कोर्ट में चुनौती और आवेदन के बावजूद जोन कमिश्नर ने ढहाया मकान, मालिक ने बताया न्याय प्रक्रिया का हनन:

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बिलासपुर। शहर के जरहाभाठा क्षेत्र में सोमवार को उस वक्त हड़कंप मच गया, जब नगर निगम के जोन कमिश्नर ने एक भूखंड पर स्थित मकान को कथित तौर पर मनमाने तरीके से ध्वस्त करा दिया। इस कार्रवाई से प्रभावित कृष्ण कुमार अग्रवाल नामक व्यक्ति ने दावा किया है कि वे उक्त भूमि के वैध स्वामी और विधिपूर्वक कल्जेदार हैं तथा निगम द्वारा जारी नोटिस के खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर रखी है। उन्होंने यह भी बताया कि ध्वस्तीकरण से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने कलेक्टर सहित वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले में आवेदन देकर कार्रवाई रोकने का आग्रह किया था, बावजूद इसके जोन कमिश्नर द्वारा कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, वार्ड क्रमांक 22, जरहाभाठा स्थित खसरा नंबर 85/3 एवं खसरा नंबर 85/1 के अंश पर स्थित भूमि के स्वामी कृष्ण कुमार अग्रवाल का कहना है कि उनके पास भूमि का वैध स्वामित्व है। निगम के संबंधित विभाग द्वारा दिनांक 24.04.2025 को एक नोटिस (क्रमांक 19) जारी किया गया था, जिसके विरुद्ध उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय, बिलासपुर में रिट याचिका (क्र. ----- - उपयोगकर्ता ने संख्या नहीं दी) प्रस्तुत की है। याचिका में उन्होंने निगम द्वारा की जा रही कथित मनमानी और विधिविरूद्द कार्रवाई को चुनौती देते हुए न्यायालय से अंतरिम राहत की भी प्रार्थना की है।

कृष्ण कुमार अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने आज सुबह ही कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों को इस संबंध में विस्तृत आवेदन प्रस्तुत कर अपनी कानूनी स्थिति से अवगत कराया था। उन्होंने स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया था कि जब तक माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका पर कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया जाता, तब तक भूमि एवं निर्माण के संबंध में किसी भी प्रकार की प्रतिकूल, जबरन या एकपक्षीय कार्रवाई न की जाए।

हालांकि, पीड़ित के अनुसार, उनके आवेदन प्रस्तुत करने के कुछ ही देर बाद जोन कमिश्नर मौके पर पहुंच गए और उन्होंने मकान को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू करवा दी। कृष्ण कुमार अग्रवाल ने निगम की इस कार्रवाई को उनके मूल संवैधानिक अधिकारों का हनन और न्याय प्रक्रिया को निष्फल बनाने का प्रयास बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि निगम ने जानबूझकर, कोर्ट में मामला लंबित होने और अधिकारियों को सूचित किए जाने के बावजूद, जल्दबाजी में ध्वस्तीकरण किया है। यह सीधे तौर पर न्यायपालिका के प्रति उपेक्षा का मामला प्रतीत होता है। अग्रवाल ने निष्पक्ष एवं विधिसम्मत कार्यवाही की अपेक्षा की थी, लेकिन निगम की कार्रवाई ने उन्हें स्तब्ध कर दिया है।

फिलहाल, इस मामले ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब मामला न्यायालय में विचाराधीन हो। अब सबकी निगाहें माननीय उच्च न्यायालय के फैसले पर टिकी हैं।


बिलासपुर। शहर के जरहाभाठा क्षेत्र में सोमवार को उस वक्त हड़कंप मच गया, जब नगर निगम के जोन कमिश्नर ने एक भूखंड पर स्थित मकान को कथित तौर पर मनमाने तरीके से ध्वस्त करा दिया। इस कार्रवाई से प्रभावित कृष्ण कुमार अग्रवाल नामक व्यक्ति ने दावा किया है कि वे उक्त भूमि के वैध स्वामी और विधिपूर्वक कल्जेदार हैं तथा निगम द्वारा जारी नोटिस के खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर रखी है। उन्होंने यह भी बताया कि ध्वस्तीकरण से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने कलेक्टर सहित वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले में आवेदन देकर कार्रवाई रोकने का आग्रह किया था, बावजूद इसके जोन कमिश्नर द्वारा कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, वार्ड क्रमांक 22, जरहाभाठा स्थित खसरा नंबर 85/3 एवं खसरा नंबर 85/1 के अंश पर स्थित भूमि के स्वामी कृष्ण कुमार अग्रवाल का कहना है कि उनके पास भूमि का वैध स्वामित्व है। निगम के संबंधित विभाग द्वारा दिनांक 24.04.2025 को एक नोटिस (क्रमांक 19) जारी किया गया था, जिसके विरुद्ध उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय, बिलासपुर में रिट याचिका (क्र. ----- - उपयोगकर्ता ने संख्या नहीं दी) प्रस्तुत की है। याचिका में उन्होंने निगम द्वारा की जा रही कथित मनमानी और विधिविरूद्द कार्रवाई को चुनौती देते हुए न्यायालय से अंतरिम राहत की भी प्रार्थना की है।

कृष्ण कुमार अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने आज सुबह ही कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों को इस संबंध में विस्तृत आवेदन प्रस्तुत कर अपनी कानूनी स्थिति से अवगत कराया था। उन्होंने स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया था कि जब तक माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका पर कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया जाता, तब तक भूमि एवं निर्माण के संबंध में किसी भी प्रकार की प्रतिकूल, जबरन या एकपक्षीय कार्रवाई न की जाए।

हालांकि, पीड़ित के अनुसार, उनके आवेदन प्रस्तुत करने के कुछ ही देर बाद जोन कमिश्नर मौके पर पहुंच गए और उन्होंने मकान को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू करवा दी। कृष्ण कुमार अग्रवाल ने निगम की इस कार्रवाई को उनके मूल संवैधानिक अधिकारों का हनन और न्याय प्रक्रिया को निष्फल बनाने का प्रयास बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि निगम ने जानबूझकर, कोर्ट में मामला लंबित होने और अधिकारियों को सूचित किए जाने के बावजूद, जल्दबाजी में ध्वस्तीकरण किया है। यह सीधे तौर पर न्यायपालिका के प्रति उपेक्षा का मामला प्रतीत होता है। अग्रवाल ने निष्पक्ष एवं विधिसम्मत कार्यवाही की अपेक्षा की थी, लेकिन निगम की कार्रवाई ने उन्हें स्तब्ध कर दिया है।

फिलहाल, इस मामले ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब मामला न्यायालय में विचाराधीन हो। अब सबकी निगाहें माननीय उच्च न्यायालय के फैसले पर टिकी हैं।


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