दुनियाभर के कैथोलिक ईसाईयों के सर्वोच्च नेता होते है पोप, जानिए:

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बीते सोमवार को कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के निधन से पूरी दुनिया में शोक की लहर है। पोप फ्रांसिस ने लंबी बीमारी के चलते 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बताया जा रहा है कि, वे बीते 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में बीमारी के चलते भर्ती हुए थे। जहां पर लंबे इलाज के बाद उन्हें 14 मार्च को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। कैथोलिक ईसाई धर्म में पोप का स्थान सर्वोपरि होता है। पोप फ्रांसिस के निधान के बाद ईसाई धर्म में दूसरा सबसे बड़ा स्पिरिचुअल लीडर कौन सा होता है जो धर्म की रक्षा कर सकें। चलिए जानते है किसे कहते है पोप और कैसे मिलती है यह उपाधि।
पोप को कहते है पिता

कैथोलिक ईसाई धर्म में पोप सर्वोच्च पद के रूप में होता है। यहां पर ऐसे समझें तो पोप को पिता का स्थान दिया गया है और होली फादर भी कहा जाता है। पोप वेटिकन सिटी के राष्ट्राध्यक्ष होने के साथ ही दुनियाभर के कैथोलिक ईसाईयो के सर्वोच्च नेता माने जाते हैं। इसके अलावा जानकारी में यह भी है कि, ईसाई धर्म में अगर धरती पर कोई सर्वोच्च नेता है तो वह है पोप।
जानिए कैसे बनते है पोप

आपको बताते चलें कि, पोप बनने के लिए ईसाई धर्म में नियम होते है। यहां पर पोप आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, इन्हें विवाह की अनुमित नहीं होती है। यहां पर कोई भी कैथोलिक जिसका बपतिस्मा हो जाता है उसे पोप बनाया जा सकता है। यहां पर बपतिस्मा एक ईसाई धर्म में एक संस्कार है, जो पानी के साथ एक की जानी वाली धार्मिक पंरपरा होती है. जिसमें किसी व्यक्ति को चर्च की सदस्या दी जाती है। अगर सभी नियमों को पार कर लिया जाता है तो, मतदान की प्रक्रिया भी कराई जाती है।

पोप बनने के लिए किसी भी कार्डिनल को दुनियाभर के कार्डिनल्स के दो तिहाई मत की जरूरत होती है तो वहीं पर गुप्त मतदान होने के बाद वोट (मत) की गिनती होती है। मतदान की प्रक्रिया के बाद एक विशेष तरह के रसायन को भट्टी में डाला जाता है। यहां पर सफेद धुंआ निकले तो मान लिया जाता है कि, पोप चुन लिया गया है वहीं पर काला धुंआ निकलने से यह प्रक्रिया अधूरी मान लेते है।

यहां ईसाई धर्म में पोप फ्रांसिस के निधन के बाद स्पिरिचुअल लीडर की आवश्यकता होगी। कैथोलिक ईसाई में पोप सबसे बड़ा धार्मिक गुरु पोप ही होते है। इनके बाद दूसरा सबसे बड़ा स्पिरिचुअल लीडर रोम के कार्डिनल्स होते हैं, जोकि पोप के सलाहकार और उत्तराधिकारी के रूप में काम करते हैं। अगर पोप ना हो तो पोप की अनुपस्थिति में सलाह देते हैं और उनकी जिम्मेदारियां निभाते हैं।


बीते सोमवार को कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के निधन से पूरी दुनिया में शोक की लहर है। पोप फ्रांसिस ने लंबी बीमारी के चलते 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बताया जा रहा है कि, वे बीते 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में बीमारी के चलते भर्ती हुए थे। जहां पर लंबे इलाज के बाद उन्हें 14 मार्च को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। कैथोलिक ईसाई धर्म में पोप का स्थान सर्वोपरि होता है। पोप फ्रांसिस के निधान के बाद ईसाई धर्म में दूसरा सबसे बड़ा स्पिरिचुअल लीडर कौन सा होता है जो धर्म की रक्षा कर सकें। चलिए जानते है किसे कहते है पोप और कैसे मिलती है यह उपाधि।
पोप को कहते है पिता

कैथोलिक ईसाई धर्म में पोप सर्वोच्च पद के रूप में होता है। यहां पर ऐसे समझें तो पोप को पिता का स्थान दिया गया है और होली फादर भी कहा जाता है। पोप वेटिकन सिटी के राष्ट्राध्यक्ष होने के साथ ही दुनियाभर के कैथोलिक ईसाईयो के सर्वोच्च नेता माने जाते हैं। इसके अलावा जानकारी में यह भी है कि, ईसाई धर्म में अगर धरती पर कोई सर्वोच्च नेता है तो वह है पोप।
जानिए कैसे बनते है पोप

आपको बताते चलें कि, पोप बनने के लिए ईसाई धर्म में नियम होते है। यहां पर पोप आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, इन्हें विवाह की अनुमित नहीं होती है। यहां पर कोई भी कैथोलिक जिसका बपतिस्मा हो जाता है उसे पोप बनाया जा सकता है। यहां पर बपतिस्मा एक ईसाई धर्म में एक संस्कार है, जो पानी के साथ एक की जानी वाली धार्मिक पंरपरा होती है. जिसमें किसी व्यक्ति को चर्च की सदस्या दी जाती है। अगर सभी नियमों को पार कर लिया जाता है तो, मतदान की प्रक्रिया भी कराई जाती है।

पोप बनने के लिए किसी भी कार्डिनल को दुनियाभर के कार्डिनल्स के दो तिहाई मत की जरूरत होती है तो वहीं पर गुप्त मतदान होने के बाद वोट (मत) की गिनती होती है। मतदान की प्रक्रिया के बाद एक विशेष तरह के रसायन को भट्टी में डाला जाता है। यहां पर सफेद धुंआ निकले तो मान लिया जाता है कि, पोप चुन लिया गया है वहीं पर काला धुंआ निकलने से यह प्रक्रिया अधूरी मान लेते है।

यहां ईसाई धर्म में पोप फ्रांसिस के निधन के बाद स्पिरिचुअल लीडर की आवश्यकता होगी। कैथोलिक ईसाई में पोप सबसे बड़ा धार्मिक गुरु पोप ही होते है। इनके बाद दूसरा सबसे बड़ा स्पिरिचुअल लीडर रोम के कार्डिनल्स होते हैं, जोकि पोप के सलाहकार और उत्तराधिकारी के रूप में काम करते हैं। अगर पोप ना हो तो पोप की अनुपस्थिति में सलाह देते हैं और उनकी जिम्मेदारियां निभाते हैं।


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