह से काम करती है होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति
एलोपैथी दवाईयों का सेवन इन दिनों लगातार होते जा रहा है। इसमें ही होम्योपैथी चिकित्सा औऱ दवाईयों की बात करें तो, होम्योपैथी, वैक्सीन की तरह ही शरीर के लिए काम करती है। अब जैसे वैक्सीन में थोड़ी मात्रा में बैक्टीरिया एड किया जाता है और शरीर उसके अगेंसट रिएक्ट करता है। इससे शरीर का इम्यून सिस्टम नेचुरली बिल्ड होने लगता है। ठीक एसी प्रकार से होम्योपैथी भी अपना कार्य करती है। यहां पर एलोपैथी दवाईयों से अलग बीमारी के लक्षण के आधार पर इलाज किया जाता है। इसमें भी आयुर्वेद की तरह ही बीमारी को जड़ से मिटाने की बात की जाती है।
ये नॉन कम्यूनिकेबल क्रानिक डिज़ीज़ में अच्छी तरह से काम करती है।एलर्जी, मेंटल प्रॉबल्म, स्किन संबधी समस्या डर्माटाइटिस, माइग्रेन, अस्थमा और अर्थराइटिस में होम्योपैथी दवाईयों से इलाज कारगर माना गया है।
बीमारी को जड़ से खत्म करती है होम्योपैथी
बीमारी को जड़ से खत्म करती है होम्योपैथी (सौ. सोशल मीडिया)
होम्योपैथी की खासियत को दर्शाते है ये 6 सिद्धांत
होम्योपैथी चिकित्सा कितनी अहम है और इलाज कितना बेहतर बनाती है इसके लिए 6 सिद्धांत काम करते हैं चलिए जानते हैं इसके बारे में…
1- पहला सिद्धांत यह है कि, होम्योपैथी सिंगल मेडिसिन है जो शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक लक्षणों से ग्रस्त व्यक्ति का इलाज आसान बनाती है। इसकी दवाईयों में इंटरनल हीलिंग मकेनिज्म फॉलो होता है।
2- होम्योपैथी चिकित्सा के द्वारा इलाज इसमें पीड़ित की मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर की जाती है ना कि वर्तमान तकलीफ के आधार पर।होम्योपैथी का मकसद व्यक्ति को केवल उस समस्या से मुक्त करना नहीं बल्कि ओवरऑल हेल्थ को स्वस्थ बनाए रखना है।
3- एलोपैथी दवाईयां, मरीज को ज्यादा डोज के साथ दी जाती है लेकिन होम्योपैथी चिकित्सा में ऐसा नहीं होता है। यहां पर पहले रोगी को कम खुराक दी जाती है। होम्योपैथिक उपचार पोटेंटाइजेशन की थ्योरी इस पर काम करती है। इसके अलावा इस प्रक्रिया की वजह से शरीर में केमिकल टॉक्सीसिटी कम होने लगती है।
4- होम्योपैथी दवाईयों के इस्तेमाल से मरीज पर किसी प्रकार का साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। जड़ी.बूटियों और मिनरल्स से तैयार होने वाली ये दवाएं लंबे वक्त तक खाई जाती हैं। इसमें किसी प्रकार की एलर्जी शरीर को नहीं होती है।
5- इस चिकित्सा पद्धति की बात करें तो, यह पद्धति यह मानती है कि, हर व्यक्ति का शरीर एक दूसरे से अलग है। ऐसे में सभी के लिए एक ही तरह की मील्स को तय करना सही नहीं है इसलिए वह अलग-अलग डाइट हर व्यक्ति के लिए तय करती है।
6- इस चिकित्सा पद्धति के द्वारा किया गया इलाज किसी भी बीमारी को लंबे समय अच्छे परिणाम देता है। किसी बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए आप होम्योपैथी दवाईयों का सेवन कर सकते है।