चीन ने रोबोट्स मामले पर जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ा, अब साउथ कोरिया और सिंगापुर से होड़ :

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बीजिंग । चीन की राजधानी बीजिंग में पिछले दिनों इंसानों और 21 रोबोट्स के
बीच अनोखी हाफ मैराथन दौड़ का आयोजन किया गया था। यह पहली बार था जब मशीनों
ने 21 किलोमीटर करीब 13 मील की दूरी तक इंसानों के साथ दौड़ लगाई। यह
इवेंट बीजिंग के दक्षिण-पूर्वी यिझुआंग जिले में हुआ था, जहां चीन की कई
बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों का ऑफिस है।

दरअसल रोबोट्स के बीच मैराथन दौड़ कराकर चीन बतलाना चाहता था कि रोबो की
दुनिया में वह अकेला बादशाह है। रोबोटिक्स और टेक्नोलॉजी की दुनिया में चीन
अपनी तरक्की को दिखा रहा था। चीन की ड्रॉयडअप और नोएटिक्स रोबोटिक्स जैसी
कंपनियों के रोबोट्स ने भी इस रेस में हिस्सा लिया। रेस में शामिल कुछ
रोबेट्स का साइज 120 सेमी (3.9 फीट) से कम था, जबकि कुछ 1.8 मीटर (5.9 फीट)
तक ऊंचे थे।

इस प्रकार देखने में आया है कि चीन ने बीते कुछ सालों में रोबोटिक्स में
तेजी से तरक्की करके जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ दिया है। चीन में 2023
तक प्रति 10 हजार कर्मचारियों पर 470 रोबोट थे, यह आंकड़ा जर्मनी के 429 और
जापान के 419 से ज्यादा है। अब सिर्फ साउथ कोरिया और सिंगापुर ही रोबोट
घनत्व में चीन से आगे हैं।

2032 तक 66 अरब डॉलर का होगा ह्यूमनॉइड रोबोट मार्केट

ग्लोबल ह्यूमनॉइड रोबोट मार्केट का साइज 2023 में 2.43 अरब डॉलर (19 हजार
करोड़ रुपए) का था, जिसके 2032 तक 66 अरब डॉलर (5 लाख 63 हजार करोड़ रुपए)
तक पहुंचने का अनुमान है। ह्यूमनॉइड रोबोट एक प्रकार का रोबोट है, जिसका
आकार इंसानी शरीर जैसा होता है। फिलहाल ह्यूमनॉइड रोबोट विकास के शुरुआती
स्टेज में है।

वहीं भारत का ह्यूमनॉइड रोबोट बाजार 2023 में 42 मिलियन डॉलर (करीब 358
करोड़ रुपए) था, जिसके 2030 तक 149.4 मिलियन डॉलर (करीब 1200 करोड़ रुपए)
तक पहुंचने की उम्मीद है।

इंडस्ट्रियल नौकरियों में होंगे 2.5 लाख रोबोट्स

गोल्डमैन साक्स का अनुमान है कि 2035 तक ह्यूमनॉइड रोबोट बाजार 38 अरब डॉलर
(3 लाख 24 हजार करोड़ रुपए) का होगा। पांच सालों में 2.5 लाख ह्यूमनॉइड
रोबोट इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के लिए भेजे जाएंगे। 2035 तक 10 लाख रोबोट
ग्राहकों द्वारा खरीदे जाएंगे।


बीजिंग । चीन की राजधानी बीजिंग में पिछले दिनों इंसानों और 21 रोबोट्स के
बीच अनोखी हाफ मैराथन दौड़ का आयोजन किया गया था। यह पहली बार था जब मशीनों
ने 21 किलोमीटर करीब 13 मील की दूरी तक इंसानों के साथ दौड़ लगाई। यह
इवेंट बीजिंग के दक्षिण-पूर्वी यिझुआंग जिले में हुआ था, जहां चीन की कई
बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों का ऑफिस है।

दरअसल रोबोट्स के बीच मैराथन दौड़ कराकर चीन बतलाना चाहता था कि रोबो की
दुनिया में वह अकेला बादशाह है। रोबोटिक्स और टेक्नोलॉजी की दुनिया में चीन
अपनी तरक्की को दिखा रहा था। चीन की ड्रॉयडअप और नोएटिक्स रोबोटिक्स जैसी
कंपनियों के रोबोट्स ने भी इस रेस में हिस्सा लिया। रेस में शामिल कुछ
रोबेट्स का साइज 120 सेमी (3.9 फीट) से कम था, जबकि कुछ 1.8 मीटर (5.9 फीट)
तक ऊंचे थे।

इस प्रकार देखने में आया है कि चीन ने बीते कुछ सालों में रोबोटिक्स में
तेजी से तरक्की करके जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ दिया है। चीन में 2023
तक प्रति 10 हजार कर्मचारियों पर 470 रोबोट थे, यह आंकड़ा जर्मनी के 429 और
जापान के 419 से ज्यादा है। अब सिर्फ साउथ कोरिया और सिंगापुर ही रोबोट
घनत्व में चीन से आगे हैं।

2032 तक 66 अरब डॉलर का होगा ह्यूमनॉइड रोबोट मार्केट

ग्लोबल ह्यूमनॉइड रोबोट मार्केट का साइज 2023 में 2.43 अरब डॉलर (19 हजार
करोड़ रुपए) का था, जिसके 2032 तक 66 अरब डॉलर (5 लाख 63 हजार करोड़ रुपए)
तक पहुंचने का अनुमान है। ह्यूमनॉइड रोबोट एक प्रकार का रोबोट है, जिसका
आकार इंसानी शरीर जैसा होता है। फिलहाल ह्यूमनॉइड रोबोट विकास के शुरुआती
स्टेज में है।

वहीं भारत का ह्यूमनॉइड रोबोट बाजार 2023 में 42 मिलियन डॉलर (करीब 358
करोड़ रुपए) था, जिसके 2030 तक 149.4 मिलियन डॉलर (करीब 1200 करोड़ रुपए)
तक पहुंचने की उम्मीद है।

इंडस्ट्रियल नौकरियों में होंगे 2.5 लाख रोबोट्स

गोल्डमैन साक्स का अनुमान है कि 2035 तक ह्यूमनॉइड रोबोट बाजार 38 अरब डॉलर
(3 लाख 24 हजार करोड़ रुपए) का होगा। पांच सालों में 2.5 लाख ह्यूमनॉइड
रोबोट इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के लिए भेजे जाएंगे। 2035 तक 10 लाख रोबोट
ग्राहकों द्वारा खरीदे जाएंगे।


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